Saturday, 13 February 2016

चुदक्क्ड़ लौन्डिया

मस्तानी मोउमिता

प्रेषक : सौरव  चौधरी
मेरा नाम सौरव  है। मैं २६ साल का हूँ और एक प्राईवेट फ़र्म में सेल्स मैनेजर हूँ। मेरी शादी नहीं हुई है, अकेला दिल्ली में रह रहा था।
दो महीने पहले मेरी ममेरी बहन १२वीं की परीक्षा के बाद मेरे साथ रहने आ गई। उसको अभी स्पोकन ईंग्लिश का एक कोर्स करना था फ़िर दिल्ली युनिवर्सिटी से बी.ए.। उसके मम्मी-पापा उसे मेरे घर छोड़ कर चले गए और मुझे उसका गार्जियन बना गए। बी.ए. में एड्मिशन के बाद उसे होस्टल मिलने पर उसे होस्टल जाना था। उसका नाम मोउमिता  था, १८ साल की मोउमिता  की जवानी एक दम से खिली हुई थी। ५५" की मोउमिता  का रंग थोड़ा सांवला था, पर इकहरे बदन की मोउमिता  की फ़िगर में गजब का नशा था, ३४-२२-३४ की मोउमिता  को जब भी मैं देखता मेरे लंड में हल्का हल्का कड़ापन आना शुरु हो जाता। हालाँकि मैं दिखावा करता कि मुझे उसके बदन में कोई दिलचस्पी नहीं है, पर मुझे पता था कि मोउमिता  को भी मेरी नज़र का अहसास है। करीब एक सप्ताह में हम लोग काफ़ी घुल-मिल गए।
मेरे दोनों करीबी दोस्तों तरुण  और कल्पेश  से भी मोउमिता  खूब फ़्रेंड्ली हो गई थी। वो दोनों लगभग रोज़ मेरे घर आते थे।
मई के दूसरे शनिवार के एक दोपहर की बात है। मोउमिता  कोचिंग क्लास गई थी और हम तीनों दोस्त बैठ कर बीयर पी रहे थे। बात का विषय तब मोउमिता  ही थी। मेरे दोनों दोस्त उसकी फ़िगर और बॉडी की बात कर रहे थे, पर मैं चुप था।
कल्पेश  ने मुझे छेड़ा कि मैं एकदम बेवकूफ़ हूँ कि अब तक उसकी जवानी भी नहीं देखी है। मेरे यह कहने पर कि वो मुझे भैया बोलती है, दोनों हंसने लगे और कहा कि ठीक है, हम लोग उपाय करके उसको थोड़ा ढीठ बनाएंगे, पर उन दोनों ने शर्त रखी कि मैं भी मौका मिलते ही उसे चोद लूंगा और फिर उन दोनों से अपना अनुभव कहूँगा।
फिर कल्पेश  बोला- यार उसकी एक पैंटी ला दो, तो मैं अभी मुठ मार लूँ।
तभी दरवाजे की घण्टी बजी और मोउमिता  घर आ गई। सफ़ेद सलवार और पीले चिकन के कुर्ते में वह गजब की सेक्सी दिख रही थी। हम सब को बीयर के मजे लेते देख वो मुस्कुराई, तरुण  ने उसको भी बीयर में साथ देने को निमन्त्रण दिया। मेरे उम्मीद के विपरीत वो हम लोगों के साथ बैठ गई।
हम लोग इधर-उधर की बात करते हुए बीयर का मजा ले रहे थे। मोउमिता  भी खूब मजे ले रही थी।
एक-एक बोतल पीने के बाद तरुण  बोला- क्यों न हम लोग ताश खेलें, समय अच्छा कटेगा।
सब के हाँ कहने पर मैं ताश ले आया और तब तरुण  बोला- चलो अब आज के दिन को फ़न-डे बनाया जाए।
मोउमिता  ने हाँ मे हाँ मिलाई।
तरुण  अब बोला- हम सब स्ट्रीप-पोकर खेलते हैं, अगर मोउमिता  हाँ कहे तो ! वैसे भी अब आज फ़न-डे है।
मोउमिता  का जवाब था- अगर भैया को परेशानी नहीं है तो मुझे भी कोई परेशानी नहीं है।
अब कल्पेश  बोला- मोउमिता , हम लोगों के बदन पर चार कपड़े हैं, तुम अपना दुपट्टा हटाओ नहीं तो तुम्हारे पाँच कपड़े होंगे।
मोउमिता  मजे के मूड में थी, बोली- नहीं, अकेली लड़की खेलूंगी, तीन लड़कों के साथ मुझे इतनी छूट मिलना चाहिए।
तरुण  फ़ैसला करते हुए बोला- ठीक है, पर हम लड़कों के कपड़े तुमको उतारना होगा, और तुम्हारा कपड़ा वो लड़का उतारेगा जिसके सबसे ज्यादा अंक होंगे।
मैं सब सुन रहा था, और मन ही मन में खुश हो रहा था। अब मुझे लग रहा था कि मैं सच में बेवकूफ़ हूँ, मोउमिता  तो पहले से मस्त लौंडिया थी।
मेरे सामने कल्पेश  था, मोउमिता  मेरे दाहिने और तरुण  मेरे बाँए था। पहला गेम कल्पेश  हारा और नियम के मुताबिक मोउमिता  ने कल्पेश  कि कमीज उतार दी।
दूसरे गेम में मैं हार गया, और मोउमिता  मुस्कुराते हुए मेरे करीब आई और मेरा टी-शर्ट उतार दी। पहली बार मोउमिता  का ऐसा स्पर्श मुझे अच्छा लगा।
तीसरे गेम में मोउमिता  हार गई और तरुण  को उसका एक कपड़ा उतारना था। तरुण  ने अपने दाहिने हाथ से उसका दुपट्टा हटा दिया और अपने बाँए हाथ से उसकी एक चुची के हल्के से छू दिया। मेरा लंड अब सुरसुराने लगा था।
अगले दो गेम तरुण  हारा और उसके बदन से टी-शर्ट और बनियान दोनों निकल गये।
इसके बाद वाली गेम मैं हारा और मेरे बदन से भी बनियान हट गया और फिर जब तरुण  हारा तो अब पहली बार किसी का कमर के नीचे से कपड़ा उतरा। मोउमिता  ने खूब खुश होते हुए तरुण  की जींस खोल दी। मैक्रोमैन ब्रिफ़ में तरुण  का लंड हार्ड हो रहा है, साफ़ दिख रहा था।
एक नई बीयर की बोतल तभी खुली। उसके मजे लेते हुए पत्ते बंटे, और इस गेम में मोउमिता  हार गई, और कल्पेश  को उसके बदन से कपड़ा हटाना था। मोउमिता  अब मेरे सामने कल्पेश  की तरफ़ पीठ करके खड़ी हो गई, जिससे कल्पेश  को उसके कुर्ते की ज़िप खोलने में सुविधा हो।
कल्पेश  ने पहले अपने दोनों हाथ को पीछे से उसकी चुची पे ला कर दो-तीन बार चुची मसला, और फिर उसके कुर्ते की ज़िप खोल करके कुर्ते को उसके बदन से अलग कर दिया। एक बार हमारी नज़र मिली, वह मुझे देख कर मुस्कुराई। गुलाबी रंग की ब्रा में कसे उसकी शानदार छाती किसी को भी मस्त कर सकती थी। उसका एकदम सपाट पेट और गहरी नाभि देख हम तीनों लड़कों के मुँह से एक ईईईससस निकलते-निकलते रह गया।
वो एकदम सामान्य दिख रही थी। उसकी नाभि के ठीक नीचे एक काला तिल देख तरुण  बोल उठा- ब्यूटी स्पॉट भी शानदार जगह पर है मोउमिता । इतनी जानदार फ़िगर है तुम्हारी, थोड़ा अपने बदन का ख्याल रखो।
मोउमिता  बोली- कितना डायटिंग करती हूँ सौरव  भैया से पूछिए।
तरुण  अब बोला- मैं तुम्हारे अंडर-आर्म के बालों के बारे में कह रहा हूँ।
सच मोउमिता  के काँख में खूब सारे बाल थे, काफ़ी बड़े भी। ऐसा लगता था कि मोउमिता  काफ़ी दिनों से उसको साफ़ नहीं किया है। पहली बार मैं एक जवान लड़की की काँख में इतना बाल देख रहा था और अपने दोस्तों को दिल में थैंक्स बोल रहा था कि उनकी वजह से मुझे मोउमिता  के बदन को देखने क मौका मिल रहा था।
मोउमिता  पर बीयर का मीठा नशा हो गया था और वो अब खूब मजे ले रही थी हम लड़कों के साथ। वैसे नशा तो हम सब पर था बीयर और मोउमिता  की जवानी का।
मोउमिता  मुस्कुराई और बोली- चलिए अब पत्ते बाँटिए भैया। पत्ते बाँटने की मेरी बारी थी।
ब्रा में कसे हुए मोउमिता  की जानदार चुचियों को एक नज़र देख कर मैने पत्ते बाँट दिए। यह गेम मैं हार गया। मुझे थोड़ी झिझक थी।
पर जब मोउमिता  खुद मेरे पास आकर बोली- भैया खड़ा हो ताकि मैं तुम्हारी पैंट उतारूँ !
तब मैं भी मस्त हो गया।
मैंने कहा- ओके, जब गेम का यही नियम है तब फ़िर ठीक है, खोल दो मेरा पैंट, और मैं खड़ा हो गया।
मोउमिता  ने अपने हाथ से मेरे बरमुडा को नीचे खींच दिया और जब झुक कर उसको मेरे पैरों से बाहर कर रही थी तब मेरी नज़र उसके ब्रा में कसी हुई चुचियों पर थी, जो उसके झुके होने से थोड़ा ज्यादा ही दिख रही थी।
कल्पेश  ने अपना हाथ आगे किया और उसके चूतड़ पर एक हल्का सा चपत लगाया। वो चौंक गई, और हम सब हंसने लगे।
मेरा लंड फ़्रेंची में एकदम कड़ा हो गया था और मोउमिता  को भी यह पता चल रहा था।
अगली बाजी कल्पेश  हारा, और उसकी भी बनियान उतर गई। पर जब तक मोउमिता  उसका बनियान खोल रही थी, वो तब तक उसके पेट और नाभि को सहलाता रहा था।
अगली बाजी मैं जीता और मोउमिता  हार गई। पहली बार मुझे मोउमिता  के बदन से कपड़ा उतारने का मौका मिला। मोउमिता  मेरे सामने आकर खड़ी हो गई। मेरे दिल में जोश था पर थोड़ी झिझक भी थी। मुझे मोउमिता  की सलवार खोलनी थी।
मैंने अभी सलवार की डोरी पकड़ी ही थी कि कल्पेश  बोला- थोड़ा सम्भल के ! जवान लड़कियों की सलवार के भीतर बम रहता है, ध्यान रखना सौरव ।
मैं झेंप गया, मोउमिता  भी थोड़ा झेंपी, पर फ़िर सम्भल गई और बोली- मैं आत्मघाती दल की सदस्या नहीं हूँ, सीधी-साधी लड़की हूँ भाई, ऐसा क्यों बोलते हैं कल्पेश  भैया।
मैं तब तक उसके सलवार को नीचे कर चुका था, और वो अपने पैरे उठा के उसको पूरी तरह से निकालने में सहयोग कर रही थी। वो अपने दोनों हाथ से मेरे कन्धे को पकड़ कर अपने पैर ऊपर कर रही थी, ताकि मैं सलवार पूरी तरह से उतार सकूँ।
अब जब मैंने मोउमिता  को देखा तो मेरा लंड एक बार पूरी तरह से ठनक गया। गुलाबी ब्रा और मैरून पैंटी में मोउमिता  एक मस्तानी लौंडिया लग रही थी। उसका सांवला-सलोना बदन मेरे दोस्तों के भी लंड का बुरा हाल बना रहा था।
इसके बाद की बाजी कल्पेश  फ़िर हारा और मोउमिता  ने उसका पैंट खोल दिया। इस बार मोउमिता  के चूतड़ पे तरुण  ने तबला बजाया, पर अब मोउमिता  नहीं चौंकी, वह शायद समझ गई थी कि अकेली लड़की होने की वजह से उसको इतना लिफ़्ट हम लड़कों को देना होगा।
अब जबकि हम सब अपने अंडरगार्मेंट में थे, तरुण  बोला- क्या अब हम लोग गेम रोक दें, इसके बाद नंगा होना पड़ेगा।
उसने अपनी बात खत्म भी नहीं की थी कि कल्पेश  बोला- कोई बात नहीं, नंगा होने के लिए ही तो स्ट्रीप-पोकर खेला जाता है।
मैं दिल से चाह रहा था कि खेल ना रुके और मैं एक बार मोउमिता  को नंगा देखूँ।
तरुण  ने मोउमिता  से पूछा- बोलो मोउमिता , तुम अकेली लड़की हो, आगे खेलोगी?
