मोउमिता
की समाज सेवा - Moumita Ki Samaz Seva
जैसा कि आप लोग जानते ही हैं मैं दमन में रहता हूँ। हमारे पड़ोस में मेरा दोस्त रवि रहता है। रवि पड़ोस में अकेला रहता है उसका सारा परिवर गांव में है।
एक बार उसकी कज़िन मोउमिता किसी अधिवेशन के सिलसिले से दमन आई और उसके घर पर करीब दो महीने रही। सबसे पहले उसके कज़िन मोउमिता के विषय में आप लोगों को बता दूँ।
कज़िन
का नाम मोउमिता है वो करीब 33 साल की सुडौल, शादीशुदा महिला है। वैसे तो वो हाउस-वाइफ़ है लेकिन गांव में मशहूर समाज-सेविका है। उसके चूतड़ और वक्ष काफ़ी बड़े बड़े और भारी हैं। शकल-सूरत से वो खूब सेक्सी और तीस साल से कम लगती है।
अकसर मैं शनिवार या रविवार जो कि मेरे छुट्टी के दिन हैं,
रवि के साथ गुजारता हूँ। जबसे उसकी कज़िन मोउमिता आई है तब से मैं मोउमिता
से दो-तीन बार मिल चुका हूँ। वो जब भी मिलती तो मुझे अजीब निगाहों से देखती थी। मुझे देख कर उसकी नज़रों में एक अजीब नशा छा जाता था या यूं कहिये उसकी नज़र में सेक्स की चाहत झलक रही हो !
ऐसा मुझे क्यों महसूस हुआ यह मैं बता नहीं सकता हूँ लेकिन मुझे हमेशा ही लगता था कि वो नज़रों ही नज़रों में मुझे सेक्स की दावत दे रही हो। मैं जब भी उनसे मिलता तो कम ही बातचीत करता था मगर जब वो बातें करती तो उनकी बातों में दोहरा अर्थ होता था-
जैसे- तुम खाली समय में कुछ करते क्यों नहीं?
मैंने कहा-
मोउमिता जी,
क्या करुँ आप ही बतायें?
वो बोली- तुम्हें खाली समय का और मौके का फायदा उठाना चाहिये।
मैंने कहा-
जरूर फायदा उठाऊँगा अगर मौका मिले तो।
वो बोली- मौका तो कब से मिल रहा है लेकिन तुम कुछ समझते नहीं ! न ही कुछ करते हो !
मैं उनकी बातें सुन कर चकराया और बोला- मोउमिता
जी, आपकी बातें मेरे दिमाग में नहीं घुस रही हैं।
वो बोली- देखो आज और कल यानि शनिवार और रविवार तुम्हारी छुट्टी होती है तो तुम्हें कुछ कुछ पार्ट-टाइम जोब करना चाहिये ताकि तुम्हारी आमदनी भी हो जायेगी और टाइम पास भी होगा।
इसी तरह की दोहरे शब्दो में मोउमिता
जी बातें करती थी और वो जब भी मुझसे बातें करती तब रवि या तो बाथरूम में होता या फिर किसी काम में व्यस्त होता।
एक दिन जब सुबह करीब 11 बजे रवि के घर पहुंचा तो घर पर उसकी कज़िन मोउमिता थी। रवि मुझे कहीं नज़र नहीं आया।
मैंने पूछा- मोउमिता
जी ! रवि नज़र नहीं आ रहा है ! कहाँ गया वो?
मोउमिता : वो बाथरूम में कब से नहा रहा है। मैं उसी के बाहर निकलने का इन्तज़ार कर रही हूँ।
लेकिन वो तो ज्यादा समय बाथरूम में लगाता ही नहीं ! तुरंत 5 मिनट में आ जाता है।
मोउमिता
हंसते हुए:
अरे भाई, बाथरूम और बेडरूम ही तो ऐसी जगह है जहां से कोई भी जल्दी निकलना नहीं चाहता है।
मैं कोई जवाब नहीं दे सका,
वो भी चुप रही।
थोड़ी देर बाद रवि बाथरूम से नहा-धो कर बाहर आया। उसके बाथरूम से आते ही मोउमिता जी बाथरूम में गई और मेरी तरफ़ नशीली नज़रों से देखती हुई बोली घबराना मत मैं ज्यादा समय नहीं लगाउंगी। आप लोग नाश्ते के लिये मेरा इन्तज़ार करना !
कहते हुए वो बाथरूम में घुस गई करीब 20 मिनट बाद वो तैयार होकर हमारे साथ नाश्ता करने लगी।
नाश्ता करते वक्त रवि ने कहा-
यार,
आज मुझे ऑफ़िस के काम के सिलसिले में सूरत जाना है। और मैं कल रात को या सोमवार दोपहर को वापस लौटूंगा। अगर सोमवार दोपहर को लौटूंगा तो तुम्हें कल फोन कर दूंगा। अगर तुम्हें ऐतराज़ न हो तो तुम, जब तक मैं नहीं आता हूँ, मेरे घर रुक जाना ताकि मोउमिता
को बोरियत महसूस नहीं हो, न ही मुझे उनकी चिंता रहेगी क्योंकि वो दमन में पहली बार आई हैं।
मैंने कहा-
ठीक है ! मुझे कोई परेशानी नहीं !
