मेरे विद्यार्थी और मैं उनकी टीचर
मेरा नाम मोउमिता है। बचपन से ही मुझे चुदस की बड़ी ललक है।
मैं स्कूल में बायलोजी विषय की टीचर थी. १२ वीं
क्लास को पढाती थी. मेरी क्लास में लड़के और लड़कियां दोनों ही पढ़ते थे. स्कूल
में साड़ी पहनना जरूरी था. मैं दूसरी टीचर्स की तरह खूब मेक-अप करती और खूबसूरत
साडियाँ पहन कर स्कूल आती थी, जैसे
कोई स्पर्धा चल रही हो. क्लास में मुझे रोहित बहुत ही अच्छा लगता था. वो १८ साल का
एक सुंदर लड़का था, लंबा भी था, और हमेशा मुझे देख कर मुस्कुराता था, बल्कि खुश होता था. उसकी मतलबी
मुस्कराहट मुझे बैचैन कर देती थी. मुझे भी कभी कभी लगता था कि रोहित मुझे अपनी
बाँहों लेकर चूम ले ... रोहित ही आज की कहानी का नायक है.
हमेशा की तरह आज भी क्लास में मैं पढ़ा रही थी.
मैंने विद्यार्थियों को एक सवाल का उत्तर लिखने को दिया. सवाल सरल था. सभी लिखने
लगे, पर रोहित मुझे बार बार देख रहा था. उसे
देख कर आज मेरा मन भी मचल गया. मैं भी मुस्कुरा कर उसे निहारने लगी. वो मुझे
लगातार देखता ही जा रहा था,
कभी कभी उसकी नजरें झुक भी जाती थी.
मुझे लगा कि कुछ करना चाहिए. मैं घूमते हुए उसके पास गयी, उसके कंधे पर हाथ रख कर बोली,"रोहित कुछ मुश्किल है क्या ..."
मैंने उसका कन्धा दबा दिया.
"न ...नहीं ...मैम ......
" मैं उस से सट गई. उसके कंधे का स्पर्श मेरी जाँघों में हुआ. मैं सिहर
उठी. क्लास के बाद मैंने पेपर ले लिए. छुट्टी के समय मैंने रोहित को बुलाया और कहा," मैंने तुम्हारा पेपर चेक कर लिया है
..रोहित, तुम बायोलोजी में कमजोर हो ... तुम्हे
मदद की जरूरत हो .... तो घर पर आकर मुझसे पूछ सकते हो."
"जी मैम ... मुझे जरूरत तो है ...पर आपका घर का पता नहीं मालूम है
..."
"रोहित तुम कहाँ रहते हो?...." उसने अपने घर का पता बताया. वो मेरे घर से काफ़ी दूर था।
"अगर तुम्हें आना हो तो ४ बजे शाम को आ जाना ...... मेरा पता ये है
.." मैंने अपने घर का पता एक कागज़ पर लिख कर देते हुए कहा
"जी ... थैंक्स ." रोहित से एक तरह की खुशबू आ रही थी, जिसे मैं महसूस कर रही थी.
शाम को वो ४ बजे से पहले ही आ गया. मैं उस समय
लम्बी स्कर्ट और ढीले ढाले टॉप में थी. मेरे बड़े और भारी स्तन उसमें से बाहर निकल
पड़ रहे थे. तब मैं सोफे पर बैठी चाय पी रही थी. मैंने उसे भी चाय पिलाई.
फिर मैंने कहा -"किताब लाये हो ...."
उसने किताब खोली.... मैं उसे पढ़ाने लगी. मैं सेंटर टेबल पर इस तरह झुकी थी कि वो
मेरी चुंचियां अच्छी तरह देख सके ..... ऐसा ही हुआ ...... उसकी नजरें मेरी
चुन्चियों पर गड़ गयी. मैंने काफी देर तक उसे अपनी चुन्चिया देखने दी ....मुझे अब
विश्वास हो गया कि वो गरम हो चुका है. मैंने तुंरत ही गरम गरम लोहे पर चोट की
..."रोहित .!..!... क्या देख रहे हो ....???"