उस पर तो मजे का नशा था। वो चुपचाप मुझे देखने लगी, तो कल्पेश  बोला- अरे मोउमिता  तुम अपने इस भैया की चिंता छोड़ो। अगर तुम मेरी बहन होती, तो जितने दिन से तुम इसके साथ हो, उतने दिन में ये साला तुमको सौ बार से कम नहीं चोदता। देखती नहीं हो, इसका लंड अभी भी एकदम कड़ा है, सुराख में घुसने के लिए।
और उसने अपना हाथ बढ़ाया और अंडरवीयर के उपर से मेरे लंड पे फ़ेर दिया। मैं इस बात की उम्मीद नहीं कर रहा था, चौंक गया। और सब लोग हँसने लगे, मोउमिता  भी मेरी हालत पे खुल कर हँसी। बीयर का हल्का नशा अब हम सब पर था।
अगली बाजी कल्पेश  हार गया और मोउमिता  मुस्कुराते हुए उसको देखी। कल्पेश  अपनी ही मस्ती में था बोला- आओ, करो नंगा मुझे। तुम्हारे जैसी सेक्सी लौन्डिया के हाथों तो सौ बार मैं नंगा होने को तैयार हूँ।
और जब मोउमिता  ने उसका अंडरवीयर खोला तो उसका ७" का फ़नफ़नाया हुआ लंड खुले में आ कर अपना प्रदर्शन करने लगा। कल्पेश  भी मोउमिता  को अपने बाँहों में कस कर उसके होठ चूमने लगा और उसका लंड मोउमिता  की पेट पे चोट कर रहा था। तीन-चार चुम्बन के बाद उसने मोउमिता  को छोड़ा तब वो अपनी सीट पे बैठी।
कल्पेश  साइड में बैठ कर अपने लंड से खेलने लगा। वह साथ में अपना बीयर का ग्लास भी ले गया।
अगले गेम में मोउमिता  हार गई और मुझे उसकी ब्रा खोलनी थी। वो आराम से मेरे सामने आ कर मेरी तरफ़ पीठ करके खड़ी हो गई, और पीठ से अपने बाल समेट कर सामने कर लिए, ताकि मैं अराम से उसके ब्रा की हुक खोल सकूँ।
मैंने प्यार से ब्रा का हुक खोला, और वो अब सीधी हो गई, ताकि मैं उसकी चुचियों पर से ब्रा निकाल सकूँ।
कल्पेश  पे सच थोड़ा नशा हो गया था, बोला- अबे साले सौरव , अब तो छू ले उसको। तेरी बहन है, बार बार चूची नंगी करके नहीं देगी तेरे को।
उसकी बात सुन मुझे खूब मजा आया, पर मोउमिता  को पता नहीं क्या लगा, बोली- मन है तो छू लीजिए सौरव  भैया।
मैं समझ गया कि अब वह भी हल्के नशे में थी। मैंने दो-चार बार उसकी चूची पे हाथ फ़ेरा।
अगली बाजी मैं हार गया। मोउमिता  खुब खुश हुई और जोर से बोली- हाँ अब करुँगी आपको नंगा सौरव  भैया।
मैं खड़ा हो गया और उसने मेरे फ़्रेन्ची को नीचे कर दिया।
मेरा फ़नफ़नाया हुआ लन्ड आजाद हो कर खुश हो गया। मेरा आधा सुपाड़ा मेरे फ़ोरस्कीन से बाहर झांक रहा था।
कल्पेश  कैसे चुप रहता, बोल पड़ा- मोउमिता  खेल लो उस लन्ड से, तुम्हारे भैया का है, हमेशा नहीं मिलेगा देखने के लिए।
तरुण  भी बोला- क्यों, मियाँ-बीवी राजी तो क्या करेगा काजी।
और दोनों हँसने लगे।
मोउमिता  मेरे लन्ड को ले कर सहलाने लगी कि तरुण  बोला- हाथ से लन्ड के साथ तो लड़के खेलते हैं मोउमिता  ! लड़की तो लन्ड का लॉलिपॉप बना कर चूसती है।
मोउमिता  से मैं यह उम्मीद नहीं कर रहा था।
पर वो मेरे लन्ड को अपने मुँह में ले कर चूसने लगी। दो-चार बार के बाद उसने बुरा सा मुँह बनाया, शायद उसको अच्छा नहीं लगा तो वो मेरा लन्ड छोड़ कर तरुण  के सामने बैठ गई।
तरुण  बोला- अब की बाजी में खेल खत्म हो जायेगा। इसलिए जो दूसरे को नंगा करेगा वो एक मिनट तक उसके प्राइवेट पार्ट को चूसेगा। मंजूर है तो बोलो वरना यहीं पे खेल समाप्त करते हैं।
मोउमिता  की आंखे लाल हो गई थी। वो अब नशे में थी। उसने पत्ते उठा लिए और आखिरी बाजी बंट गई। मैं दिल से दुआ कर रहा था कि मोउमिता  हार जाए ताकि उसकी चूत का भी आज दर्शन हो जाए।
और मेरी दुआ कुबूल हो गई। तरुण  जीत गया और मोउमिता  हार गई। तरुण  ने अब मोउमिता  हो अपनी बांहो में उठा करके उसको सेन्टर टेबल पे लिटा दिया और उसके दोनों पैरों के बीच आ गया। खूब प्यार से उसके मखमली जांघों को सहलाया और फिर मुझे और कल्पेश  को पास आने का न्योता दिया- आ जाओ भाई लोगो, अब मोउमिता  की चूत का दीदार करो।
मैं तो कब से बेचैन था इस पल के लिए।
हम तीनों दोस्त मेज को घेर कर खड़े हो गये। मोउमिता  अब तक मुस्कुरा रही थी। तरुण  ने मोउमिता  की पैंटी के ऊपर की इलास्टिक से फ़ोल्ड करना शुरु कर दिया। दूसरे फ़ोल्ड के बाद मोउमिता  की झांट की झलक मिलने लगी। धीरे-धीरे उसकी चूत की झलक भी मिलने लगी।
तरुण  ने उसके पैरों को ऊपर की तरफ़ करके पैंटी नीचे से पैरों से निकाल दी और फ़िर धीरे-धीरे उसके टांगों को थोड़ा साइड की तरफ़ खोल दिया और अब मोउमिता  की चूत की फ़ाँक एकदम सामने दिख रही थी। मोउमिता  की चूत पे २-२" के बाल थे और इन बड़ी-बड़ी झांटों की वजह से उसके चूत की घुंडी साफ़ नहीं दिख रही थी।
तरुण  ने उसकी चूत पे हाथ फ़ेरा और फ़िर उसके झांटों को साइड करके हम दोनों को उसकी पूरी चूत के दर्शन कराए।
जब मोउमिता  की नज़र मेरे से मिली तब उसने अपने हाथों से अपना चेहरा ढ़क लिया। पर अब मुझे उसकी शर्म की परवाह नहीं थी। हम में से किसी को नहीं थी।
मोउमिता  बोली- अब छोड़ दीजिए।
पर तरुण  ने उसको याद कराया कि अभी ३५ सेकेंड वो उसकी चूत चूसेगा।
इसके बाद वो मोउमिता  की चूत चूसने में लग गया, कल्पेश  मूठ मारने लगा और मैं सब चीज़ समेटने लगा। मोउमिता  के मुँह से सिसकारी निकलने लगी थी।
नई-नई जवानी चढ़ी थी बेचारी पे, इसलिए वो इतना मजा पा कर के शायद झड़ गई और बोली- अब बस, अब मुझे पेशाब आ रही है।
पर तरुण  रुकने का नाम नहीं ले रहा था। मोउमिता  ने दो-तीन बार अपने बदन को तरुण  की पकड़ से छुड़ाना चाहा, फ़िर उसी मेज पर ही तरुण  के चेहरे पे सु-सु करने लगी। तरुण  ने अब अपना चेहरा हटा लिया।
मोउमिता  ने अपना बदन एकदम ढीला छोड़ दिया और खूब मूती, फ़िर शांत हो गई।
दो मिनट ऐसे ही रहने के बाद उसे कुछ होश आया और तब वह उठी और फ़िर अपने कपड़े उठा कर अपने बेडरूम में चली गई।
हम लोगों ने भी अपने कपड़े पहन लिए।
तरुण  बोला- अब थोड़ी देर उसको अकेला छोड़ वरना वो रोने लगेगी, जब उसको लगेगा कि क्या-क्या हुआ है।
हम लोग अब पास की मार्केट की तरफ़ निकल गये, मोउमिता  तब बाथरूम में थी।
आप सब को यह कहानी कैसी लगी? बताना !
