कजिन मोउमिता और उसकी
सहेली ललिता की चुदाई
हाई दोस्तों मेरा नाम
तरूण हैं और यह कहानी मेरी और मेरे चाचा की लड़की मोउमिता की हैं. मोउमिता मेरे
अब्बा के चाचा के लड़के यानी मेरे दूर के चाचा की बेटी हैं. मोउमिता की चुदाई तो
मैं पिछले 2 साल से करता रहा
हूँ. मोउमिता की चुदाई का पहला मौका मुझे उसके बड़े भाई सौरव की शादी में मिला था, तब मैंने मोउमिता
की चुदाई उसके घर के अंदर स्टोर रूम में की थी. उसके बाद तो वो खुद ही मुझे सामने
से फोन कर के बुलाती थी, जब उसके घर कोई
नहीं होता था. मैंने तक़रीबन हर महीने उस की चुदाई कम से कम एक बार तो की ही हैं.
उसकी सेक्सी चूत और बड़े बड़े चुंचो को चूस चूस के मैं लाल कर देता था और फिर उसकी
चूत में और गांड में अपना 8 इंच का लौड़ा
डाल देता था. उसका घर मेरे घर के सामने ही हैं और जब हमको मौका मिलता हैं हम लोग जंपिंग
जपांग कर लेते हैं. पिछले महीने हमारे महोल्ले में एक नए किरायेदार रहने के लिए
आये थे. जिस में एक मध्यम उम्र का कपल और उसकी 19 साल की बेटी ललिता थे. ललिता
बहुत ही सेक्सी थी. उसका पेट अंदर था लेकिन गांड और चुंचिया मस्त उभरी सी
थी.
मैंने मोउमिता के सामने
ही एक दो बार ललिता की तारीफ़ की और उसने
मुझे कहा, देख तरूण तुझे
उसकी चूत मारनी हैं तो मार ले. पर तू मेरे सामने उसकी तारीफ़ करता हैं तो मेरा दिल
दुखता हैं. मैंने उसे कहा,
अरे नहीं मेरी
डार्लिंग, तुम ही मेरा
प्यार हो लेकिन सच में उसकी चूत में लंड डाल के इस घोड़ी जैसे जवानी की चुदाई करने
का मन तो बहुत करता हैं. तुम एक काम करो ना. मेरी सेटिंग कराओ ना कुछ उसके साथ.
नज्म बोली, तरूण तू पक्का
हरामी हैं, मेरी चूत भी लेगा
और मुझ से चूत के सेटिंग करवाने की उम्मीद भी करेगा. मैंने उसे कहा, बस एक बार उसकी
चूत दिला दे, बस एक बार.
मोउमिता बोली, अभी थोडा वक्त
लगेगा, क्यूंकि मुझे उस
से पहले दोस्ती करनी पड़ेगी ना. मैंने मोउमिता को बाहों में ले लिया और उसकी चूत
को मैंने उस दिन बड़े प्यार से चोदी, मैं अंदर से ललिता
के चूत को पाने के ख्याल से ही मचल सा रहा था.
मोउमिता ने अपना काम चालू
कर दिया और वो ललिता की चुदाई मेरे लंड से
करवाने के लिए उसकी करीबी दोस्त बनने लगी. वो दोपहर को सब्जी काटने और शाम को
बर्तन धोने में उसकी मदद करने लगी. और जब भी मैं बाइक ले के निकलता तो ललिता के सामने मोउमिता जानबूझ के मेरी तारीफ़ करती
की मैं कैसे बड़ी पोस्ट पे काम करता हूँ ऑफिस में. उसने ललिता को यह भी कहा था की मेरे लिए दूर दूर से अच्छे
अच्छे रिश्ते भी आते हैं. पहले ललिता मेरे
से बात नहीं करती थी लेकिन फिर उसने धीरे धीरे बाते चालू कर दी. मैंने भी उसके सामने एक हीरो की स्टाइल से ही बात करता
था. जैसे की मुझे उसकी बहुत परवाह ही ना हो. मोउमिता ने अपना काम दिल से किया और
उसने एक दिन उसकी चुदाई के बिच मुझे खुशखबर दी की ललिता तेरे साथ बोलना (अफेर करना) चाहती हैं. मैंने
उसे जोर से किस कर ली और उसे यह खबर सुनाने के लिए 200 रूपये भी दिए. उस दिन मैंने शाम को ललिता को देखा और उसकी आँखों में सच में सेक्सी अंदाज
था. फिर तो मोउमिता ने उसे एक सस्ता मोबाइल भी ला दिया और मेरे और उसके बिच अब फोन
पे ही बातें होने लगी. मैंने एक महिना बातें करने के बाद ललिता से मिलने की पेशकश की. उसने मुझे कहा की घर से
कैसे निकलूंगी. मैंने उसे कहा की मोउमिता के साथ शोपिंग का बहाना कर के निकल जाना.