वो 12:30 बजे वाली ट्रेन से सूरत चला गया। मैं भी उसे ट्रेन में बिठाने के लिये बोरिवली गया। जब वापस लौट रहा था तो मैंने एक बार में जाकर 3 पेग व्हिस्की पी और लौट कर रवि के घर गया। घर पर मोउमिता जी हाल में बैठ कर कोई किताब पढ़ रही थी। मुझे नशीली निगाहों से देखा और बोली- रवि को बैठने की सीट मिल गई थी क्या ?
मैंने कहा-
हां
! क्योंकि ट्रेन बिल्कुल खाली थी।
वो बोली- मैंने खाना बना लिया है! भूख लगी हो तो बोल देना।
मैंने कहा अभी भूख नहीं है जब होगी तो बोल दूंगा।
मोउमिता
की निगाहों में अजीब नशा देख कर मैंने पूछा- मोउमिता जी
! आप करती क्या हैं?
थोड़ी देर तक मेरे नज़रों से नज़रें मिलाती रही, फिर बोली- समाज-सेवा !
यह सुनते ही अचानक मेरे मुँह से निकल गया- कभी हमारी भी सेवा कर दीजिये ताकि हमारा भी भला हो जाये।
वो हल्के से मुस्कुराई और बोली- तुम्हारी क्या परेशानी है?
मैंने कहा-
वैसे तो कुछ खास नहीं है, लेकिन बता दूँगा जब उचित समय होगा।
वो मेरे आंखों में आंखें डालती हुए बोली- यहाँ तुम्हारे और मेरे अलावा कोई नहीं है,
बेझिझक अपनी परेशानी कह डालो ! शायद मैं तुम्हारी परेशानी हल कर दूं?
मैंने कहा-
आप किस प्रकार की समाज सेवा करती हो?
वो बोली- मैं जरुरतमंद लोगों की जरुरत पूरी करने की मदद करती हूँ, उनकी समस्या हल करती हूँ।
मैंने कहा-
मेरी भी जरुरत पूरी कर दो न
!
वो बोली- जब वक्त आयेगा तो कर दूंगी !
फिर वो चुप रही और मैगज़ीन पढ़ने लगी।
थोड़ी देर बाद मैंने पूछा- मोउमिता जी,
आप क्या पढ़ रही हैं?
कुछ खास सब्जेक्ट है क्या इस मैगज़ीन में?
वो मुस्कुराते हुए बोली- इस मैगज़ीन में बहुत अच्छा लेख है पत्नि और पति के सेक्स के विषय में।
फिर वो पढ़ने लगी। थोड़ी देर बाद उसने पूछा- यह सिडक्शन का क्या मतलब होता है?
मैं सोचने लगा !
वो मेरी ओर कातिल निगाहों से देखती हुई बोली- बताओ न !
मेरी समझ में नहीं आया कि हिंदी में उसे कैसे बताऊँ।
वो लगातार मेरी ओर देख रही थी। उसकी आंखों में नशा छाने लगा। मैं उसे गौर से देख रहा था,
उसके होंठ खुश्क हो रहे थे। वो अपने होंठों पर जीभ फेर रही थी। मैंने सोचा अच्छा मौका है मोउमिता
को पटाने का।
वो इठलाकर बोली- बताओ न क्या मतलब होता है?
उसकी इस अदा को देखते हुए मैंने कहा-
शायद चुदास !
वो बोली- क्या कहा?
क्या मतलब होता है?
मैंने कहा-
क्या तुम चुदास नहीं समझती हो?
वो बोली- कुछ कुछ… क्या यही मतलब होता है?
मैंने कहा-
हां शायद यानि कि…… !
कैसे समझाऊँ तुम्हें मोउमिता जी ! मैंने उलझ कर कहा।
वो हंसते हुए बोली- चुदास का मतलब सेक्स करने की चाहत तो नहीं?
मैं उसे एकटक देखने लगा- उसके होंठों पर चंचल मुस्कुराहट थी।
मैंने कहा-
ठीक समझी आप।
वो मेरे आंखों में आंखे डाल कर बोली- किस शब्द से बना है चुदास?
मैंने उसकी आवाज में कंपकपी महसूस की। मेरे दिल ने कहा- गधे वो इतना चांस दे रही है तू भी बन जा बेशरम, वरना पछतायेगा।
मैंने कहा-
चुदास चोदना शब्द से बना है।वो खिलखिला कर हंसने लगी और मैगज़ीन के पन्ने पलटने लगी। मैं सोचने लगा अब क्या करूं?
अचानक उसने पूछा- ये वेजिना क्या होता है?