वो बुरी तरह से झेंप गया. पर सँभलते हुए बोला
....."नहीं कुछ नहीं मैम ....!"
मैंने देखा उसका लंड खड़ा हो गया था,"मुझे पता है तुम कहां झांक रहे हो ....
तुम अपनी घर में भी यही सब करते हो? अपनी
माँ बहन को भी ऐसे ही देखते हो क्या ...?… तुम्हें
शर्म नहीं आती ?..."
वो घबरा गया ..."मैम वोऽऽ ...वोऽऽ .... आई
एम् सॉरी ..."
"सॉरी क्यों?.....
तुम्हें जो दिखा, तुमने देखा ....तुमने मेरा स्तन देखे
पर मेरा टॉप तो उतार कर नहीं देखे हाथ नहीं लगाया फ़िर सॉरी किस बात की ?…मिठाई खुली पड़ी हो तो मक्खी तो आएगी
ना ! पर हाँ .....सुनो किसी को कहना मत ..."
"नऽऽ ..नहीं मैम .. नहीं कहूँगा ..."
"अच्छा बताओ तुम्हारी बहन है?"
हाँ मैम .... है ! एक बड़ी बहन है !
तुम उसे भी ऐसे ही देखते हो? उसकी चुंचियां भी ऐसी हैं....मेरे जैसी?"
"नहीं मैम ... वोऽऽ उसकी तो आप आपकी आपसे छोटी हैं ...... "
रोहित शरमाते हुए बोला।
"तुम्हें कैसे पता ..?. बोलो
...."
"जी ...मैंने छुप के देखी थी .. जब वो नहा रही थी ...." वो शर्माता
भी जा रहा था और मैंने देखा कि उसका मुंह लाल हो रहा था. मैं समझ गयी कि वो
उत्तेजित होता जा रहा है. मैंने धीरे से उसकी जांघ पर हाथ रखा. वो सिहर गया. पर वो
कुछ बोला नहीं. मैं अब उसकी जांघ सहलाने लगी. मेरे अन्दर उत्तेजना अंगडाई लेने
लगी. मुझसे रहा नहीं गया तो मैंने धीरे से उसके लंड पर हाथ रख दिया.
वो मेरा हाथ हटाने लगा ......" मैम ना करो
ऐसे...गुदगुदी होती है..."
"अच्छा ... कैसा लगता है ....?" मैंने अब उंगलियों से उसके लण्ड को ऊपर से पकड़ कर दबाया।
"मैम आह…… अह…… नहीं… मैम छोड़ो ना..."
"पहले बताओ कैसा लग रहा है...?"
"मैम .... मीठी मीठी सी गुदगुदी हो रही है.." और वो शरमा गया.
उसने मेरे हाथ पर अपना हाथ रख दिया पर मेरा हाथ
नहीं हटाया, बल्कि सोफ़े पर आगे सरक कर अपने लण्ड
को और ऊपर उभार लिया। मैं खुश हो गई ... चलो अब रास्ता साफ़ है.