मोउमिता को मैंने दुसरे
दिन सुबह प्लान समझा दिया. मोउमिता ललिता
के घर गई और उसकी अम्मी को कहा की उसे कपडे लेने हैं, गाँव के पास के
छोटे शहर फरीदपुर से तो ललिता को साथ
भेजें. ललिता की माँ ने बिना कोई शक किये
ललिता को आने दिया उसके साथ. मुझे मोउमिता
ने टेक्स्ट कर के यह बात बताई और मैंने फरदीपुर कल्पेश को कह के उनके कमरे की चाबी
मांग ली. कल्पेश फरीदपुर थाने में हवालदार हैं और मेरे अच्छे दोस्त हैं. मैंने
मोउमिता की चुदाई कितनी बार उनके रूम पे ही की हैं. कुछ देर बाद मोउमिता ने मुझे फोन किया और बोली
की वो बस-स्टॉप के सामने खड़ी हैं ललिता
के साथ. मैंने बाइक घुमाई और देखा की दोनों ने ओढ़नी से मुहं ढंके हुए थे
अपने अपने. मेरे जाते ही मोउमिता ने ललिता
को बिच में बैठने के लिए कहा और खुद पीछे बैठ गई. ललिता के सेक्सी चुंचे मेरी कमर से टच हो रहे थे और
मुझे बहुत मस्ती चढ़ी हुई थी. मैंने रास्ते में कितनी बार ब्रेक लगा लगा के उसके
चुंचोको छुआ. कल्पेश का घर आने से पहले मैंने उन दोनों को उतार दिया. मोउमिता को पता
था की उसे साइड की खिड़की से घर में घुसना हैं ताकि पडोसी को शक ना हो.
ललिता और मोउमिता मेरे घर में घुसने के बाद खिड़की पे
आई. मैंने एक एक कर के उन्हें अंदर ले लिया. क्यूंकि कल्पेश अकेले ही इस घर में
रहते थे इसलिए यहाँ एक कमरा और किचन के अलावा कोई और रूम नहीं था. मोउमिता ने किचन
में स्टूल लिया और वहाँ जा के बैठ गई. ललिता
मेरे साथ बिस्तर में बैठी हुई थी. वो करीब आने से कतरा रही थी, शायद वो अभी
वर्जिन ही थी. मैंने उसे होंठो पे चुम्मा दिया और उसके चुंचो को भी मसला. उसकी
आँखे बंध होने लगी और वो धीमे से बोली, तरूण क्या कर रहे हो. मैंने उसे कहा, ललिता मेरी जान तुम्हे जवानी का मजा दे रहा हूँ. वो
बोली, मोउमिता आ
जायेगी. मैंने कहाँ, मोउमिता आ भी गई
तो उसे पता ही हैं की हम क्या कर रहे होंगे. मैंने अब ललिता आगे कुछ बोले ना उसके लिए उसके होंठो से अपने
होंठ चिपका दिए और उसे जोर जोर से चूसने लगा. ललिता की चुदाई के बारे में सोच के मेरे दिल में हलचल
मची हुई थी. अब ललिता भी चुदाई के रंग में
आने लगी थी. मैंने उसके स्तन को 10 मिनिट तक मसला और फिर धीरे से उसके फ़्रोक को उपर उठा
दिया. उसकी भूरी ब्रा में उसके बड़े स्तन सेक्स लग रहे थे. मन तो कर रहा था की
उनके बिच में लंड दे के तभी स्तनों की चुदाई कर दूँ, लेकिन जल्दबाजी से खेल बिगड़ सकता था.