साथ ही यह भी बताना कि मुझे मोउमिता  के साथ किये गये मजे के बारे में भी लिखना चाहिए या नहीं।
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मस्तानी मोउमिता -1
प्रेषक : सौरव  चौधरी
चार दिन आरामे से बीते।
मोउमिता  के साथ ताश के बहाने नंगापने के खेल के बादि तरुण  और कल्पेश  इस बीच घर नहीं आए, पर फोन पर हमेशा मुझसे पूछा कि मैंने अब तक मोउमिता  को चोदा या नहीं।
मुझे इतना होने के बाद भी हिम्मत नहीं हो रही थी मोउमिता  से सेक्स के लिए कहने की। मोउमिता  भी ऐसे थी जैसे उस दिन कुछ हुआ ही ना हो।
खैर, जब तरुण  ने अल्टिमेटम दे दिया कि अगर आज मैंने मोउमिता  को नहीं चोदा तो वो उसे पटा के मेरे सामने चोदेगा तब मुझे भी जोश आ गया, और शाम में डिनर टेबल पर मैंने मोउमिता  से कहा,"मोउमिता , आज रात मेरे साथ सो जाओ ना प्लीज, उस दिन के बाद से मुझे बहुत बेचैनी हो रही है।"
यह बात मैंने अपना सर नीचे करके खाना खाते हुए कहा।
मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी कि मैं मोउमिता  से नजरें मिलाऊँ।
मोउमिता  ने मेरे झिझक या शर्म को समझ लिया और फिर मेरे पास आ कर मेरे सर को उठाया और कहा,"आज नहीं, दो-तीन दिन बाद !"
और मेरे होंठ चूम लिए।
मुझमें अब हिम्मत आ गई और मैंने पूछा,"आज क्यों नहीं, दो-तीन दिन बाद क्यों?"
अब मोउमिता  मुस्कुराते हुए मेरे कान के पास फ़ुसफ़ुसा कर बोली,"थोड़ा समझा करो सौरव  भैया ! अभी पीरियड्स चल रहे हैं, इसीलिए कह रही हूँ दो-तीन दिन बाद। तब तक इससे खेलो !"
कहते हुए उसने अपने स्तनों पर मेरा हाथ रख दिया। मैं खुश हो गया कि चलो अब दो-तीन दिन बाद मोउमिता  जैसी एक मस्त लौंडिया मिलेगी चोदने को।
तीसरे दिन जब मैं ऑफ़िस से लौटा तो मोउमिता  एकदम फ़्रेश लग रही थी, मुझसे बोली,"सौरव  भैया ! आज कहीं बाहर चलिए डिनर के लिए।"
वो तैयार थी। करीब एक घंटे बाद हम लोग एक चाईनीज रेस्ट्रां में बैठे थे। वो मेरे साथ ऐसे व्यवहार कर रही थी जैसे वो मेरी गर्लफ़्रेंड हो। मुझे भी मजा आ रहा था। करीब ९ बजे जब हम लौट रहे थे तब मोउमिता  ने मुझसे कहा,"रास्ते में कहीं से कन्डोम खरीद लीजिएगा सौरव  भैया।"
यह सुनके मेरा लण्ड गरम होने लगा। मैंने बात हल्के से लेते हुए पूछा,"क्यों, आज रात मेरे साथ सोना है क्या?"
और मैंने उसका हाथ जोर से दबा दिया।
वो एक कातिल मुस्कान के साथ बोली,"आपके साथ बेड पे जब मैं रहूँगी, तब आप सोएँगे या जागेंगे?"
मैंने उसको घूरते हुए कहा,"बहुत गहरी चीज हो मोउमिता  तुम, एकदम कुत्ती चीज़ हो भई।"
वो भी पूरे मूड में थी, बोली,"आप और आपके दोस्तों का किया है सब, वर्ना मैं जब आपके पास आई तब तक मुझे हेयर रिमूवर तक यूज करना नहीं आता था।"
मैंने उसके चूतड़ पे एक चपत लगाया और कहा,"हाँ, वोह तो उस दिन तेरी झांट देख कर पता चल गया है। तुम चिंता ना करो, बिना कन्डोम भी मैं जब करुंगा तो अपना माल भीतर नहीं बाहर निकालूँगा।"
और हम दोनों घर आ गए।
मोउमिता  बोली- आप चलिए, मैं तैयार हो कर आती हूँ।
पर मेरे लिए अब रुकना मुश्किल था, बोला,"इसमें तैयार क्या होना है, नंगा होना है बस।"
और मैं अपने शर्ट के बटन खोलने लगा। कुछ समय में ही मैं सिर्फ़ अपने फ़्रेंची अंडरवीयर में था।
मोउमिता  पास खड़ी देख रही थी, बोली,"बहुत बेचैनी है क्या?"
वो मुझे चिढ़ाने के मूड में थी। मैं उसकी ये अदा देख मस्त हो रहा था, पर उपर से बोला- "अब जल्दी से आ और प्यार से चुदवा ले, वर्ना पटक के चूत चोद दूंगा। साले यार लोगों ने रोज़ पूछ पूछ कर कान पका दिया है।"
मोउमिता  अब सकपकाई और पूछा,"क्या आप अपने दोस्तों से मेरे बारे में बात करते हैं?"
उसके चेहरे से चिंता दिखी तो मैंने सच कह दिया,"तरुण  और कल्पेश  रोज़ पूछते हैं, उस दिन का ताश का खेल भी मेरे और तुम्हारे बीच यही करवाने के लिए ही तो था। असल में, जब से तुम आई हो उस दिन से वो दोनों तेरे बदन के पीछे पड़े हैं।"
मोउमिता  अब सामान्य हुई,"अच्छा वो दोनों, मुझे लगा कि कोई और दोस्त को भी आपने बताया हैं। क्या आप आज रात की बात भी उनको बताएँगें?"
मैंने देखा कि अब सब ठीक है, सो सच कह दिया- "जरूर, वो जरूर पूछेंगे, और तब मैं बता दूंगा !"
और मैंने मोउमिता  को पास खींच कर अपने सीने से लगा लिया और उसके होठों का रस पीने लगा।
मोउमिता  भी सहयोग कर रही थी, हम लोग कोई ५ मिनट तक सिर्फ़ होठ ही चूसते रहे। मोउमिता  की साँस थोड़ी गहरी हो गई थी।
मैंने मोउमिता  को कहा,"चलो अब बेड पर चलते हैं।" उसने एक बच्चे की तरह मचलते हुए कहा,"मैं खुद नहीं जाउंगी, गोदी मे ले चलो मुझे। मैं तुमसे छोटी हूँ या नहीं।"
उसे बच्चों की तरह मचलते देख मुझे मजा आया, बोला,"साली, नखरा कर रही है, छोटी है तू, अभी दो मिनट में जवानी चढ़ जायेगी !" और उसको मैंने गोदी में उठा लिया।
वो मेरे सीने से लग गई और बोली,"ऐसे कभी गोदी लेते क्या आप, अगर मैं न कहती !"
मैंने जवाब दिया,"अरे तेरे जैसी मस्त लौंडिया अगर बोले तो अपने सर पे बिठा के ले जाऊँ उसे !"
मैंने उसको अपने बेड पे ला कर पटक दिया। मुझे पेशाब आ रही थी, तो बाथरूम जाते हुए मैंने कहा,"अब उतार अपने कपड़े, और नंगी हो जा, जब तक मैं आता हूँ"।
मैं जब लौटा तब भी मोउमिता  अपने पूरे कपड़ों में बेड पर दिखी। मैं थोड़ा चिढ़ गया इस बात पर। मैं बोला - "क्या साली नखरे कर रही है, मेरा लण्ड खड़ा करके। मेरे से कपड़े उतरवाना है तो आ जरा लण्ड चूस मेरा।"
वो भी थोड़ा तुनक कर बोली,"अच्छा, तो अब मैं आपकी साली हो गई। आप दो बार मुझे साली बोल चुके हैं !"
फ़िर मुस्कुराने लगी।
मैंने हँसते हुए कहा,"तो क्या तुम मुझे बहनचोद बनाना चाहती हो?"
इस बार वह सेक्सी अंदाज़ में बोली,"आप मुझे रंडी बना रहे हो तो कोई बात नहीं और मैं आपको बहनचोद भी ना बनाऊँ ?"
और वो मेरे से सट गई। मैंने उससे नज़र मिला के कहा,"मैं तो तुम्हें अपनी रानी बना रहा हूँ जान, रन्डी नहीं। पर तुम्हारे लिये बहनचोद, क्या तू जो बोल वही बन जाऊँगा मेरी प्यारी मोउमिता ।"
मैं फ़िर उसके होंठ, गाल चूमने लगा। वो साथ देते हुए बोली,"थैंक्स सौरव  भैया, पर मुझे तो रन्डी बनना पड़ेगा अब। आपके दोनों दोस्त मुझे ज्यादा दिन छोड़ेंगे ही नहीं !"
मैंने उसकी हाँ में हाँ मिलाई,"यह बात तो है, मोउमिता , पर कोइ बात नहीं एक-दो बार से ज्यादा वो लोग नहीं करेंगे। मैं जानता हूँ उनको !"
मोउमिता  थोड़ा गरम होने लगी थी, बोली,"अब छोड़ो ये सब बात और चलो शुरु करो सौरव  भैया !"
मुझे यह सुनकर मजा आया,"क्या शुरु करे तुम्हारा सौरव  भैया, जरा ठीक से तो कहो मेरी छोटी बहना।"
मेरा हाथ अब उसकी दाहिनी चुची को कपड़े के उपर से ही मसल रहा था। एक बार फ़िर मैंने पूछा,"बोल न मेरी बहना, क्या शुरु करे तुम्हारा भैया ! बात करते हुए ज्यादा मजा आयेगा मेरी जान। इसलिए बात करती रहो, जितना गंदा बात बोलोगी, तुम्हारी चूत उतना ज्यादा पानी छोड़ेगी। अब जल्दी बोलो बहन, क्या शुरु करूँ मैं?"
उसकी आँखें बन्द थी, बोली -"मेरी चुदाई"
चुदाई या तेरे चूत की चुदाई?
"मेरी चूत की चुदाई", वह बोली।
मेरे दोनों हाथ अब उसके चूतड़ों पर थे, मैं हल्के हल्के उन्हें दबा रहा था।
फ़िर मैंने उसको बेड पर बिठा दिया, और उसकी कुर्ती धीरे धीरे सर के ऊपर से निकाल दी। इसके बाद मैंने उसकी सलवार खोल दी। अब मोउमिता  मेरे सामने एक सफ़ेद ब्रा और काली पैंटी में थी।
मैने कहा,"अब ठीक है, आओ लण्ड चूस कर एक पानी निकाल दो !"
मोउमिता  अब मजाक के मूड में थी, अपनी गोल गोल आँख नचाते हुए बोली,"किसका लण्ड चुसूँ, मुझे तो कोई लण्ड दिख नहीं रहा।"
मुझे उसकी ये अदा भा गई, मैने गन्दे तरीके से कहा,"अपने प्यारे भैया का लण्ड निकालो और फ़िर उसको मुँह से चूसो, मेरी रन्डी बहना ! अपने भैया को सैंया बना के चुदवाओ अपनी चूत और फ़िर अपनी गांड भी मरवाओ !"
मैं सीधा लेट गया। मोउमिता  ने मेरा लण्ड चूसना शुरु कर दिया। मैंने उसको लण्ड से खेलना सिखाया और वो जल्दी ही समझ गई और मुझे मजे देने शुरु कर दिये। कोई १० मिनट चुसाने के बाद मेरा लण्ड जब झरने वाला था, मैने मोउमिता  को कहा कि वो तैयार रहे और फ़िर मैं उसके मुँह में झर गया। मेरे कहने से उसने मेरा सारा वीर्य पी लिया।
अब मैने उसकी ब्रा और पैन्टी खोल दी। काली काली झांटों से भरी हुई उसकी चूत का एक बार फ़िर दर्शन कर मैं निहाल हो गया। जैसे ही मेरे हाथ मोउमिता  की चूत की तरफ़ गये, वो बोली,"भैया, कुछ होगा तो नहीं। डर लग रहा है, कहीं बदनामी ना हो जाए।"
मैंने समझाते हुए कहा,"कुछ नहीं होगा। आज तक जब तुम्हारी बदनामी नहीं हुई तो अब क्यो डर रही हो?"