मेरे विद्यार्थी और मैं उनकी टीचर 01
मैंने जल्दी से उसकी पैन्ट की ज़िप खोली और
उसका लण्ड बाहर खींच लिया। उसने अपनी आंखें बन्द कर ली। मैं लण्ड को प्यार से
आहिस्ता आहिस्ता सहालाने,
मसलने लगी। रोहित सीत्कारने लगा। उसने
धीरे से अपनी आंखें खोल कर मुझे देखा...मैंने प्यार से उसके होठों को चूम लिया। अब
उसके सब्र का बांध भी टूट गया। उसने मेरी चूचियां पकड़ ली और बुरी तरह भींचने लगा।
मुझे दर्द हो रहा था पर मैंने कुछ कहा नहीं क्योंकि मज़ा भी तो आ रहा था।
उसकी हरकतें बढ़ गई और वो मेरे तोप के ऊपर से
ही मेरे चूचुक खींचने लगा। रोहित मेरे साथ निर्दयता से पेश आ रहा था। मैं कराहने
लगी- रोहित…! धीरे… धीरे रोहित। मैंने उसका हाथ पकड़ कर हटाना चाहा मगर उसने मुझे छोड़ा
नहीं। उसका लण्ड फ़ूल कर फ़टने को हो रहा था। मैंने लन्ड के सुपाड़े की चमड़ी ऊपर
खींच दी और झुक कर लण्ड को अपने मुंह में ले लिया। रोहित अपने चूतड़ उछाल उछाल कर
मेरे मुंह को चोदने लगा। उसका लण्ड बढ़ता ही जा रहा था। मेरी उससे चुदने की इच्छा
भी बढ़ती जा रही थी।
मैं सोफ़े से उठी और रोहित को लेकर बिस्तर पर आ
गई। जैसे ही मैंने अपना टॉप उतारने के लिए अपने हाथ ऊपर किए, रोहित ने मेरी स्कर्ट नीचे सरका दी।
ब्रा और पैन्टी तो मैंने पहले से ही नहीं पहनी थी। अब मैं अपने जन्म-रूप में थी और
चुदने को बिल्कुल तैयार थी। मेरी चूत गीली हो चुकी थी। मैंने रोहित से भी कपड़े
उतारने को कहा। वो तो इसके लिए पहले से ही आतुर था, उसने फ़टाफ़ट अपने सारे कपड़े उतार दिए और मादरजात नंगा हो गया।
मैंने उससे प्यार से पूछा,"रोहित ! मुझे चोदोगे?"
" हां मैम… लेट जाओ जल्दी से…!"
अब मैंने उसे तड़पाने की सोची और कहा," अगर मुझे चोदना है तो पहले मेरी गाण्ड
चाटो…!"
मैंने अपनी दोनों टांगें ऊपर उठा कर अपने
चूतड़ों को ऊपर उठा लिया। इससे मेरी गाण्ड का छेद उभर कर दिखने लगा। मैंने उसे
अपनी गाण्ड की तरफ़ इशारा कर के कहा,' चाटो
! अपनी जीभ मेरी गाण्ड के छेद में घुसाओ !"
पर वो अपनी जगह से हिला नहीं और झिझकते हुए
बोला,"नहीं ..मैम...मैं ये काम नहीं कर सकता, गंदा लगता है..."
"अरे चाटो ना...... बहुत मज़ा आएगा मुझे....."
पर वो नहीं माना। मैंने कहा," ठीक है...पर चूत तो चूसो .... देखो
कितनी पनीली हो रही है..."
"नहीं मैम ..... मैं तो बस अपना लण्ड चूत में घुसाना चाहता
हूं....."
मुझे गुस्सा आने लगा। लेकिन अपने गुस्से को
काबू में कर मैंने उससे कहा," साले
! पहले कोई चूत देखी भी है या नहीं? बस
चूत में घुसाने की जिद लगा रखी है"मैने भी सोच लिया कि जब तक अपनी गाण्ड और
चूत रोहित से चटवा नहीं लूंगी इसको चूत में नही डालने दूंगी।
"अच्छा मेरे पास आओ ........". उसने मेरी एक चुन्ची को मुंह में
ले लिया और दूसरी को हाथ से मसलने लगा. मैंने उसका लंड पकड़ लिया और उँगलियों से
उसके लंड को मलने लगी. वो उत्तेजित हो उठा. मैंने खींच कर उसे अपने से चिपका लिया.
मुझे पता था कि चोदना चाह रहा है. मैं उसके लंड की और तेजी से मुठ मारने लगी. वो
सिस्कारियां भरता रहा. मुझे लगा कि वो अब जल्दी झड़ जाएगा. और उसी समय उसका वीर्य
निकल पड़ा, वो अपनी उत्तेजना सम्भाल नहीं पाया।
मुझे भी यही चहिए था। उसका लण्ड सिकुड़ गया और उसका वीर्य मेरे हाथ से टपक रहा था।
वो बोला- मैम ! ये क्या हो गया? अभी
तो मैंने अन्दर भी नहीं डाला था !