मेरे दिल ने कहा-
साली जानबूझ कर ऐसे सवाल पूछ रही है।मैंने बिंदास होकर कहा-
योनि को वेजिना कहते हैं।
उसने फिर पूछा- यह योनि क्या होता है?
मैंने कहा-
क्या आप योनि नहीं जानती हो?
वो बोली- नहीं।
मैंने कहा-
चूत समझती हो?
उसने झट से मुँह पर हाथ रखा और मैगज़ीन के पन्ने पलटती हुई बोली- हाँ !
मैंने हिम्मत कर के कहा- चुदास की बहुत चाहत हो रही है?
उसने हल्के से मुस्कुराते हुए कहा-
चुदास की प्यास?
मैंने कहा-
वाकई चुदास की प्यास लगी है?वो बोली- मैं दो साल से प्यासी हूँ, क्योंकि दो साल पहले मेरा पति से तलाक हो गया था।[
ये तो मुझे उसने बाद में बताया के तलाक कि बात झूठ थी वास्तव में उसका पति ठीक से चोद
नहीं पाता इसीलिए वो दुसरे मर्दो को पटाती रहती है,इसीलिये सोशल वर्क कि आड़ ले रखी है]
मैंने कहा-
ओह
! इसका मतलब कि दो साल से तुम्हारी चूत ने लंड का पानी नहीं पिया है।
वो सिर झुका कर बोली- आज तक तुम्हारे जैसा कोई मिला ही नहीं।
मैं बोला- अगर मिल जाता तो?
वो बोली- तो मैं अपनी चूत को उस लंड पर कुर्बान कर देती।
मैं बोला- आओ मेरा लंड तुम्हारी चूत पर न्यौछावर होने के लिये बेकरार है।
तुरंत उसे अपने बाहों में ले लिया और उसके होंठों में होंठ डाल कर चुम्बन करने लगा। मैंने महसूस किया कि उसके हाथ मेरे लंड की तरफ़ बढ़ रहे थे और उसने पैंट की ज़िप खोल कर मेरे लंड को पकड़ लिया, फिर धीरे धीरे सहलाने लगी। मेरा लंड लोहे की तरह सख्त हो गया। मुझसे बरदाश्त नहीं हुआ और मैं पैंट और अंडरवीयर निकाल कर बिल्कुल नंगा हो गया। अब उसने फिर मेरे लंड को पकड़ कर अपने मुँह में ले लिया और लॉलीपोप की तरह चूसने लगी। मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था। कभी वो मेरे लंड के सुपाड़े को चूसती, कभी जबान से लंड को जड़ तक चाट रही थी। ऐसा उसने करीब 15 मिनट तक किया। आखिर में रहा न गया,
मैंने उसके मुँह में ढेर सारा वीर्य डाल दिया।
फिर हम दोनों सोफ़े पर आकर बैठ गये। मेरा लंड फिर सामान्य हो गया। वो अब भी साड़ी पहने हुई थी मैंने उसकी साड़ी में हाथ डाल कर जांघों को सहलाया फिर हाथ को उसके चूत पर ले गया। उसकी पैंटी गीली हुई थी इतनी गीली थी जैसे पानी से भिगोई हो। मैंने उसके पैंटी के ऊपर से ही चूत को मसलना शुरु किया। वो बिन पानी के मछली की तरह तड़पने लगी। फिर मैंने उसकी पैंटी में हाथ डाला। उसकी चूत फूली हुई और गरम भट्टी की तरह सुलग रही थी।
मैं उसकी चूत की दरार में उंगली डाल कर चूत के दाने को मसलने लगा जिस कारण वो बेकरार होने लगी। अब मैंने उसे सोफ़े पर लिटा कर उसकी साड़ी और पेटीकोट को ऊपर सरकाया। उसकी पैंटी चूत के अमृत से तर-बतर थी। मैंने पैंटी को पकड़ा और जांघों तक सरका दिया। अब उसने खुद उठ कर अपनी पैंटी निकाल दी और फिर सोफ़े पर लेट गई। उसके घुटने ऊपर थे और टांगें फैली हुई थी। उसकी सांवली चूत अब बिल्कुल साफ़-साफ़ दिखाई दे रही थी। मैंने अपने एक उंगली उसकी चूत में डाली तो मुझे लगा मैंने आग को छू लिया हो क्योंकि उसकी चूत काफ़ी गरम हो चुकी थी। मैं धीरे-धीरे अपनी उंगली उसके चूत में अंदर-बाहर करने लगा,
उसके मुंह से आअह्हह्हाअ ऊऊऊफ़्फ़फ़्फ़ की आवाज निकल रही थी।
अब मैंने दो उंगलियाँ उसकी कोमल चूत में घुसाई। चिकनी चूत होने से दोनों उंगलियाँ आराम से अंदर-बाहर हो रही थी। लगभग पचास साठ बार मैंने अपनी उंगलियों से उसकी चूत की घिसाई की। इधर मेरा लंड भी फूल कर तन गया था। अब मैं उठ खड़ा हुआ और उसे लेकर बेडरूम में ले गया। वो आंखें बंद किये मेरे अगले कदम का इन्तज़ार करने लगी।
मैंने शर्ट निकाल कर उसकी साड़ी और पेटिकोट दोनों उतार दिये और हम बिल्कुल नंगे हो गये। वो करवट लेकर लेट गई। अब उसके चूतड़ साफ़ झलक रहे थे। मैंने उसकी गांड पर हाथ फ़िराया।
क्या गांड थी ! गोल मटोल गांड थी उसकी !