उसका जवाव सुन के मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। वो बोली थी,"आज पहली बार करवाऊँगी, इसीलिए डर रही हूँ।"
मैं बोला-"क्या, क्या तुम कुँवारी हो अब तक?" उसके हाँ कहने पर मुझे विश्वास नहीं हो रहा था। मैंने बोल ही दिया,"मुझे विश्वास नहीं हो रहा। एक कुँवारी लड़की होते हुए तुम उस दिन तीन तीन जवान लड़कों के सामने नंगी हो कर खेल रही थी?"
वो हँसते हुए बोली,"इसमें विश्वास न करने वाली बात क्या है? आप तीनों मुझ पर लाईन मार रहे थे कई दिन से, सो उस दिन मैं भी सोचा कि चलो आज लाईन दे देती हूँ, बस। आप लोग को मजा आया तो मुझे भी तो मजा आया।"
मैं हँस दिया,"बहुत कुत्ती चीज है तू बहना। चल लेट, जरा तेरी चूत की जाँच करूँ, कैसी कुँवारी कली है तू !"
और मैंने उसकी चूत की फ़ाँक खोल करके भीतर की गुलाबी झिल्ली की जांच की। साली सच में कुँवारी थी। सांवले बदन की मोउमिता  की चूत थोड़ी काली थी, जिससे उसके चूत का फ़ूल ज्यादा ही गुलाबी दिख रहा था। करीब १० मिनट तक उसकी चुची और चूत को चुमने चाटने के बाद मैने उसकी टांगों को चौड़ा कर के उसकी चूत को खोल दिया और खुद बीच में बैठ के लण्ड को मोउमिता  की चूत की फ़ाँक पर सेट कर लिया। मजे से मोउमिता  की आँख बन्द थी। वह अब सिर्फ़ आह-आह-आह सी सी सी जैसा कर रही थी।
मैंने मोउमिता  से पूछा,"तैयार हो मोउमिता  रानी चुदवाने के लिए? मेरा लण्ड तुम्हारी चूत को चुम्मा ले रहा है। कहो तो पेल दूँ भीतर और फ़ाड़ दूँ तुम्हारी चूत की झिल्ली? बना दूँ तुम्हें लड़की से औरत? कर दूँ तुम्हारे कुँवारेपन का अंत? बोलो जान, बोलो मेरी रानी, बोल मेरी बहना, चुदवाएगी अपने भैया के लण्ड से अपना बूर?"
अब उससे रहा नहीं जा रहा था, वह बोल पड़ी,"हाँ मेरे भैया, चोद दो मेरी बूर अपने लण्ड से। बना दो मुझे औरत। अब मुझे कुँवारी नहीं रहना।"
मैं अपना लण्ड पेलने लगा वो थोड़ा कसमसाई, शायद उसको दर्द हो रहा था। पर मैं नहीं रुका, उसकी गीली बूर में लण्ड ठाँसता चला गया। मोउमिता  इइइस्स्स्स आह करती जा रही थी और बोलती जा रही थी,"कर दो मेरे कुँवारेपन का अंत आज। मेरी बूर को जवानी का मजा दो मेरे भैया, लूट लो मेरे जवानी को और चोद कर बना दो मुझे रन्डी। चोदो मुझे भैया, खूब चोदो मुझे। मेरी जवानी का रस लूटो सौरव  भैया।"
मैं जोश में चोदता जा रहा था। हम दोनों साथ साथ बोलते जा रहे थे। मैं बोल रहा था,"चुद साली चुद। अब फ़ट गई तेरे बूर की झिल्ली। गया तेरा कुँवारा पन। लूटो मजा अपनी जवानी का। साली अभी थोड़ी देर पहले बच्ची बनी हुई थी। गोदी में घूम रही थी। अब इसी चूत से बच्चे पैदा करेगी तू मेरी बहना। मैं तुम्हें चोद कर बच्चे पैदा करुँगा। चुदो साली चुदो, खूब चोदवाओ।"
मोउमिता  भी बड़बड़ा रही थी,"अभी बच्चा नहीं। अभी मुझे अपने बूर का मजा लूटना है। खूब चुदवाऊँगी। जवानी का मजा लूटूँगी। फ़िर बच्चे पैदा करुँगी। आआआहह चोदो और चोदो मुझे। रन्डी बना के चोदो। बीवी बना के चोदो। साली बना के चोदो। बहन बना के चोदो, नहीं बहन तो हूँ ही। और आप बहनचोद हो। सौरव  भैया, बहनचोद भैया, चोदो अपनी छोटी बहन को।" मैंने अब उसको पलट दिया और पीछे से उसकी बूर में लण्ड पेल दिया और एक बार फ़िर चुदाई चालू हो गई। अब वोह थक कर निढाल हो गई थी, मैने ८-१० जोर के धक्के लगाये और फ़िर मैं भी झर गया। मैंने अपना लण्ड बाहर निकाल लिया था, मेरा माल उसके नितम्बों पर फ़ैल गया।
मोउमिता  मेरे नीचे पेट के बल बेड पे थी और मैं उसके ऊपर था। मेरा लण्ड उसके गांड की दरार पर चिपका था। हम दोनों जोर जोर से हाँफ़ रहे थे, जैसे मैराथन दौड़ कर आये हों।
तभी घड़ी ने ११ बजे का घंटा बजाया।
मैने मोउमिता  से कहा,"अब?"
वोह हाँफ़ते हुए बोली,"अब कुछ नहीं, बस सोना है"
और उसने करवट बदल ली। हम दोनों नंगे ही सो गये।
आप सब को यह कहानी कैसी लगी, बताना साथ ही यह भी बताना कि मुझे मोउमिता  के साथ और क्या-क्या हुआ वो लिखना चाहिए या नहीं।
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मस्तानी मोउमिता

प्रेषक : सन्जीव चौधरी
नमस्कार दोस्तो मेरी कहानी
मस्तानी मोउमिता -1
मस्तानी मोउमिता - 2
को पढ़ कर बहुत लोगों ने मुझसे मोउमिता  के साथ और क्या सब हुआ, वो भेजने की माँग की।
जब एक बार मोउमिता  को मुझसे चुदाने का मजा मिल गया तब फ़िर क्या परेशानी होनी थी। हम दोनों उसके बाद खुल कर बेहिचक और बेझिझक एक दूसरे के साथ मस्ती करने लगे। मोउमिता  होस्टल नहीं गई और मेरे साथ ही रहने लगी। पिछले चार महीने में हम दोनों ने सैकड़ों बार चुदाई का खेल खेला। कुछ नया ऐसा न हुआ कि आप सब को बताया जाए। मेरे दोनों दोस्त कल्पेश  और तरुण  भी आते तब भी कुछ खास न हुआ।
तरुण  को एक नई लड़की मिल गई थी और वो उसके साथ व्यस्त था। कल्पेश  ने भी मोउमिता  के साथ सेक्स करने की बात ना की, पर मोउमिता  अक्सर कहती कि पता नहीं कब आपके दोस्त लोग मेरे में अपना हिस्सा माँगेंगे। मैं
तब उसे समझाता कि वो ऐसे नहीं हैं, बहुत होगा तो एक दो बार वो तुम्हें कहेंगे पर अगर तुम ना कर दोगी तो वो जिद नहीं करेंगे।
पर अब करीब चार महीने बाद पिछले रविवार को सुबह ही कल्पेश  मेरे घर आया। मैं अखबार पढ़ रहा था और मोउमिता  टीवी देख रही थी। हम दोनों में से चाय कौन बनाए, यह अभी तय नहीं हुआ था। कल्पेश  मेरे पास बैठ गया और इधर-उधर की बात करने लगा। फ़िर तरुण  की बात आई कि वो कल रात भी अपनी गर्लफ़्रेंड के साथ था।
और तभी कल्पेश  बोला- साले तुम दोनों की चाँदी है, रोज चूत से लण्ड की मालिश करते हो। अब मैं शादी ही कर लेता हूँ, मेरे साथ भी एक हमेशा रहेगी। आज एक महीना हो गया किसी को चोदे। ब्लू फ़िल्म देख कर मुठ मारता हूँ।
असल में पहले ऐसा नहीं था, तब हम तीनों के साथ कोई रेगुलर न थी। वो अब मोउमिता  को देख रहा था, पर कह नहीं पा रहा था।
मैंने मोउमिता  को कहा- सुन रही हो ना ! कैसा बेचैन है ! अब जरा बेचारे को चाय तो पिलाओ !
मोउमिता  मुस्कुराते हुए चाय बनाने चली गई।
वो अब मुझसे पूछने लगा- क्या मोउमिता  मुझे एक बार चाँस देगी?
मैंने भी कह दिया- खुद ही पूछ कर देख ले !
तभी मोउमिता  चाय ले कर आई।वो तब एक ढीली टी-शर्ट और बरमुडा पहने थी। नीचे कोई अन्तर्वस्त्र न था, इसलिए उसकी चुचियाँ चलने से फ़ुदक रही थी। हम सब जब चाय पीने लगे तब वो बोला- मोउमिता , प्लीज न मत कहना ! बहुत मन हो रहा है, एक बार मेरे साथ कर लो ना !
वो एक दम से बोल गया था, सो मोउमिता  तुरंत जवाब न दे सकी।
कल्पेश  ने फ़िर से मोउमिता  से कहा और तब मोउमिता  ने मुझे देखा।
मैंने भी तब कह दिया- मुझे कोई परेशानी नहीं है, अगर तेरा मन है तो हाँ कह दे।
कल्पेश  अब मोउमिता  को देखे जा रहा था।
मुझे पता था कि मोउमिता  को भी एक बार का मन है कि देखे कि अलग लड़के से चुदवा के कैसा लगता है, क्योंकि वो अक्सर सेक्स करते समय ये सब बातें करती थी, और जब मैं कहता कि अलग अलग लड़की का स्वाद अलग अलग होता है, तब वो भी जोश में कहती कि वो भी अलग अलग लड़के का मजा लेगी।
मोउमिता  थोड़ा सोच कर बोली- ठीक है, जब भैया को एतराज नहीं है, तब एक बार आपके साथ कर लूंगी पर उसके बाद आप भी हमेशा मत कहिएगा। मैंने कई बार सुना है कि एक से करे रानी और बहुत से करे रंडी। आप रुकिए, नाश्ता कर के जाइएगा।
कल्पेश  अब खुशी से चहक उठा- अभी नहीं कुछ, अब बस अभी करना है, उसके बाद ही नाश्ता-वाशता !