अन्दर तो मैं तुझे तब तक नहीं डालने दूंगी जब
तक तू मेरा कहा नहीं मानता,
मेरी गाण्ड और चूत नहीं चूसेगा तो मैं
भी चूत में नहीं डलवाऊंगी। ले अब चूस, चाट
ले मेरी गाण्ड, इतनी देर में ये भी फ़िर तैयार हो
जाएगा- मैं उसके निढाल लौड़े को छेड़ते हुए बोली।
नहीं मैम ! बहुत गंदी होती है ये, घिन आती है !
बहनचोद! घिन आती है, गंदी है फ़िर क्यूं अपना लण्ड हाथ में
ले कर इसके पीछे पड़ा है?
अच्छा बता अब तक कितनी बार चुदाई की है? किस किस को चोद चुका है?
मैम ! किसी को नहीं ! एक बार भी नहीं !
"अच्छा बताओ ...तुम्हारी कोई गर्ल फ्रेंड है ...... "
" नही मैम .. गर्ल फ्रेंड नहीं पर महिमा मुझे अच्छी लगती है
....."
"अच्छा ... और उसे तुम अच्छे लगते हो ?..... "
"हाँ मैम ... मुझसे बात भी करती है और मुझे ललचाई नजरों से देखती है
"
"ठीक है ... कल मैं उसको यहाँ बुलाती हूँ ...या कल तुम उसे यहाँ ला
सकते हो?
मैम ऐसे कैसे मैं ला सकता हूँ उसे? आप ही बुला लो यहाँ !
वो चुद जाएगी तुमसे ?
अगर आप हेल्प करोगी तो वो जरूर आ जायेगी ..और
फ़िर देखेंगे क्या होता है.... शायद चुद जाए ! "
ठीक है.. उसे फिर खूब चोदना .. मेरे सामने
..."
"प्रोमिस मैम ...?
प्रोमिस !!!
वो खुश हो गया. और किताब उठा कर चला गया
FRIDAY, OCTOBER 29, 2010
मेरे विद्यार्थी और मैं उनकी टीचर 02
अगले दिन मैंने महिमा को रोहित के साथ आने को
कह दिया. महिमा तुंरत तैयार हो गयी. मैं समझ गयी आग दोनों और लगी है.
रोहित उसे अपनी मोटर साइकिल पर बैठा कर ले आया.
रोहित और महिमा को मैंने पास पास ही सोफे पर
बैठाया. मैं चाय बना कर ले आयी. मैंने देखा कि वो दोनों एक दूसरे की टांगों को स्पर्श
करते हुए बैठे बात कर रहे थे. मैं मुस्कुरा उठी.
"महिमा ........रोहित तुम्हारी बहुत तारीफ कर रहा था ..."
रोहित ने तुंरत ही कहा -"मैम .... मैं अभी
आया ...." वो उठ कर बाहर चला गया.
महिमा ने कहा - "मैम ! मुझे क्यों बुलाया
है?
तुम्हें रोहित अच्छा लगता है?
.... वो
मेरे से कुछ बात ही नहीं करता है ज्यादा .."
"तुम उसे पसंद करती हो? ..."
"वो शरमा गयी - "मैम वो मुझे अच्छा लगता है. "
वो भी तुम्हें चाहता है, उसी के कहने पर तुम्हें मैंने यहाँ
बुलाया है, पर वो झिझकता है अपने प्यार का इज़हार
करने में ! देखो अब भी उठ कर दूसरे कमरे में चला गया शरमा कर !
मैंने तो उसे कई बार संकेत दिए पर वो समझ ना
सका.
ऐसी बात नही कि वो तुम्हारे इरादों से बेखबर है, वो डरता है और शरमाता भी है , वो तो कल मुझ से पढ़ने आया तो मैंने
बातों बातों में ऐसे ही पूछ लिया उससे कि कोई गर्ल फ्रेंड है या नही तो बहुत बार
पूछने पर बताया कि तुम उसे अच्छी लगती हो तो मैंने उस से प्रोमिस किया कि मै तुम
दोनों की दोस्ती करा दूंगी.