मैं करीब 5 मिनट तक उसकी गांड को सहलाता रहा, फिर उसकी कमर पकड़ कर चित्त लिटा दिया। और जितना हो सका उतनी उसकी टांगें फैला दी। फिर उसकी चूत की दरारों को फैला कर अपनी जीभ से चूत चाटने लगा। उसके मुंह से हाअ ऊऊफ़्फ़फ़्फ़ की नशीली आवाजें निकल रही थी। अपनी जीभ से उसकी चूत के एक-एक भाग चाट रहा था। बीच बीच में चूत को जीभ से चोद रहा था। वो बिल्कुल पूरी तरह से गरम हो चुकी थी।
वो बोली- अब हटो
! मेरी चूत काफ़ी गरमा चुकी है।
अपना लंड मेरी गरमगरम चूत में घुसेड़ दो राजा। उफ़्फ़फ़। अपने लंड से मेरी चूत की गरमी और प्यास बुझा दो ! आज इतना कस कस कर चोदो कि मेरे पूरे अरमान निकल जायें।
जैसे ही मैंने उसकी चूत से अपना मुंह हटाया उसने अपनी टांगें मोड़ ली। मै उसकी उठी हुई टांगों के बीच बैठ गया। मैंने उसकी टांगें अपने हाथ से उठा कर अपना लंड उसकी चूत के मुंह पर रखा। जिस कारण उसके शरीर में झुरझुरी मच गई। लंड को चूत के मुंह में रखते ही चूत की चिकनाहट के कारण अपने आप अंदर जाने लगा। मैंने कस कर एक धक्का मारा तो लंड पूरा का पूरा उसकी चूत में घुस गया।
गरमागरम चूत के अंदर लंड की अजीब हालत थी। अब मैं धीरे धीरे अपना लंड उसकी चूत के अंदर बाहर करने लगा। उसकी चूत के घर्षण से मेरा लंड फूल कर और मोटा हो गया। मेरे हर धक्के पर वो ऊऊफ़्फ़फ़्फ़ आआह्हह ऊऊह्हह्हह की आवाजें निकालने लगी। करीब 20 मिनट तक मैं उसके चूत में अपना लंड अंदर-बाहर करता रहा। फिर मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और दना दन लंड को चूत में मूसल की तरह घुसाता रहा।
उसने मुझे कस कर बाहों में जकड़ लिया, मैं समझ गया कि वो झड़ रही है,
और कराह रही थी, बोल रही थी-
हाय!
दो साल बाद मेरी चूत की खुजली मिटी है। वाकई तुम पक्के चुदक्कड़ हो। चोदो मुझे ! जोर जोर से चोद।
मेरा लंद फच फच की आवाज के साथ अंदर-बाहर हो रहा था। पूरे कमरे में चुदाई की फ़चाफ़च फ़चाफ़च की आवाजे गूंज रही थी। मेरा लंड उसकी चूत को छेदता जा रहा था कुछ देर बाद उसके झड़ने के कारण मेरा लंड बिल्कुल गीला हो चुका था और वो निढाल होकर लम्बी लम्बी सांसें ले रही थी। करीब 50-60 धक्कों के बाद मेरे लंड से आखिर जोरदार फ़व्वारा निकला और उसकी चूत में समा गया। जब तक लंड से एक एक बूंद उसकी चूत में समाती रही मैं धक्कों पर धक्के लगाता रहा। आखिर में मैंने अपना लंड बाहर निकाला और उसके बाजू में लेट गया। हम दोनों की सांसे तेज चल रही थी,
वो दाहिने करवट से लेटी हुई थी। करीब 15-20 मिनट तक हम ऐसे ही लेटे रहे।
फिर मेरी नज़र उसकी गांड पर पड़ी। गांड का ख्याल आते ही लंड फिर से हरकत करने लगा। मैंने अपनी एक उंगली उसकी गांड के छेद पर रख कर घुसाने की कोशिश की। उसकी गांड का छेद बहुत टाइट था। मैंने ढेर सारा थूक उसकी गांड के छेद पर और अपनी उंगली पर लगाया और दुबारा उसकी गांड में उंगली घुसाने की कोशिश करने लगा। गीलेपन के कारण मेरी उंगली थोड़ी गांड में घुस गई उंगली घुसते ही वो कसमसाहट करने लगी। वो तड़प कर आगे खिसकी जिस वजह से उंगली गांड के छेद से बाहर निकल गई और मुड़ कर बोली- क्या कर रहे हो?