और जब तक कोइ कुछ समझे कहे, वो मोउमिता  के चेहरे को पकड़ उसके होंठ चूमने लगा।
मोउमिता  बस उम-उम कर रही थी, और कल्पेश  उसके होंठों का रसपान कर रहा था।
मैं उसकी यह बेचैनी देख हँस पड़ा और कहा- ठीक है, भाई अब दोनों मस्ती करो, आज मैं नाश्ता ब्रेड-ऑमलेट तैयार करता हूँ, जल्दी तुम लोग खत्म करो ये सब !
कल्पेश  एक बार बोला- थैंक्स !
और तब मोउमिता  का भी मुँह फ़्री हुआ और वो भी बोली- बाप रे ! ऐसी बेचैनी का मुझे अन्दाज न था।
कल्पेश  यह कहते हुए कि हाँ आज वह बहुत बेचैन है, एक बार फ़िर मोउमिता  से लिपट गया। मैं अब वहाँ से उठ गया था, पर मुझे पता था कि कल्पेश  को इस बात से कोई फ़र्क नहीं पड़ता, हम सभी दोस्त एक दूसरे के सामने पहले दो-चार बार भाड़े की लड़की यानि काल-गर्ल चोद चुके हैं।
मुझे मोउमिता  के मुँह से निकल रही सेक्सी आवाजें सुनाई दे रही थी। मुझे पता था कि अभी कल्पेश  उसकी चूत को चूस रहा होगा। हम तीनों में कल्पेश  के चूसने की कला हमेशा ही लड़कियों को भाती रही है। करीब 40-45 मिनट बाद मैं 10 स्लाईस ब्रेड और 3 ऑमलेट ले कर कमरे में आया। कमरे में आवाजें थोड़ी कम ही थी तो मुझे लगा कि अन्तर्वासना, बेचैनी के कारण कल्पेश  एक बार फ़टाफ़ट चुदाई कर चुका होगा।
अब मेरे मन में भी था कि देखूँ कि मोउमिता  कैसे चुदवाती है। कम से कम अंत भी तो मैं देख सकता था। पर जब कमरे में घुसा तब देखा कि अभी तो असल चुदाई शुरु भी नहीं हुई है। कल्पेश  नीचे कालीन पर लेटा है और मोउमिता  उसके लण्ड को चूस रही है। दोनों मादरजात नंगे थे। मेरी तरफ़ मोउमिता  की गाण्ड थी और वो झुकी हुई थी इसलिए उसकी गीली, गुलाबी चूत की धारी थोड़ी खुली हुई दिख रही थी। मुझे भीतर आते देख मोउमिता  उठ गई और एक तरफ़ सिमट कर अपने दोनों जाँघों को भींच लिया तथा अपने हाथों से अपने चूचियों को ढकने लगी।
कल्पेश  का 7" का लण्ड अपने पूरे शवाब पर था। उसकी लाल सुपारी और सुडौलपन देखने लायक था। कल्पेश  को तब पता नहीं चला कि मैं कमरे में आया हूँ।
वो बोला- आओ मोउमिता  जरा एक बार चूस कर मेरा झाड़ दो, उसके बाद चुदाई करुँगा। सिर्फ़ लण्ड चूसाने के लिए हीं मैं अपना झाँट साफ़ रखता हूँ ताकि किसी लड़की को इन बालों से परेशानी ना हो।
अब तक वो मुझे देख कर समझ गया कि मोउमिता  क्यों उसके लण्ड से हट गई है।
मुझे भी मोउमिता  का इस तरह मुझसे शर्माना अच्छा लगा। साफ़ था कि अभी भी मोउमिता  दिल्ली की आम लड़की की तरह राँड नहीं हुई थी, छोटे शहर के संस्कार अभी बाकी थे।
मैंने बात शुरु की- आओ अब पहले नाश्ता कर लो उसके बाद ये सब करना।
कल्पेश  उठते हुए बोला- क्या साला ! के एल पी डी हो गया, थोड़ा रुके क्यों नहीं सौरव  यार?
मैंने हँस कर कहा- बहुत दिन बाद हुआ ऐसा के एल पी डी !
और तब वो भी हँसने लगा।
मैंने मोउमिता  को भी कहा- आ जाओ, अब तुम भी नाश्ता कर लो, फ़िर कर लेना ये सब।
कल्पेश  ने उसका हाथ पकड़ कर उसे उठा दिया और फ़िर दोनों मेरे दाहिनी तरफ़ सोफ़े पर बैठ गये। मोउमिता  मेरे से दूर वाली तरफ़ थी।
कल्पेश  ने अपने लण्ड को एक चपत लगाया और बोला- ले साले ! के एल पी डी !
फ़िर मोउमिता  से बोला - समझी कुछ ?
जब मोउमिता  ने न में सर हिलाया तब वो उसको समझा कर बोला- के एल पी डी माने- खड़े लण्ड पे धोखा !
अब यह सुन कर मोउमिता  भी मुस्कुराने लगी। मैंने खाना शुरु कर दिया। मोउमिता  ने अपनी टी-शर्ट गोदी में रख ली जिससे उसकी चूत छुप जाए और एक स्लाईस उठा लिया। कल्पेश  ने भी खाना शुरु किया पर अपना हाथ बढ़ा उस कपड़े को मोउमिता  की गोदी से हटा दिया- मेरा के एल पी डी और तू शरमा रही है? यह नहीं चलेगा।
मुझे मोउमिता  का इस तरह शर्माना भा रहा था, सो मैंने भी थोड़ा कह दिया- यार कल्पेश , वो अपने भैया के सामने बैठी है, और अपनी एक आँख मारी।
कल्पेश  खाते हुए बोला- चुप साले बहनचोद, रोज़ चोदते हो, गन्दी-गन्दी बात करते हो और अभी मेरे समय समझा रहे हो कि भैया के सामने बैठी है। जवानी का मजा लूटने दो साली लौन्डिया  को !
मेरा अब मन कर रहा था कि मैं मोउमिता  को कल्पेश  से चुदवाते देखूँ, सो मैं बोला- अबे साले भड़को मत, दो मजा उसको। मैं मना थोड़े कर रहा हूँ ?
फ़िर मैंने मोउमिता  से कहा- हाँ मोउमिता , बिल्कुल बिंदास हो कर लो मजा। कल्पेश  लड़की की चूत खाने में माहिर है, साला 15 साल का था तब अपनी बुड्डी मामी की चूत चूसकर ही जवान हुआ। सौ से कम लड़कियाँ नहीं चोदी होंगी इसने, आज देखो कैसे बेचैन है।
कल्पेश  ने हँस कर कहा- अरे 38-40 की थी मामी यार ! ऐसी बूढ़ी नहीं थी।
मैंने भी कहा- अबे साले ! मोउमिता  ने 19 भी पूरे नहीं किए हैं अभी !
मोउमिता  सब सुनते हुए खा रही थी। उसकी जाँघें अभी भी भिंची हुई थी जिससे उसकी चूत की फ़ाँक नहीं दिख रही थी, सिर्फ़ ऊपर के झाँट देख रहे थे।
यहाँ मैं आप लोगों को बता दूँ कि मोउमिता  के चूत और काँख पर खूब बाल हैं। (मैंने ये सब मस्तानी मोउमिता  में पहले लिखा था)
नाश्ता खत्म हुआ तब कल्पेश  का लण्ड अपना आधा जोश खो चुका था, कल्पेश  बोला- अब जल्दी से हाथ धो कर आ जाओ, तुमको फ़िर से मेरा लण्ड मस्त करना होगा, तभी सही मजा मिलेगा तुमको ! मोउमिता  सब प्लेट वगैरह ले कर बाहर निकल गई, तब मैंने कल्पेश  से कहा- मैं सब देखना चाहता हूँ, पता नहीं मोउमिता  मानेगी या नहीं? देख नहीं रहे मेरे सामने कैसे चुप-चुप थी।
कल्पेश  बोला- चिंता नहीं दोस्त, आज तुमको सब दिखेगा, साली को ऐसा मस्त कर दूंगा कि चौक पर पूरी दुनिया के सामने चुदवा लेगी, यहाँ तो बस तुम ही हो। बहुत मस्त लौन्डिया है मोउमिता , इतना तो मुझे अभी तक समझ आ गया है। जब चुदेगी तब बिन्दास चुदेगी।
तभी मोउमिता  आ गई। उसने एक तौलिए को अपने वक्ष पर लपेट लिया था, जो उसकी आधी जाँघ भी ढ़के हुए था। कल्पेश  फ़िर पहले की तरह काकीन पर लेट गया और लण्ड हाथ में ले हिला कर मोउमिता  को आने का न्योता दिया।
मोउमिता  भी पास बैठ तो गई पर सर नीचे किये हुए शायद मेरे जाने का इन्तजार करने लगी।
तभी कल्पेश  सब भाँप बोला- आ मोउमिता  डीयर, देख तेरा खिलौना, तेरा लॉलीपॉप तेरे मुँह में जाने के लिए बेकरार है। अपने भैया की फ़िक्र छोड़ो और मस्ती करो।
मैंने भी मोउमिता  की हिम्मत बढ़ाई यह कहते हुए कि मैंने तुमको कई बार चोदा, पर आज तुमको किसी और से चुदवाते देखना चाहता हूँ ! उसके बदन से तौलिया खींच दिया। फ़िर मैंने उसकी दोनों चूचियों को मसल दिया और फ़िर वहीं सोफ़े पर मोउमिता  के बिल्कुल सामने बैठ गया। कल्पेश  ने मोउमिता  को अपने ऊपर खींच लिया और मोउमिता  को अपने पूरे बदन पर फ़ैला कर उसके होंठ चूसने शुरु कर दिये।
मोउमिता  अब भी अपने दोनों टाँगों को सटाए हुइ थी, उन दोनों के सर मेरी ओर थे। मोउमिता  की छाती कल्पेश  के सीने पे दबी हुई थी। कल्पेश  अब मोउमिता  को वैसे ही चिपटाये हुए पलट गया और मोउमिता  अब उसके नीचे हो गई।वो अब उसके चुम्मे का जवाब देने लगी थी। कल्पेश  2-3 मिनट के बाद हटा और फ़िर उसकी दाहिनी चूची को चूसने लगा। वह अपने एक हाथ से उसकी बाँई चूची को हल्के से मसल भी रहा था। मोउमिता  की आँखें बन्द थी और उसकी साँस गहरी हो चली थी। जल्द ही मोउमिता  अपने पैर को हल्के हल्के हिलाने, आपसे में रगड़ने लगी। उसकी चूत गीली होने लगी थी। जैसे ही उसने एक सिसकारी भरी, कल्पेश  उसके ऊपर से पूरी तरह हट गया और मुझे उसके पैरों की तरफ़ जाने का इशारा किया। मैं अब मोउमिता  की सर की तरफ़ से हट कर उसके पैरों की तरफ़ हो गया।
कल्पेश  अब उसकी चूत पर झुका। होठों के बीच उसकी झाँटों को ले कर दो-चार बार हलके से खींचा और फ़िर उसकी जाँघ खोल दी। उसकी चूत की फ़ाँक खुद के पानी से गीली हो कर चमक रही थी। कल्पेश  अपने स्टाईल में जल्द ही चूत चूसने लगा और मोउमिता  के मुँह से आआअह आआअह ऊऊऊऊऊओह जैसी आवाज ही निकल रही थी।
कल्पेश  चूसता रहा और मोउमिता  चरम सुख पा सिसक सिसक कर, काँप काँप कर हम लोगों को बता रही थी कि उसको आज पूरी मस्ती का मजा मिल रहा है।
जल्द ही वो निढ़ाल हो कर थोड़ा शान्त हो गई।
तब कल्पेश  ने उसको कहा कि अब वो उसके लण्ड को चूस कर उसको एक पानी झाड़े। मोउमिता  शान्त पड़ी रही, पर कल्पेश  उसके बदन को हलके हलके सहला कर होश में लाया और फ़िर उसको लण्ड चूसने को कहा।
मोउमिता  एक प्यारी से अदा के साथ उठी और फ़िर कल्पेश  के लण्ड को अपने मुँह में ले लिया। वो अब मुझसे बिना शर्म किए खूब मजे लेने के मूड में थी। कभी हाथ से वो मुठ मारती, कभी चूसती और जल्द ही कल्पेश  का लण्ड फ़ुफ़कारने लगा, फ़िर झड़ भी गया।
झड़ते समय कल्पेश  ने पूछा- क्या वो माल खाएगी?