"तो सुनो महिमा ... तुम्हे मैं एक मौका देती हूँ ...वो मेरे बेड रूम
में है जाकर उसे जो कहना है ... कह देना ...."
"मैम ...शर्म आयेगी मुझे भी ! वो लड़का हो कर भी नहीं कह सकता फ़िर
मैं तो लड़की हूँ !.."
"अच्छा .. तो मैं तुम्हारा काम बनती हूँ ...पर इसका टैक्स देना पड़ेगा
..."
"मैम बस एक बार हमारी दोस्ती करवा दो .! फ़िर ......"
"ओके ..फ़िर. क्या करोगी .......बता दो ..." मैंने उसे रहस्यमई
निगाहों से देखा .
"मैम वो .... कुछ खास नहीं बस कुछ नही मैम ... "
कुछ तो ...! अगर वो तुम्हें किस करे तो? तो करने दोगी?
मैम ...... आप भी बस !
बताओ ना !
"मैम वो .... कुछ खास नहीं बस कुछ नही मैम ... "
कुछ तो ...! अगर वो तुम्हें किस करे तो? तो करने दोगी?
मैम ...... आप भी बस !
बताओ ना !
हाँ !
और?
और क्या?
"हाँ ..हाँ ... बोलो .... और भी कुछ ..."
"मैम .. आप को भी मज़ा आ रहा है यह सब पूछ कर !
हाँ बहुत मज़ा है इस सब में !
अच्छा बताओ अगर रोहित तुम्हारे बूब्स पकड़ ले
तो?
मैम बस करो ! आप तो बेशरम होती जा रही हो !
क्यूँ ! इसमें ऐसी क्या बात है ! क्या तुम्हारा
मन नहीं करता कि कोई तुम्हें किस करे तुम्हारे शरीर को मसल दे, इस उमर में यह सब करने की इच्छा होती
है, मुझे तो बहुत होती है, तुम्हें भी जरूर होती होगी, है ना?
हाँ मैम पर डर लगता है किसी को पता चल गया तो ?
यहाँ हमारे सिवा और कौन है बस सारी बात हम
तीनों के बीच ही रहेगी.
मैम कुछ होगा तो नही? मुझे डर लग रहा है और अब तो इच्छा भी
बहुत जाग उठी है.
डरो मत ! अन्दर बेड रूम में जाओ और कह दो रोहित
से दिल कि बात ! वो भी बेचैन है .
नही मैम आप उसे यहीं बुला लो यहाँ आपके सामने
ही, बल्कि आप ही कह दो सारी बात !
चलो यह काम अगर मै करुँगी तो बाकी काम भी मै ही
कर लूंगी उसके साथ !
मैम !
अच्छा बुलाती हूँ ! यह कह कर मैंने रोहित को
आवाज लगा कर बुलाया.
रोहित अपनी किताबे ले कर अन्दर आ गया. वो मुझ
से कुछ पूछने लगा किताब में से.
मैंने उसे कहा - ज्यादा नाटक मत करो और काम कि
बात पर आओ. महिमा तुमसे कुछ कहना चाहती है .
नही मैम नही मै क्या ... मैंने तो कुछ नहीं
कहना !
अब तुमने नौटंकी शुरू कर दी !
रोहित सुनो ! महिमा मान गई है तुमसे दोस्ती के
लिए, बल्कि ये तो पहले से ही चाहती थी
तुम्हारी दोस्ती बस तुम्हारे प्रोपोज़ल का इंतजार कर रही थी. अब महिमा से बोलो -
आई लव यू !
रोहित शरमाते और हकलाते हए बोला - महिमा आई लव
यू !
मैंने ताली बजाई और महिमा को बधाई दी और कहा अब
तुम भी बोलो रोहित से !
वो भी धीरे से बोली - रोहित आई लव यू !
मैंने फ़िर ताली बजाई और रोहित को बधाई दी और
कहा अब आगे बढ़ो और कुछ करो !
दोनों एक साथ बोले - क्या?
क्या क्या? किस
करो !
मेरे विद्यार्थी और मैं उनकी टीचर 03
दोनों मेरे मुंह की तरफ देखने लगे.