मैंने कहा-
तुम्हारी गांड सचमुच खूबसूरत है।
वो बोली- उंगली क्यों घुसाते हो?
लंड क्या सो गया है?
उसकी यह बात सुनकर मैं खुश हुआ और उसे पेट के बल लिटा दिया और दोनों हाथों से उसके चूतड़ फ़ैला दिए जिससे उसकी गांड का छेद और खुल गया।
वो धीरे से बोली- नारियल तेल या कोई चिकनी चीज मेरे गांड और लंड पर लगा लो तो आसानी रहेगी।
मैंने कहा-
मैडम इससे भी अच्छी चीज है मेरे पास वेसलीन !
मैं उठ कर ड्रायर से वेसलीन ले आया और ढेर सारी वेसलीन अपने लंड और उसकी गांड पर लगाई और उसकी गांड मारने को तैयार हो गया। अब मैंने अपना लंड उसकी गांड के सुराख पर लगाया और थोड़ा जोर लगा कर धकेला। लंड का सुपाड़ा गांड में थोड़ा सा घुस गया। फ़िर थोड़ा जोर लगा कर और धक्का दिया तो सुपाड़ा उसकी गांड में समा गया।
सुपाड़ा गांड में घुसते ही वो बोली- थोड़ा आहिस्ते-आहिस्ते डालो ! दर्द हो रहा है ! दो साल हो गये गांड मरवाये।
अब मैं सिर्फ़ सुपाड़े को ही धीरे-धीरे गांड के अंदर बाहर करने लगा। थोड़ी देर बाद ही उसकी गांड का छेद पूरा लंड खाने के काबिल हो गया। मुझे लगा कि अब मेरा लंड पूरा उसकी गांड में घुस जायेगा और ऐसा ही हुआ। उसकी गांड के छेद में चिकनाहट की वजह से लंड थोड़ा थोड़ा और अंदर समाने लगा। दो-तीन मिनट की मेहनत से मेरा लंड पूरा का पूरा उसकी गांड में घुस गया। मैं धीरे धीरे अपना लंड उसकी गांड से अंदर बाहर करने लगा।
उसकी गांड कसी होने से मुझे बड़ा मजा आ रहा था। उसे भी गांड मरवाने का मजा आ रहा था और मुंह से ऊफ़्फ़ आह्हा की आवाजें निकाल रही थी।
40-50 धक्कों के बाद मेरे लंड ने घुटने टेक दिये और उसकी गांड में ढेर सारा वीर्य छोड़ दिया। वो भी अपनी गांड को सिकोड़ने लगी।
अब हम दोनों निढाल होकर बिस्तर पर लेट गये। जब तक मेरा दोस्त नहीं आया मैंने उसकी कज़िन मोउमिता की कई बार चूत और गांड मारी।
जब मैं वापस अपने घर लौटने लगा तो मोउमिता
बोली- कैसी रही मेरी समाज सेवा?
मैंने हंस कर कहा-
मोउमिता जी,
आप सच्चे तन मन से समाज सेवा करती हो
!
फिर मैं घर लौट आया।
मेरी कहानी पर अपनी राय लिखें !
ADD ME FOR MORE FUN
.
Karan came to Kolkata to fuck me ..we went to Mayapur..we
stayed in Hotel..had many fucking sessions..then Karan took me to many swapping
couple sessions ....there he introduced me as his wife........ I enjoyed with
many males and he too enjoyed with many females .....Maine kai Lund khaaye aur
Karan ne bhi kai chut chodi....khoob mazaa aayaa.....My husband is a cuckold
some times he knows some times not but i keep moving among my friends ...i love
them and they too love me...
Main bhi ek number ki madarchod ,kamini or randy type
,chhinal ladki thi jo 15-16 ladko ko ghumaya karti thee..3-4 sarif ladko ka to
zindgi barbad ho gaya hoga..maine 2-3 ko chhodkar sab ladko se chudyaa bhi yahi
kehte huye ke it was my first time ........ aur kitna khharch karwaya..ab dukh
lagta hain ki mujhe aisa nahi karna chahiye tha..maine bahuto ko chutiya banaya
sachhe pyar ke naam pe....ab mujhe lat lag gayee hai chudwaane ki ...bhagwan ne
mujhse badlaa lene ke liye aissa husband diyaa jo saalaa chod hi nahi pata
..........ab mai apne cousins, dewar un ke friends mere orkut aur facebook
friends sabse chudwaati hoo ....................
mai sochti thi k shaadi ke baad pati se khoob chudwaaoongi
par hay re kismat......Mere pati mujhe chod nahi pate issiliye mai unke dosto
se , apne cousins, dewar un ke friends mere orkut aur facebook friends sabse
chudwaati hoo ....................
mai isse galat nahi maanti because .........." when it
is in the notice of your husband...you dont stand guilty...my husband is a
cuckold ...I wish he witnesses my fucking by other friends............and
relatives...."