पर मोउमिता  ने ना में सर हिला दिया, तब कल्पेश  तुरंत उठा और सारा माल मोउमिता  की चूची पर निकाल दिया।
झड़ने के बाद भी कल्पेश  का लण्ड हल्का सा ही ढीला हुआ था, जिसको उसने अपने हथेली से पौंछ दिया और फ़िर मोउमिता  को कहा- अब इसको चूस कर फ़िर से तैयार कर !
मोउमिता  बोली- पानी से धो लीजिएना थोड़ा, ऐसे तो सब मेरे मुँह में चला जाएगा !
मुझे पता था कि मोउमिता  ने अभी तक लण्ड के माल को चखा नहीं है। मैं सोच रहा था कि आज मोउमिता  को मर्द के माल का स्वाद मिल जाए तो मुझे भी मजा आएगा।
कल्पेश  ने उसके अनुरोध की बिना परवाह किए कहा- चल आ जा अब, देर ना कर ! नहीं तो अगली बार माल तेरी बुर में निकाल दूँगा !
फ़िर मेरी तरफ़ देख बोला- क्या यार बहन को अभी तक बताया नहीं कि मर्द का माल लौंडिया के लिये कैसा टौनिक है?
मैंने भी जड़ दिया- हाँ यार, यह साली बहन जी की बहन जी ही रहेगी, देख नहीं रहे हो आज तक झाँट भी साफ़ नहीं की, जबकि कई बार मैंने कहा भी कि मै शेव कर दूँगा, पर देख लो ! कहती है कि मम्मी कहती है कि कुँवारी लड़की को ये बाल नहीं साफ़ करना चाहिएँ, नहीं तो मर्द समझेगा कि बीवी अन्छुई नहीं है।
कल्पेश  हँसने लगा- अब तक मोउमिता  अपने को कुँवारी समझ रही है, कमाल है? क्या इसकी माँ, जब यह घर जाएगी, तब इसको नंगा करके देखेगी?
और उसने अब मोउमिता  को नीचे लिटा दिया। फ़िर उसकी टाँगों को पेट की तरफ़ मोड़ दिया, खुद अपने फ़नफ़नाए लण्ड के साथ बिल्कुल उसकी खुली हुई बुर के पास घुटने पर बैठ गया। हल्के हल्के से लण्ड अब उसकी बुर के मुहाने पे दस्तक देने लगा था। मोउमिता  अपनी आँख बन्द करके अपने बुर के भीतर घुसने वाले लण्ड का इन्तजार कर रही थी।
कल्पेश  ने अपने लण्ड को अपने बाँए हाथ से उसकी बुर पर टिकाया और फ़िर उसको धीरे धीरे भीतर पेलने लगा। मोउमिता  के मुँह से सिसकारी निकल गई और जब लण्ड आधा भीतर घुस गया, तब कल्पेश  ने अपने वजन को बैंलेन्स करके एक जोर का धक्का लगाया और पूरा 7" भीतर पेल दिया।
मोउमिता  हल्के से चीखी- उई ई ईईई ईईईए स्स्स्स्स् स माँ आआआह !
और मोउमिता  की चुदाई शुरु हो गई। जल्द ही वह भी अपनी बुर को कल्पेश  के लण्ड के साथ "ताल से ताल मिला" के अन्दाज में हिला हिला कर मस्त आवाज निकाल निकाल कर चुद रही थी। साथ ही बोले जा रही थी- आह चोदो ! वाह, मजा आ रहा है, और चोदो, जोर से चोदो, लूटो मजा मेरी बुर का, मेरी चूत का, बहुत मजा आ रहा है, खूब चोदो ! खूब चोदो !
फ़िर जब कल्पेश  ने चुदाई की रफ़्तार बढ़ाई, मोउमिता  के मुँह से गालियाँ भी निकलने लगी- आआह मादरचोद ! ऊऊ ऊ ऊओह बहनचोद ! साले चोद जोर से चोदो रे साले मादरचोद।
कल्पेश  भी मस्त हो रहा था, यह सब सुन सुन कर मस्ती में चोदे जा रहा था और मोउमिता  की गाली का जवाब गाली से दे रहा था- ले चुद साली, बहुत फ़ड़क रही थी, देख आज कैसे बुर फ़ाड़ता हूँ। साली कुतिया, आज लण्ड से तेरी बच्चादानी हिला के चोद दूँगा। साली बेटी पैदा करके उसको भी तेरे सामने चोदूँगा इसी लण्ड से ! देखना तू !
दोनों एक दूसरे को खूब गन्दी गन्दी गाली दे रहे थे और चुदाई चालू थी।
थोड़ी देर बाद कल्पेश  थक गया शायद, और उसने अब लण्ड बाहर निकाल लिया। तब मोउमिता  ने उसको लिटा दिया और उसके ऊपर चढ़ गई। वो अब ऊपर से उसके लण्ड पर कुद रही थी और मैं उसके सामने होकर देख रहा था कि कैसे लण्ड को उसकी बुर लील रही थी।
4-5 मिनट बाद कल्पेश  फ़िर उठने लगा और फ़िर मोउमिता  को पलट कर उसको घुटनों और हाथों पर कर दिया फ़िर पीछे से उसकी बुर में पेल दिया, बोला- अब बन गई ना मोउमिता  तू कुतिया ! साली चुद और चुद साली ! मम्मी को अपना झाँट दिखा के बेवकूफ़ बना और यहाँ लण्ड खा गपागप गपागप गपागप। मादरचोद ! भैया से चुदी, अब भतार से चुद चुद साली रन्डी। एक से चुदे बीवी, दो से चुदे कौन, बोल रन्डी, बोल साली कुतिया, बोल दो से चुदे कौन?
और वो बोल पड़ी- रन्डी रन्डी, साले बहनचोद तुम लोगों ने मुझे रन्डी बना दिया।
कल्पेश  अब एक बार फ़िर लण्ड बाहर निकाल लिया और फ़िर उसको सीधा लिटा दिया। ऊपर से एक बार फ़िर चुदाई शुरु कर दी।
वो बोले जा रहा था- रन्डी,रन्डी, मोउमिता  कौन, मोउमिता  कौन?
मोउमिता  बोलती- मोउमिता  है रन्डी, मोउमिता  है रन्डी।
और करीब 30 मिनट के बाद मोउमिता  एक बार फ़िर काँपने लगी, वो फ़िर एक बार झर रही थी। तभी कल्पेश  भी झरा- एक जोर का आआआआह और फ़िर पिचकारी मोउमिता  की झाँट पे। सारा सफ़ेद माल काली काली झाँटों पर फ़ैल गया। दोनों निढ़ाल हो कर अब एक दम शान्त हो कर एक दूसरे के बगल में लेट कर शन्त हो गये। मेरा लण्ड भी यह सब देख अपना माल मेरी पैंट में निकाल चुका था। अब एक दम शान्ति थी।
करीब 5 मिनट तक वैसे ही रहने के बाद मोउमिता  उठी और अपने कपड़े ले कर बाथरुम में चली गई। कल्पेश  भी अपने कपड़े पहनने लगा- यार बहुत मस्त माल है ये, थैंक्स !
मैंने कहा- हाँ यार, पर अब उसको परेशान नहीं करना, या चिढ़ाना मत।
कल्पेश  बोला- क्या दोस्त, अभी तक तुझे लगता है कि मैं ऐसा कमीना हूँ? यार मुझे पता है कि लड़की को कैसे इज्जत देनी चाहिए।
मोउमिता  तब तक आ गई थी और बात भी सुनी थी, कल्पेश  भी उसको बोला- हाँ, मोउमिता  तुम बिल्कुल दिल पर न लेना कोई बात। यह सब बस करते समय की बात है, जो भी मैं बोला ! अब आगे से जैसा पहले था, वैसा ही रिश्ता रहेगा हम लोगों का !
मोउमिता  ने मुस्कुराते हुए कहा- मुझे पता है कल्पेश  भैया, मैं चाय बनाती हूँ।
वो बाहर निकल गई, और हम दोनों दोस्त टीवी खोल कर बैठ इधर-उधर की बातें करते हुए चाय का इन्तज़ार करने लगे।
आपको यह कहानी कैसी लगी, बताना साथ ही यह भी बताना कि मुझे सिर्फ़ मोउमिता  के साथ किये गये मजे के बारे में लिखना चाहिए या कुछ और भी लिखना चाहिए?
वैसे कल्पेश  के बारे में दो-चार बात है मजेदार बताने के लिए !
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प्रेषक : सौरव  चौधरी
नमस्कार दोस्तो, मेरी कहानी
मस्तानी मोउमिता -1
मस्तानी मोउमिता -2
मस्तानी मोउमिता -3
को पढ़ कर बहुत लोगों  मुझसे मोउमिता  के साथ के सेक्स मजे के बारे में और लिखने को कहा। अपने उन सभी पाठकों के लिए मैं उससे आगे की घटना ले कर आया हूँ।
जब तरुण  को पता चला कि कल्पेश  ने भी मोउमिता  की कमसिन जवानी का मजा लूट लिया है तब उसने भी मोउमिता  के साथ सेक्स करने की इच्छा जताई। तरुण  और कल्पेश  मोउमिता  के लिए नये नहीं थे और जब से उसने वो ताश का खेल हम लोगों के साथ खेला था तब से ही उसको पता था कि उसको मेरे दोनों दोस्त आज न कल चोदेंगे ही। साथ ही मैं भी कहता कि तुम परेशान न हो, वो अगर सेक्स करेंगे भी तो हमेशा नहीं एक दो बार ही करेंगे, क्योंकि उनको पता है कि तुम मेरी बहन कम गर्लफ़्रेन्ड ज्यादा हो।
मानसिक रूप से मोउमिता  भी कल्पेश  से चुदाने के बाद तरुण  से सेक्स करने के लिए तैयार थी। जब तरुण  ने मुझे अपनी इच्छा बताई तो मैंने उसको सीधे मोउमिता  से बात करने को कहा। अगले रविवार को हम तीनों दोस्त जमा थे और मोउमिता  चिकेन पका रही थी कि फ़िर तरुण  ने यह बात की। तय हुआ कि आज खाने की मेज पर तरुण  मोउमिता  से बात कर ले।
जैसा तय था, खाने की मेज पर तरुण  ने मोउमिता  से पूछ लिया कि क्या वो उसके साथ एक बार सेक्स करेगी। मोउमिता  भी मुस्कुरा कर बोली कि वो तो बहुत पहले से ही ये सोच रही है कि इतने दिनों तक आखिर तरुण  भैया यह बात कह क्यों नहीं रहे हैं और फ़िर उसने तीन चार दिन बाद की बात कही क्योंकि तब उसके पीरियड्स के दिन शुरु हो गये थे।
कल्पेश  ने ठहाका लगा कर जोर से कहा- "के एल पी डी"
और हम सब हंसने लगे। तरुण  का चेहरा देखने लायक था। फ़िर वो मोउमिता  से बोल पड़ा- ठीक है पर रोकने का मुझे हर्जाना देना होगा।
मोउमिता  भी हंसते हुए पूछन लगी- क्या?