ललिता अब मुझे को-ओपरेट करने लगी थी.
मैंने उसके फ़्रोक और इजार को खिंच लिया और फिर उसके ब्रा के हुक भी खोल डाले. वोह
अब सिर्फ पेंटी में बैठी हुई थी. वोह अपने दोनों हाथो से अपने बड़े चुंचो को
छिपाने की कोशिश कर रही थी. मैंने उसके हाथ हटाये और दोनों निपल्स को मुहं में
लेके चूसने लगा. ललिता की सिसकियाँ निकलने
लगी.
मैंने 10 मिनिट और उसके
बूब्स चुसे और फिर उसकी टाँगे खोल के धीरे से पेंटी खिंच दी. उसकी बिना बालो वाली
चूत सच में कयामत थी. मैंने धीरे से अपनी ऊँगली के उपर थूंक लगाया और उसके चूत के
होंठो को फाड़ा. अंदर से उसकी चूत मस्त गुलाबी थी जिस में से रस निकल रहा था.
मैंने हलके से उसकी चूत में ऊँगली देते हुए उस से पूछा, ललिता पहले इस चूत की चुदाई हुई हैं या नहीं. उसने
हँसते हुए कहा, ऐसे मत बोलो ना
तरूण मुझे शरम आती हैं. मैंने कहा, नहीं मैं तो बस जानना चाहता था की इतनी प्यारी चूत की चुदाई
का पहला मौका मुझे मिल रहा हैं की नहीं. उसने शरमाते हुए हाँ में इशारा किया. उसका
मतलब था की यश सेक्सी चूत वर्जिन थी. मैंने खड़े हो के अपने कपडे उतारे और मेरे 8 ईंच के लौड़े को
देख के ललिता धीरे से बोली, इतना बड़ा होता
हैं यह. मैंने कहा, जान अभी तो अंदर
जाएगा तो और बड़ा होंगा. लेकिन तुम घबराओ मत तुम्हे चूत की चुदाई में कोई तकलीफ
नहीं होंगी.
ललिता ने मेरे लंड को हाथ में पकड़ा और उसे पागलो की
तरह हिलाने लगी. उसके नाख़ून मेरे लंड को लग रहे थे. मैंने उसे एक बार फिर होंठो
के उपर किस की और अपना लौड़ा उसके मुहं पे ले जा के रख दिया. ललिता ने लंड को अपने मुहं में लेना और बहार निकालना
चालू कर दिया. वो मुश्किल से आधा लौड़ा अंदर ले पाती थी, लेकिन क्यूंकि इस
देसी लड़की की चुदाई अब तक हुई नहीं थी इसलिए उसे अभी सब कुछ नया नया लगना लाजमी
थी. तभी किचन का दरवाजा खुला और मोउमिता अंदर आ गई. ललिता और मैं बिलकुल नंगे थे. उसने हमारी तरफ देखा और
बोली, अरे मैं तो चाय
का पूछने आई थी और आप लोग तो बड़े जल्दी शरू हो गए. ललिता अपने मुहं से लंड को हटाने ही वाली थी लेकिन
मैंने उसके माथे को पकडे रखा और उसके मुहं की चुदाई चालु रखी. मैंने मोउमिता को
कहाँ, तुम कबाब में
हड्डी बन ही गई हो तो हम तुम्हे नहीं छोड़ेंगे. तुम भी आ जाओ अब कबाब में. मोउमिता
को तो बस कहने की ही देर थी, उसकी चूत को तो लौड़े का इशारा मिलना काफी थी. ललिता के आश्चर्य के बिच मोउमिता तुरंत नग्न हुई और
उसने ललिता की टाँगे फाड़ के उसकी चूत में
अपने होंठ घुसा दिए. ललिता से होंठो
द्वारा चूत की चुदाई बर्दास्त नहीं हुई और वो आंखे बंध कर के इस मजे को अपने अंदर
दबाने लगी. मैंने देखा की मोउमिता चूत के अंदर पुरे की पुरी जबान डाल के
ललिता को मदमस्त कर रही थी. मेरे लिए यह
बिलकुल सही था, क्यूंकि जितनी यह
वर्जिन चूत उत्तेजित होंगी उतनी उसकी चुदाई की मजा आएँगी.