My name is Moumita...I am 33yrs young/ 36-28-38/Good looking
/beautiful/Gorgeous/sexy & Hot
I have a nice pair of
Boobs and a silky cunt .I love being treated rough during fucking.Fuck me
hard....fuck me with love ....................
add me if you too want to fuck me add me here ....inbox me
..fix a prograamme for kolkata ...we will move to Mayapur ..stay in a hotel
have some fuck-sessions ...then we can move to some wife swapping couples
parties ...there you can enjoy some cunts a nd some vaginas...and i shall also
enjoy some penis big and some small...bole to kai laude kai lund daba daba ke
mujhe chodenge...ayegaa naa mazzaa ....tell me when are you coming ....tum kab
aaoge ................to der kaissi ...add me and inbox me pl..
Mera naam Moumita hai ..aap log to jaante hi hai ......
jaissa k aap jaante hai abhi meri age 33 yrs ki hai aur mai
kaafi khoobsoorat hoo .mere boobs 36d hai kamar 28 aur hips 38 hai .
bachpan se hi mujhe chudaas ki badi lalak thi ....
maine school ke dino se hi pados ke ek ladke Rajeev se ghar
ke pichhwaade me hi chudwaa liyaa thaa...phir to bahut saare ladko se
chudwaayaa...college me mai chaloo ladki ke naam se mashhoor thi...kuchh
ladkiyaa to mujhse sirf issliye dosti ki thi k mai unko bhi kissi se chudwaa
doo....
Main bhi ek number ki madarchod ,kamini or randy type
,chhinal ladki thi jo 15-16 ladko ko ghumaya karti thee..3-4 sarif ladko ka to
zindgi barbad ho gaya hoga..maine 2-3 ko chhodkar sab ladko se chudyaa bhi yahi
kehte huye ke it was my first time ........ aur kitna khharch karwaya..ab dukh
lagta hain ki mujhe aisa nahi karna chahiye tha..maine bahuto ko chutiya banaya
sachhe pyar ke naam pe....ab mujhe lat lag gayee hai chudwaane ki ...bhagwan ne
mujhse badlaa lene ke liye aissa husband diyaa jo saalaa chod hi nahi pata
..........ab mai apne cousins, dewar un ke friends mere orkut aur facebook
friends sabse chudwaati hoo .............
mai sochti thi k shaadi ke baad pati se khoob chudwaaoongi
par hay re kismat......Mere pati mujhe chod nahi pate issiliye mai unke dosto
se , apne cousins, dewar un ke friends mere orkut aur facebook friends sabse
chudwaati hoo ....................
mai isse galat nahi maanti because .........." when it
is in the notice of your husband...you dont stand guilty...my husband is a
cuckold ...I wish he witnesses my fucking with other friends............and
relatives...."
मैं इतनी सेक्सी हूँ कि मेरा गोरा बदन,
मेरी सेक्सी कमर,
लम्बे रेशमी बाल,
कसे हुए चूतड़ और मोटे मम्मों को देख कर लड़के तो क्या बुड्ढों का भी दिल बेईमान हो जाये।
अब मैं आपको अपनी बात बताती हूँ।यह बात तब की है जब मेरे पति विदेश में प्रोजेक्ट के सिलसिले में पोस्टेड थे एक साल के लिए
-6 महीने हो गए थे-वैसे भी आप लोग तो जानते ही है के मेरे पति तो मुझे ठीक से चोद ही नहीं पाते -देवर जी बंगलोरे में सर्विस करते थे वो तीन तीन महीने में आते थे
-ये तब कि बात है जब मेरी सासु कलकता की एक अस्पताल में दाखिल थी और मेरे ससुर जी भी रात को उनके पास ही रहते थे,
मैं सुबह घर से खाना वगैरा लेकर जाती थी। एक दिन मैं सुबह जब बस में चढ़ी तो बस में बहुत भीड़ थी,
जिनमें ज्यादा कॉलेज के लड़के थे।
जहाँ पर मैं खड़ी थी वहां पर मेरे आगे एक बूढ़ी औरत और मेरे पीछे एक लड़का था। कुछ देर बाद उस लड़के ने अपना लण्ड मेरी गाण्ड से लगा लिया, बस में इतनी भीड़ थी कि ऐसा होना आम था और किसी को पता भी नहीं चल सकता था। यह तो मुझे और उस लड़के को ही पता था।
मेरी तरफ से कोई विरोध ना देख कर लड़के ने अपना लण्ड मेरी गाण्ड पर रगड़ा, मेरे बदन में एक करंट सा दौड़ गया,
मुझे लण्ड के स्पर्श से बहुत मजा आया !
और आता भी क्यों ना? लण्ड होता ही मजे के लिए है..
खासकर मेरे लिए...