और तरुण  ने कहा-तुम्हें मुझसे अपनी गाण्ड भी मरवानी होगी !
मुझे पता था कि तरुण  साला एक नम्बर का हरामी है और चुदाई के मामले में वो लड़की से पूरा मजा लूटता है।
अब मुझे मोउमिता  के जवाब का इंतजार था, उसका जवाब तुरंत आया- नहीं रे बाप, जब आगे घुसवाने में इतना दर्द होता है तब वहाँ करवाने में तो मैं मर जाउँगी !
पर तरुण  भी मिन्न्तें करने लगा। जहाँ मोउमिता  कहती कि नहीं और तरुण  कहता- सिर्फ़ एक बार ! इसके बाद वो कभी मोउमिता  से सेक्स की मांग नहीं करेगा।
थोड़ी देर बाद जब मोउमिता  का सुर बदलने लगा तो मुझे भी लगने लगा कि अब मोउमिता  को सेक्स में पूरा पी०एच०डी० मिल जायेगा।
मोउमिता  ने तब कहा था- अभी तक सिर्फ़ मैंने सुना है गाण्ड चोदन के बारे में !
तब कल्पेश  ने भी मोउमिता  को चढ़ाया कि वो एक बार यह अनुभव भी ले।
मोउमिता  ने तब मुझसे पूछा कि क्या मैंने कभी ऐसा किया है, और मैंने सच कह दिया कि नहीं, पर साथ ही कहा कि तरुण  ही ऐसा करता रहता है लड़कियों के साथ, वो इस मामले में अनुभवी है।
कल्पेश  ने अपनी बात कही कि उसने दो-चार बार गांड मारी है और उसको खूब मजा आया, पर सब लड़कियाँ राजी नहीं होती हैं इसलिए बहुत मौका नहीं मिला।
तरुण  ने उसको तब आश्वस्त किया कि वह मोउमिता  को खूब प्यार से पहले गांड मरवाना सिखाएगा और तब उसकी गाण्ड मारेगा।
मोउमिता  भी तब बोली- ठीक है, पर अगर मुझे दर्द हुआ तो आप भी रुक जाएँगे !
और मुझे और कल्पेश  को इसकी गारंटी लेने को कहा। मुझे तो कोइ आपत्ति होनी नहीं थी। मैं खुश था कि चलो अब मोउमिता  के साथ मुझे और ज्यादा मजा का मौका मिलेगा। आखिर तरुण  से गाण्ड मराने के बाद उसको मुझसे तो मरवाना ही था।
तय हुआ कि तरुण  रोज़ शाम को एक घण्टा मोउमिता  के साथ बितायेगा और धीरे धीरे उसके डर को एक सप्ताह में खत्म करेगा। गुरुवार को तरुण  का फ़ोन आया कि आज वो शाम आठ बजे आयेगा। उस दिन वो एक डी०वी०डी० लाया जिसमें करीब बीस क्लिप थी, सब में 20-22 साल की लड़कियों को चोदा गया था और गाण्ड भी मारी गई थी। दो क्लिप भारत की भी थी।
चाय पीने के बाद तरुण  ने उस फ़िल्म को चला दिया और फ़िर मोउमिता  को अपने सोफ़े के सामने टीवी की तरफ़ मुँह करके झुकने को कहा। मोउमिता  सेन्टर टेबल के सहारे झुक गई और फ़िल्म देखने लगी। तरुण  ने उसका लम्बा स्कर्ट कमर से ऊपर कर दिया और फ़िर पैन्टी खोल दी।
मोउमिता  अब तक बिल्कुल बेशर्म हो गई थी, बोली- आप तो बोले थे कि मुझे पहले सिखाएँगे कि कैसे किया जाता है, फ़िर अभी क्यों?
तरुण  हँसा-"हाँ मुझे याद है ! आज तुमको सिखाउँगा ही, कुछ दिन में जब तुमको अपनी गाण्ड की मांसपेशियाँ खुद ढीला करना आ जायेगा तब पेलूंगा भीतर !
और फ़िर उसने मोउमिता  की बुर पर हाथ फ़ेरना शुरु किया। फ़िल्म देखते हुए और बुर को ऐसे मसलवाते हुए मोउमिता  भी धीरे धीरे कसमसाने लगी। जब उसकी बूर पनीया गई। तब तरुण  ने उसकी बुर के पानी को ही उसकी गाण्ड के छेद पर लगाया और फ़िर थूक लगा लगा कर मोउमिता  की गाण्ड से खेलने लगा। उसका एक हाथ बूर के साथ खेल रहा था और एक हाथ गाण्ड के साथ।
15 मिनट बाद तरुण  ने अपनी उँगली मोउमिता  की गाण्ड में ठेली। उसकी उँगली के दबाब को महसूस कर मोउमिता  पीछे पलटी, पर फ़िर उसको पता था कि क्या होना है सो वापस अपना ध्यान टीवी पे ले गई। इसी तरह से रोज़ गाण्ड में उँगली करते करते चार दिन बाद रविवार को जब कल्पेश  भी था तब तरुण  ने हमें दिखाया कि मोउमिता  अब बड़े प्यार से अपना गाण्ड ढीली करके दो ऊँगलियाँ भीतर ले रही थी।
इस चार दिनों में जिस तरह से मोउमिता  को तैयार किया जा रहा था, उसमें मोउमिता  को खुद मजा आने लगा था। उसे लगता था कि वो एक स्पेशल लड़की है। मैंने भी जब उसको चोदा या घर में जब मौका मिला उसकी गाण्ड में उँगली जरूर की। उसको अब समझ में आने लगा था कि इस काम का एक अलग मजा है।
मंगल को एक छुट्टी थी, तय हुआ कि उसी दिन दोपहर में मोउमिता  की गाण्ड का उदघाटन हो। तरुण  ने मोउमिता  को पेट साफ़ करने के लिए दवा दी और कहा कि सोमवार की रात वो उसे खा ले और फ़िर मंगल को जब तक उसकी गाण्ड नही मारी जाती वो खाली पेट रहे।
मैं और कल्पेश  ऐसे बेचैन हो रहे थे कि जैसे एक बहुत बड़ा कारनामा देखने वाले हो। सच में हमने कभी किसी लड़की को गाण्ड मरवाते नहीं देखा था और वो भी जब वो पहली बार ऐसा करवा रही हो। हम यह जानते थे कि तरुण  अक्सर लड़कियों की गाण्ड मारता है पर हम सबने जब भी साथ-साथ सेक्स किया, तरुण  ने लड़की को चोदा ही था।
मुझे अब मंगल का बेसब्री से इंतजार था, क्योंकि मेरे लिए पहला मौका होता जब मैं किसी लड़की को गाण्ड मराते देखता, हालाँकि ब्ल्यू फ़िल्मों में मैंने कई बार देखा था फ़िर भी एकदम सामने किसी लड़की को पहली बार गाण्ड मराते देखना कम किस्मत बात नहीं थी।
मंगल को करीब 11 बजे तरुण  आया। कल्पेश  उसके पहले ही आ गया था। हम सबने चाय पी जो मोउमिता  ही बनाई।
चाय पीने के बाद तरुण  बोला- मोउमिता  अब जाओ और अपनी बुर और गाण्ड अच्छे से धो लो, फ़िर मैं भी अपना लण्ड धो कर तुमको एकदम नया मजा देता हूँ !
अब तक मोउमिता  भी अपनी गाण्ड में लण्ड का मजा लेने के लिए उत्सुक हो गई थी, बोली- भीतर चलिए न तरुण  भैया कमरे में ! वही कपड़े खोल कर बाथरुम में धोकर बिस्तर पर आ जाऊँगी !
हम सब अब बेडरुम में आ गए। तरुण  ने अपने कपड़े खोले और फ़िर अपने लण्ड को हाथ से सहलाते हुए बाथरुम की तरफ़ बढ़ गया। मोउमिता  ने भी अपना टॉप-स्कर्ट खोल दी और सिर्फ़ पैन्टी में बाथरुम की तरफ़ चल दी।
तरुण  अब वापस आ रहा था। उसका लण्ड अब आधा कड़ा हो गया था। उसने जब मोउमिता  को पैन्टी पहने देखा तब बोला- अब मोउमिता , पैन्टी भी खोलो ना, अब हम तीनों से क्या शर्म है तुमको !
मोउमिता  मुस्कुराई और वहीं खड़े हो कर पैन्टी नीचे करके पैर से फ़ुटबाल को किक करने के स्टाईल में उसको कल्पेश  और मेरी तरफ़ उछाल दिया। कल्पेश  ने उस पैन्टी को कैच किया और उसकी खुशबू लेने लगा।
वो उसको ऐसे करते देख जोर से हँस दी, बोली- आप तीनों को मैं भैया बोलती हूँ, फ़िर भी आप लोग कितने बेशर्म की तरह मेरे लिए करते हैं।
कल्पेश  साला अब कहाँ चुप रहता, बोला- अरे तुमको भी तो हम लोग छोटी बहन समझ कर ही प्यार करते हैं। अगर हम लोग इस जवानी में तुम्हारा ख्याल नहीं करेंगे तब तुम भी जैसे हम कभी कभी रंडी-बाजी करते हैं, किसी ऐरे-गैरे से चुदाने लगी तब बदनामी होगी की नहीं। यही सोच कर हम लोग तुम्हें इतना खुश रखते हैं। अब देखो आज तुम्हारी गांड के लिए हम सब कितने दिन से बेचैन हैं। तरुण  भी हँसते हुए जोड़ दिया- वैसे भी हम लोगों को बहनचोद कहलाने में कोइ परेशानी नहीं है !
और मेरी तरफ़ देख कर आँख मार दी।
"सही में तुम लोग बहनचोद हो", कहते हुए मोउमिता  बाथरुम में घुस गई।
शेष कहानी अगले भाग में !
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मस्तानी मोउमिता -5


प्रेषक : सौरव  चौधरी
मोउमिता  जब बाहर आई तब कमर के नीचे का हिस्सा पानी से भीगा हुआ था, जिसे देख सुनित आगे बढ़ा और मोउमिता  के टॉप से उसके बदन को सुखाने लगा।
मोउमिता  की लम्बी लम्बी झाँटों को देख बोला- कितने दिन से नहीं काटा इनको, मोउमिता ?