मोउमिता ने मस्त 2 मिनिट तक चूत को
चूसा होगा, और इधर मैंने लंड
को अब ज्यादा से ज्यादा ललिता के मुहं में
देने की फिराक में था. तभी ललिता के पुरे
शरीर ने एक झटका दिया और मोउमिता ने अपना मुहं चूत से हटा लिया. ललिता की चूत पिगल चुकी थी और अपना माल छोड़ चुकी थी.
ललिता थोड़ी ढीली हुई और उसने लौड़े के
ऊपर अपनी पकड़ भी हलकी की. मैंने मोउमिता को इशारा किया और वो मेरे लंड के पास आ
गई. उसने ललिता को हटा के अपने मुहं से
लंड की चुदाई करनी चालू कर दी. मैंने ललिता
को हाथो से उठाया और उसे किस करने लगा. मैंने उसकी चूत को हाथो से हिलाया
और उसे कहा, देखो मोउमिता
कैसे मेरे पुरे लंड को मुहं में ले रही हैं, तुम भी कुछ दिनों में यह सिख जाओंगी. फिर मैंने उसकी चूत के
अंदर ऊँगली कर के उसे और भी उत्तेजित किया. ललिता
अब गर्म हो चुकी थी और उसकी चूत की चुदाई के लिए वो तैयार भी थी.
मैंने अपना लंड मोउमिता
के मुहं से बहार निकाला और ललिता को पलंग
के उपर टाँगे फैला के लिटा दिया. उसकी लाल टमाटर जैसी चूत को मैंने हाथो से खोला
और छेद के समीप लौड़ा रख के घिसने लगा. ललिता
आह ओह ओह ह्ह्ह्हह्ह्ह्ह ओह्ह्हह्ह्ह्हह्ह करने लगी. मैंने मोउमिता को
इशारा किया और वो खड़ी हो गई. उसने ललिता
के मुहं में अपनी चूत रख दी और मैंने तभी एक हल्का सा झटका दिया. लंड का
सुपाड़ा ही अंदर गया था लेकिन ललिता के
दोनों हाथ मेरी तरफ बढे और लंड को निकालने की कोशिश करने लगे. उसकी चीख चूत के
अंदर दब के हलकी हो गई, लेकिन अगर
मोउमिता की चूत उसके मुहं पे ना होती तो शायद इस वर्जिन चूत की चुदाई की गूंज शायद
कल्पेश के पडोसी भी सुन लेते.
ललिता से लौड़े का आधा प्रवेश भी बर्दास्त नहीं हो
रहा था. मैंने आधे लंड को ऐसे ही उसकी चूत में मैंने निचे झुक के उसकी नाभि के
अंदर अपनी जबान दी और उसे इस से हलकी हलकी मस्ती देने लगा. ललिता अब अपने हाथ से मेरे सर को अपनी नाभि के उपर
दबाने लगी. मैंने मौके का फायदा उठाते हुए एक और झटका दे के पुरे के पुरे 8 इंच के लंड को
चूत के अंदर दे दिया. ललिता की चीख अब रूम
में गूंज उठी. मोउमिता ने मेरी तरफ देखा और वो हंस रही थी. मैंने ललिता को कमर से पकड़ा और जैसे की उसके साथ चिपक गया.
मोउमिता के उठते ही ललिता की आह्ह्हह्ह
ह्ह्हह्ह्ह्ह ऊऊऊउ ऊऊऊऊ अम्मी मरररर गैईईईईईईईईईईईईईईईईई…..सुनाई देने लगी.