लड़के का लण्ड सख्त हो चुका था और बेकाबू भी होता जा रहा था क्योंकि अब उसकी छलांगे मेरी गाण्ड महसूस कर रही थी.. जब भी बस में कहीं धक्का लगता तो मैं भी उसके लण्ड पर दबाव डाल देती..
हम दोनों लण्ड और गाण्ड की रगड़ाई के मजे ले रहे थे..
अब बस पहुँच चुकी थी और सब बस से उतर रहे थे, मुझे भी उतरना था और उस लड़के को भी।
बस से उतरते ही लड़का पता नहीं कहाँ चला गया,
मेरा चुदने का मन कर रहा था,
मगर वो लड़का तो अब कॉलेज चला गया होगा, यह सोच कर मैं उदास हो गई।
अब मुझे अस्पताल जाना था, मैं बस स्टैंड से बाहर आ गई और ऑटो में बैठने ही वाली थी कि वही लड़का बाईक लेकर मेरे पास आकर खड़ा हो गया..
मैं उसे देख कर हैरान हो गई, वो बोला- भाभी जी आओ,
मैं आपको छोड़ देता हूँ।
पहले तो मैंने मना कर दिया, मगर फिर उसने कहा-
आप जहाँ कहोगी मैं वहीं छोड़ दूंगा..
तो मैं उसके साथ बैठ गई।
वैसे भी लड़का इतना सेक्सी था कि उसको मना करना मुश्किल था। रास्ते में उसने अपना नाम अनिल बताया। मैंने भी अपने बारे में बताया। थोड़ी आगे जाकर उसने कहा-
भाभी अगर आप गुस्सा ना करो तो यही पास में से मैंने अपने दोस्त से कुछ किताबें लेनी थी..
मैंने कहा-
कोई बात नहीं, ले लो..
फिर आगे जाकर उसने एक बड़े से शानदार घर के आगे बाईक रोकी, गेट खुला था तो वो बाईक और मुझे भी अन्दर ले गया।
उसका दोस्त सामने ही खड़ा था..
वो दोनों मुझे थोड़ी दूर खड़े होकर कुछ बातें करने लगे। मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मुझे चोदने की बातें कर रहे हों..
काश यह दोनों लड़के आज मेरी चुदाई कर दें !
फिर अनिल ने अपने दोस्त से मिलवाया, उसका नाम सुनील था, सुनील ने मुझे अन्दर आने को कहा मगर मैंने सोचा कि सुनील के घर वाले क्या सोचेंगे।
इसलिए मैंने कहा- नहीं मैं ठीक हूँ !
और अनिल को जल्दी चलने को कहा..
तो अनिल ने कहा-
भाभी जी, दो मिनट बैठते हैं, सुनील घर में अकेला ही है।
यह सुनकर तो मैं बहुत खुश हो गई कि यहाँ पर तो बड़े आराम से चुदाई करवाई जा सकती है..
मैं अन्दर चली गई और सोफे पर बैठ गई। सुनील कोल्ड ड्रिंक लेकर आया,
हम कोल्ड ड्रिंक पीते हुए आपस में बातें कर रहे थे।
अनिल मेरा साथ बैठा था और सुनील मेरे सामने। वो दोनों घुमा फिरा कर बात मेरी सुन्दरता की करते।
अनिल ने कहा- भाभी, आप बहुत सुन्दर हो,
जब आप बस में आई थी तो मैं आपको देखता ही रह गया था..
मैंने कहा-
अच्छा तो इसी लिए मेरे पास आकर खड़े हो गये थे?
अनिल- नहीं भाभी, वो तो बस में काफी भीड़ थी,
इस लिए...
फिर मुझे वही पल याद आ गये जो बस में गुजरे थे इसलिए मैं शरमाते हुए चुप रही।
फिर अनिल बोला- भाभी वैसे बस में काफी मजा था...
मेरा मतलब इतनी भीड़ थी कि सर्दी का पता ही नहीं चल रहा था..
मैंने शरमाते हुए कहा-
हाँ...!
वो...
वो...
तो है..
मैं समझ गई थी कि वो क्या कहना चाहता है।
उसने अपना हाथ बढ़ाया और मेरे हाथ पर रख दिया और बोला- भाभी अब काफी सर्दी लग रही है, अब क्या करूँ?
उसका हाथ पड़ते ही मैं शरमा गई और बोली- क क.. क्या... क्या.. कर....
करना.. है... चाय पीओ गर्म गर्म...
अनिल- भाभी, मगर मुझे तो वोही गर्मी चाहिए जो बस में थी...
मैं शरमाते हुए अपने बाल ठीक करने लगी..
मेरा शरमाना उनको सब कुछ करने की इजाजत दे रहा था।
अनिल ने मौके को समझा और अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए...
मैंने आँखे बंद कर ली और सोफे पर ही लेट गई..
अनिल भी मेरे ऊपर ही लेट गया..
अब सारी शर्म-हया ख़त्म हो चुकी थी..