"हां ..हां ... करो .... करो किस एक
दूसरे को ! ..."
"मैम ! नहीं मैम आपके सामने? आपके सामने नहीं …" रोहित बोला।
"मेरे सामने ! क्या हुआ मेरे सामने? "
"महिमा तुम उठो और रोहित को किस करो गाल
पर ! "
"नहीं मैम मुझे नहीं आता किस करना
!"
"नहीं आता तो सीख ले ! ले देख किस कैसे
करते हैं" यह कह कर मैं रोहित के पास गई और पहले उसके गाल पे फ़िर उसके सिर
के पीछे हाथ रख कर उसके होंठों पर जोरदार किस किया।
रोहित घबरा गया और महिमा मुझे ताकती रह
गई।
"चल रोहित तू ही शुरू कर ! पकड़ ले और
चूस चूस के लाल कर दे इसके गालों और होंठों को" मैंने रोहित को महिमा का हाथ
पकड़ाते हुए आदेश दिया।
रोहित ने डरते हुए महिमा को अपनी ओर
खींचा और उसके कंधे पर हाथ रख कर उसका चेहरा ताकने लगा जैसे उससे पर्मिशन मांग रहा
हो। मैंने उठ कर दोनो के सिर पकड़ कर उनके होंठों को आपस में मिला दिया। अब रोहित
ने अपने होंठ खोले और महिमा के होंठो को किस करने लगा। अब मैं वहां से उठ कर बाहर
आ गई और दो चार मिनट इधर उधर बेचैनी से टहलने के बाद फ़िर अन्दर झांक कर देखा तो
रोहित महिमा को चूम रहा था और उसकी चूचियां सहला रहा था।
मैं तुंरत अन्दर आ गयी.
महिमा एक दम से घबरा गयी.
"महिमा क्या हो गया .... अरे करो ..ये
तो लड़की और लड़के के लिए जरूरी है ..."
"मैम सॉरी .... सॉरी ......"
"सच कह रही हूँ ... अपना काम चालू रखो ...
कहो तो मैं मदद कर दूँ .."
महिमा शर्म से झुकी जा रही थी .. रोहित
ने उसका मुंह ऊपर उठाया और उसके होंट फिर चूमने लगा . महिमा ने अपनी आँखे बंद कर
ली . रोहित ने उसे धीरे से मेरे बिस्तर पर लेटा दिया ... ...और अपने कपड़े उतारने
लगा . फिर महिमा के कपड़े उतारने लगा . महिमा ने मुझे मुझ से परमिशन मांगने की
नजरों से देखा .... मैंने ख़ुद ही उसका टॉप उतार दिया और कहा -" मस्ती करो
......शरम नहीं ....."
रोहित ने उसकी जेंस भी उतार दी . एक
नंगी जवान १८ साल की लड़की ..... रोहित का लंड फूल कर कड़ा हो गया . वो बिस्तर पर
उस से लिपट गया.
"अरे ये क्या कर रहे हो .... इसकी
इजाज़त नहीं है .."
"प्लीज़ मैम ....." दोनों ने मेरी
और देखा.
"नहीं ... बिल्कुल नहीं ....तुम दोनों
अकेले कैसे मज़ा ले लोगे,
मैं कहां जाऊंगी ?" कह कर मैं भी अपने कपड़े उतारने लगी।
रोहित ने मुझे कपड़े उतारते देखा तो
बोला -"मैम तो पहले आप ......"
मैंने महिमा के कान में अपनी बात बताई.
वो हंसने लगी -हाँ मैम ..फ़िर तो आज इसकी खैर नहीं .....
"हाँ रोहित ..पर मेरी शर्त याद है ना
.....मेरी गांड चाट कर मुझे मस्त कर दो "
"हां मैं भी देखूं मैम की गाण्ड कैसे
चाटता है तू, फ़िर मैं भी करवाऊंगी वैसे ही
..."