मोउमिता  भी बोली- आज तक सिर्फ़ एक बार कैंची से काटी थी, 15 साल की थी, जब नौवीं क्लास में थी। मम्मी ने बहुत डांटा था बाद में ! उसके बाद फ़िर नहीं काटी।
मैंने तब पूछा- तुम मामी को बताया था क्या कि तुमने झाँट साफ़ की है?
वो बोली-नहीं, पर मम्मी सुबह झाड़ू लगाते समय मेरे कमरे में बड़े-बड़े बाल देख समझ गई और मुझसे पूछा कि ये सब बाल कैसे हैं तो मैने इशारे से बताया।
फ़िर तो वो बहुत गुस्सा हुई और मेरा सलवार खुलवा कर देखा। मुझे तब बहुत शर्म आई, पर वो मेरे चूत को देख काफ़ी गुस्साई और कहा कि अगर ऐसे करने में कोई कट-छिल गया तो कितनी परेशानी होगी, कैसे डाक्टर के पास जा कर ऐसे दिखाओगी?
तब से फ़िर हिम्मत नहीं हुई ऐसा कुछ करने की !
तरुण  बोला- तभी तुम यहाँ हम लोग से खूब मजे से चुदवा रही हो, अब तुम्हारी मम्मी अगर तुमको नंगा करके तुम्हारी चुदी हुई बुर देखेगी तब क्या होगा?
मोउमिता  अब अपने रंग में आने लगी थी, बोली- होगा क्या, चिल्लाएगी खूब ! उन्होंने मुझे कितना दबा कर रखा है, सिर्फ़ मैं ही जानती हूँ। मम्मी का ये न करो, वो न करो भी तब से शुरु हुआ और आज तक चल रहा है। मुझे याद है, एक बार वो अपने खिड़की से सड़क पर एक कुत्ते के जोड़े को देख रही थी। एक कुत्ता कुतिया के उपर चढ़ कर खूब तेजी से उसको चोद रहा था। मम्मी को पता नहीं चला कि मैं पीछे खड़ी हूँ और उनको कुत्ते-कुतिया को मस्ती करते देख रही हूँ।
फ़िर जब पास के एक लड़के ने एक पत्थर उनकी तरफ़ फ़ेंका तब कुत्ता पलट गया और उसका लण्ड कुतिया की भीतर था, और जैसे ही कुत्ता पत्थर से डर कर इधर-उधर जाने लगा, कुतिया भी साथ साथ खिंची जा रही थी। मुझे तब यह देख हँसी आ गई और मम्मी ने तब देखा कि मैं भी वहीं साथ ही सब देख रही हूँ। वो बहुत गुस्साई और मुझे 3-4 थप्पड़ लगा दिए।
जब मैंने कहा कि क्या हो गया अगर मैंने देखा, आप भी तो देख रही थी।
तब गुस्से में वो बहुत बोली।
तभी मैंने सोच लिया कि जब मौका मिलेगा, तब वो सब करुँगी जो मम्मी नहीं करने देती। इसीलिए उस दिन जब आप लोग ताश खेलने को बोले तो मैं तैयार हो गई कि अब मुझे वो सब कर लेना है, जो मम्मी के साथ रहते नहीं कर सकती।
मुझे मामी के मिजाज के बारे में पता था। पर यह सब सुन तरुण  बोला- ठीक है, फ़िर आज देखो कैसे तुमको मजा देते हैं। आज तुम्हें एक रन्डी मान के पूरा पैसा वसूल चुदाई करुँगा।
और फ़िर उसने मोउमिता  को अपने गोद में खींच लिया। दोनों ने एक दूसरे के साथ चुम्मा चाटी शुरु दी। तरुण  धीरे-धीरे मोउमिता  के होंठ से शुरु करके उसकी चूचियों पर ध्यान दे रहा था और मोउमिता  उसके लण्ड को सहला रही थी।
तरुण  का लण्ड अब कड़ा हो गया था। उसने मोउमिता  को बेड पर सीधा लिटा दिया और टाँगें खोल कर उसकी चूत के बाहर के होंठ फ़ैला कर जीभ से चूत की चटाई शुरु कर दी। मोउमिता  अब गीली होने लगी थी। उसने सिसकी निकालनी शुरु कर दी। तब तरुण  उसके चूत की चमड़ी को और फ़ैला कर उसकी टीट(भगनासा) को चूसने लगा।
फ़िर उसने मोउमिता को अपने मुँह से भी पूरा बेचैन करने के बाद अपना लण्ड एक धक्के में ही मोउमिता  की चूत में पेल दिया अर जोरदार चुदाई शुरु कर दी। मोउमिता  के पूरे जिस्म में जैसे आग लगी थी और वो खूब जम कर तरुण  के धक्के से धक्का मिला कर चुदवा रही थी।
आह आह की आवाज से मेरे और कल्पेश  का लण्ड ठनक गया था। मोउमिता  का बदन थरथरा कर थोड़ा ढीला हुआ, वैसे ही तरुण  ने अपना लण्ड उसकी चूत से बाहर निकाल लिया, फ़िर उसको पलटने को कहा। मोउमिता  अभी और चुदाना चाहती थी पर मैं समझ गया कि अब मोउमिता  की गांड मारी जानी है।
तरुण  ने उसको फ़िर कहा- पलट और गाण्ड मरवाने को तैयार हो जा !
मोउमिता  अब समझ गई कि आज की असल चुदाई तो अब शुरु होगी।
वो चुदाने के लिए बेचैन थी, बोली-"ठीक है, आज यह भी हो जाए ! जब चुदवाना ही है तो पूरी रन्डी बना दीजिए मुझे।
वो मुझे देख के बोली- आज भैया मुझे आप दोनों भी चोदिए, मेरे बदन का पूरा मजा लूटिए !
तरुण  को देर बर्दाश्त हो नहीं रही थी, वो खीज कर बोला- चल इधर साली कुतिया, पहले मेरे से गाण्ड मरवा फ़िर अपने भाई से चुदाना !
वो बेशर्म की तरह बोली- ओह साले कुत्ते हो क्या तुम तरुण  भैया ! कि इस कुतिया को चोदने के लिए तड़प रहे हो?
और उसने पलट कर अपनी गाण्ड उभार दी। तरुण  भी मजा लेने के लिए अपने दाँए हाथ के अँगूठे को भीतर घुसा उसकी गाण्ड खोलने लगा, साथ ही बोला- हाँ रे मोउमिता  बहना, जब तुम्हारे जैसी रन्डी सामने कुतिया बन के गाण्ड खोल दे तब मुझे कुत्ता बनने में कोइ परेशानी नहीं है, अपने बाकी दोनों भाइयों से पूछ लो, वो बहनचोद बनेंगे या कुत्ते ?
वो जब तक हम लोगों से कुछ कहे, तरुण  उसकी गाण्ड में लण्ड पेलना शुरु कर दिया। एक इन्च लौड़ा भीतर गया होगा कि मोउमिता  के चेहरे पे शिकन दिखने लगी और जब करीब तीन इन्च भीतर घुसा तो उसने परेशानी महसूस करके ना ना करना शुरु किया।
तरुण  ने उसको पुचकारा और फ़िर हल्के से दबा दिया। वो अब बिस्तर के करीब हो गई थी और थोड़ा शांत थी। तभी तरुण  ने अपने दोनों हाथों से उसकी कमर को पकड़ थोड़ा ऊपर उठाया और अपना सबसे जोरदार धक्का लगाया।
मोउमिता  जोर से चीखी पर तरुण  का लण्ड पूरा सात इन्च का उसकी गाण्ड के भीतर चला गया। वो दर्द से परेशान थी पर बोले जा रही थी- चोदो, गाण्ड मारो मेरी, रुको मत ! पेलो पूरा ! आज तुम्हारी कुतिया हूँ मैं।
तरुण  चुपचाप उसकी गाण्ड मारे जा रहा था और थोड़ी देर में ही मोउमिता  भी उसका साथ देने लगी।
कल्पेश  से अब बर्दाश्त नहीं हो रहा था, वो अपने कपड़े खोलने लगा, तो मोउमिता  ने मुझे भी आने को कहा। फ़िर उसने हम दोनों के लण्ड को बारी बारी से चूसना शुरु किया। तभी तरुण  उसकी गाण्ड में ही झड़ गया। मोउमिता  की गाण्ड से उसका माल बह रहा था। वो अभी नहीं झड़ी थी और बिना तरुण  की चिन्ता किए वो हम दोनों के लण्ड मजा दे रही थी। फ़िर उसने मुझे कहा कि मैं अब उसकी चूत में पेल कर चोदूँ।
मैंने तुरन्त पीछे जा उसकी बूर की चुदाई शुरु कर दी।
वो बोली- आप मेरे मुँह में झाड़िएगा।
मैंने तेजी से उसकी चूत चोदी। उसकी चुदाई और गाण्ड मराई देखकर वैसे भी मैं आधा मजा पा चुका था, इसलिए जल्दी ही मैं झड़ने की स्थिति में आ गया और लण्ड उसकी चूत से निकाल सामने की तरफ़ चला गया। मोउमिता  अब बिस्तर पर सीधा लेट गई, कल्पेश  अब ऊपर से उस पर चढ़ गया और उसको चोदने लगा। मैंने उसके मुँह में अपना माल निकाल दिया, तभी कल्पेश  भी उसकी चूत में झड़ गया। मोउमिता  मेरा माल खा गई और बोली- वाह, मजा आ गया, भाई लोगो ! आज मेरे तीनों छेदों में लण्ड का माल गिरा !
हम सब अब थक गये थे। मोउमिता  अपनी चूत से कल्पेश  का माल अपने उँगली से निकाल निकाल कर चाट रही थी, तरुण  से बोली- सॉरी भैया, आपका बाद में कभी खा लूंगी, गाण्ड में से निकाल कर मैं नही खा सकती !
तरुण  खुश हो कर बोला- ओए जी, कोइ गल नई !
हम सब हंसने लगे। तभी मोउमिता  बोली- अब मम्मी को फोन करती हूँ, कई दिन हो गये बात किए !
मैं थोड़ा अचकचाया- क्या बात करोगी अभी मोउमिता ?
वो मुस्कुरा कर बोली- कहूँगी कि उनकी लाडली बेटी को उनके प्यारे भांजे ने एक दम रण्डी बना दिया और अपने दोस्तों के साथ मिल कर रोज दो घन्टा चोदता है !
मेरी घिग्गी बंध गई पर तभी वो हँस दी। हम सब उसकी बदमाशी समझ गए और हमारी जान में जान आई। वो मोबाईल पर बात करने लगी। तरुण  और कल्पेश  कपड़े पहनने लगे।
वो नंगी ही थी और मै देख रहा था कि वो अपने माँ से कितने भोलेपन के साथ बात कर रही थी। बीच बीच में अपने बुर में उँगली डाल कर उसको चाट भी रही थी। सच आज उसको देख लग रहा था कि 4-5 महीने में ही कैसे वो एक छुई-मुई सी लड़की से कैसी चुदक्क्ड़ लौन्डिया बन गई थी- एकदम बेशर्म और बिंदास।
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