मोउमिता ने उसके होंठो से अपने होंठ लगाये और उसके आवाज को रोकने लगी. 2 मिनिट में उस से
ऐसे ही चिपका रहा और फिर मैंने अपने लंड को चूत की चुदाई में मशगुल किया.
ललिता अब लंड के साथ सेट हो गई थी.
मोउमिता अब उठ के खड़ी हुई और वो मेरी गांड वाले हिस्से के पास आके बैठ गई. मैंने
जैसे ललिता की चूत में झटका देता था वो
मेरी गांड को पकड़ के धक्का देती थी. मैं पीछे हाथ कर के उसके मुहं को पकड़ के
अपनी गांड पे लगा दिया. मोउमिता अब मेरी गांड के उपर अपनी जबान दे के सक करने लगी.
वो मेरी गांड के छेद और लौड़े के निचे और गांड के बिच वाले हिस्से को चाटने लगी.
ललिता को मैंने उसकी चूत में धमधम कर के
लंड देना चालू कर दिया था. उसकी साँसे भी अब तेज होने लगी थी और वो भी अब लंड के
साथ एडजस्ट हो चुकी थी. वर्जिन होने के बावजूद उसकी चूत की चुदाई से खून नहीं
निकला वो अच्छी बात हैं, वरना वो खामखा
में डर जाती.
ललिता की चूत को मैंने जोर जोर से ठोकना चालू कर
दिया. वो भी अपनी गांड उछाल उछाल के चूत की चुदाई के मजे लेती रही. कुछ 10 मिनिट की चुदाई
के बाद मैंने अपना लंड उसकी चूत से बाहर निकाला. ललिता की चूत से झाग निकल आया था. वो इस चुदाई में कम
से कम 2-3 बार जरुर झड़
चुकी थी. मोउमिता ने गांड को चाट चाट के साफ़ किया था तो उसका इनाम भी उसे देना था
मुझे. ललिता को उठा के मैंने उसे पलंग में
लिटाया और उसकी चूत में अब लौड़ा दे दिया. मोउमिता तो पुरानी खिलाड़ी हो चुकी थी
अब. उसने तो मुझे थका ही दिया. 20 मिनिट की चुदाई के बाद जब मेरा लावा निकलने वाला ठा तब
मैंने लंड को निकाल के वही सोई ललिता के
मुहं में दे दिया. ललिता ने जैसे ही अपनी
जबान लंड के उपर चलाई सारा माल निकलने लगा. उसके होंठो पर भी बहुत सारा वीर्य आ
गया था. मोउमिता खड़ी हुई और वो मेरे लंड को और ललिता के होंठो को चाटने लगी. 1 मिनिट के अंदर
तो यह दोनों लडकियां लंड को एकदम साफ़ कर चुकी थी. मैं ललिता के लिए चांदी की पायल लाया था जो मैंने उसे दे
दी. मोउमिता को तो मैं पहले ही बहुत कुछ दे चूका था अपने लंड के अलावा. ललिता को मैंने कहा की उसे जब चाहे मुझे चूत की चुदाई
के लिए बोल सकती हैं. साथ में उसे मैंने यह भी कहा की हर वक्त फरीदपुर आना भी
जरुरी नहीं हैं, जब चाचा चाची
नहीं हुए तो मोउमिता के घर भी उसकी चूत की चुदाई कर सकते हैं. कल्पेश के फ्रिज से
दूध निकाल के मोउमिता ने चाय बनाई और फिर हम लोग थोड़ी शोपिंग के लिए मार्केट चले
गए.
सच में दोस्तों
ललिता की चुदाई का मुझे बहुत ही मजा आया
उस दिन तो. उसके बाद तो ललिता और मोउमिता
के साथ मैंने कितनी बार थ्रीसम सेक्स किया हैं, और कभी कभी ललिता
की चुदाई अकेले भी की हैं. मैं उसे आये दिनों छोटे मोटे तोहफे देता रहता
हूँ, ताकि उसकी चूत
मुझे मिलती रहे!
No comments:
Post a Comment