अनिल ने मेरे होंठ अपने मुँह में और मेरे चूचे अपने हाथों में पकड़ लिए थे..
मेरी आँखें बंद थी,
इस वकत सुनील पता नहीं क्या कर रहा था मगर उसने अभी तक मुझे नहीं छुआ था..
अनिल मेरे होंठों को जोर जोर से चूस रहा था,
मैंने हाथ उसकी कमर पर ढीले से छोड़ रखे थे..
फिर सुनील मेरी सर की तरफ आ गया और मेरी गोरी गोरी गालों और मेरे बालों में हाथ घुमाने लगा..
मेरी आँखें अब भी बंद थी...
वो दोनों मुझसे प्यार का भरपूर का मजा ले रहे थे...
कभी अनिल मेरे होंठ चूसता तो कभी सुनील..
अनिल ने मेरी पजामी और कमीज उतार दी..फिर सुनील ने ब्रा और पेंटी भी उतार दी..
मैं बिलकुल नंगी हो चुकी थी..
फिर मैं सोफे पर घुटनों के बल बैठ गई और सुनील की पैंट उतार दी.. उसका लौड़ा उसके कच्छे में फ़ूला हुआ था..
मैंने झट से उसका लौड़ा निकाला और अपने हाथों में ले लिया और फिर मुँह में डाल कर जोर जोर से चूसने लगी। मैं सोफे पर ही घोड़ी बन कर उसका लौड़ा चूस रही थी और अनिल मेरे पीछे आकर मेरी चूत चाटने लगा..
अनिल जब भी अपनी जीभ मेरी चूत में घुसता तो मैं मचल उठती और आगे होने से सुनील का लौड़ा मेरे गले तक उतर जाता..
सुनील भी मेरे बालों को पकड़ कर अपना लौड़ा मेरे मुंह में ठूंस रहा था..
फिर सुनील का वीर्य निकल गया और मैंने सारा वीर्य चाट लिया.. उधर अनिल के चाटने से मैं भी झड़ चुकी थी।
अब अनिल का लौड़ा मुझे शांत करना था।अनिल सोफे पर बैठ गया और अनिल के आगे उसी की तरफ मुंह करके उसके लौड़े पर अपनी चूत टिका कर बैठ गई। उसका लोहे जैसा लौड़ा मेरी चूत में घुस गया..अह्ह्ह. मुझे दर्द हुआ मगर मैंने फिर भी उसका पूरा लौड़ा अपनी चूत में घुसा लिया।
मैं ऊपर-नीचे होकर उसके लौड़े से चुदाई करवा रही थी,
सुनील मेरे मम्मों को अपने हाथों से मसल रहा था।
अनिल भी नीचे से जोर जोर से मेरी चूत में अपना लौड़ा घुसेड़ रहा था। इसी दौरान मैं फ़िर झड़ गई और अनिल के ऊपर से उठ गई मगर अनिल अभी नहीं झड़ा था तो उसने मुझे घोड़ी बना लिया और अपना लौड़ा मेरी गाण्ड में ठूंस दिया..
उफ़ यह बहुत मजेदार चुदाई थी..
फिर सुनील मेरे सामने आ गया और उसने मुझे अनिल के लौड़े पर बिठा दिया। अब अनिल मेरे नीचे था और मैं अनिल का लौड़ा अपनी गाण्ड में लिए उसके पैरों की ओर मुंह कर के बैठी थी..
सुनील मेरे सामने आ कर बैठ गया और अपना लौड़ा मेरी चूत में घुसाने लगा, मैं अनिल पर उलटी लेट गई और सुनील ने मेरे ऊपर आकर अपना लौड़ा मेरी चूत में घुसा दिया..
उफ़ अब तो मुझे बहुत दर्द हो रहा था, मेरा दिल चिल्लाने को कर रहा था मगर थोड़ी ही देर में चुदाई फिर शुरू हो गई। मैं दोनों के बीच चूत और गाण्ड की प्यास एक साथ बुझा रही थी और वो दोनों जोर जोर से मेरी चुदाई कर रहे थे।
मैं दो बार झड़ चुकी थी..
फिर अनिल भी झड़ गया और उसके बाद सुनील भी झड़ गया।
हम तीनों थक हार कर लेट गये..
फिर मैंने अपने कपड़े पहने और हस्पताल चली गई,
रात को मैं अकेली ही घर होती थी इस लिए वो अनिल और सुनील दोनों रात को मुझे हस्पताल से घर ले जाते और सारी रात मेरी चुदाई करते, सुबह होते ही वो दोनों लोगों के जागने से पहले निकल जाते और मैं बाद में हस्पताल आ जाती..
इसी तरह पाँच दिन चुदाई चलती रही और फिर सासु ठीक होकर घर आ गई तो चुदाई बंद हो गई।
मेरी कहानी आपको कैसी लगी निचे कमेंट्स में जरूर बताना.......
tum ko chodnaa ho to add me here
.
.
.
No comments:
Post a Comment