"नहीं ... नहीं .. मैं नहीं करूंगा
.....मैं नहीं चाट सकता गाण्ड …"
मुझे गुस्सा आ गया. मैंने उसके बाल
पकड़ लिए ... और उसके गाल पर एक चांटा जड़ दिया.
वो आश्चर्य से मुझे देखने लगा. मैंने
फिर उसे कहा .."हरामजादे ..... बोल चाटेगा के नहीं ..." उसकी चूतडों पर
लात मारते हुए बोली .....पहले मेरी चूत चाट फ़िर गाण्ड…"
"मैम ये ऐसे नहीं मानेगा ..... ये लो
... इसे बाँध दो ....." महिमा बोली।
हम दोनों ने उसे बिस्तर पर लेटा कर
बाँध दिया. महिमा ने उसके लंड को पकड़ कर मसलना चालू कर दिया. मैं रोहित पर चढ़
गयी. चूत को उसके मुंह से सटा कर बोली -"अब चूसो इसे ..... " मैंने अपनी
चूत उसके मुंह पर धीरे धीरे रगड़ने लगी.
"नहीं मैम ... नहीं ......मुझे छोड़ दो
मैम .."
" रोहित ..चुप चाप मेरी बात मानो
...." मैंने अपनी गीली चूत उसके होटों पर घिसनी चालू कर दी ..
वो इधर उधर होने लगा ... उसके मुंह पर
मेरी चूत की चिकनाई फ़ैल गयी थी.
" चल न ... चाट ले रे चूत को ... ज्यादा
हरामीपना मत दिखा ....'
"मैम क्या कर रही हो ..."
" चल चूस इसे मादर चोद ... स्कूल में तो
मेरी चुंचियां खूब देखता था .... अब चूस इसे ...कुत्ते .."
उसने हार मान ली और चुप चाप चूसने लगा
. मैंने कहा -"शाबाश बेटा !.. आ आह ! ..और.. अब देख बहनचोद ..इसके बाद मेरी
गांड का नम्बर है ..." और महिमा ! चल साली तू रोहित का लंड चूस …"
महिमा उसका लंड को अपने मुंह लेकर
चूसने लगी.
मैंने अपने चूतड़ों की फ़ांकों को खोल
कर उसके मुंह पर रख दिया . उसने हिम्मत करके अपनी जीभ निकाल कर मेरी गांड के छेद
में डाल दी ... मैं खुशी से झूम उठी . तरकीब काम आ गयी थी. मैं अपनी गांड उसके
मुंह पर पटकने लगी. "ले चाट इसे ... बहन के लोड़े ...... मैंने उसका लंड पकड़
कर मुठ मारने लगी. उसे भी मजा आने लगा.
महिमा कहने लगी -"मैम ये लण्ड तो
मेरे लिए छोड़ दो ना .....प्लीज़.."
"मैम ... मजा आ गया ... अब मैं भी मूतने
की कोशिश करती हूँ ...."
महिमा रोहित के ऊपर चढ़ कर मुझसे लिपट
गयी. और अपनी धार छोड़ दी .... उसकी गरम गरम धार मेरे शरीर पर भी आ रही थी . मैंने
अपनी गांड थोडी और ऊँची कर दी . जगह हो गयी थे . अब महिमा के पेशाब की धार रोहित
के मुंह पर पड़ रही थी . मैंने भी तुरंत हाथ में उसका पेशाब भर लिया ...और मुंह
में डाल कर पी गयी ... खारा खारा सा स्वाद लगा .... पर उत्तेजना में उसमे भी स्वाद
आया।
" भोसड़ी की ! तूने ये क्या किया .....
तेरी तो मैं माँ चोद दूंगा "
"मेरे प्यारे रोहित .. मेरी मां बाद में
चोदना पहले .. मेरी गांड चाट ले ..... "महिमा ने अपनी गांड के छेद को उसके
मुंह पर रख दिया . और रोहित का लंड को मुठ मारने लगी.
"मजा आया हरामी .... गांड चाट कर
.." मैंने उसका मुंह सीधा करके महिमा की गांड में घुसा दिया . उसे चाटना ही
पड़ा.
"चुद्दकड़ रांड .... अब तो छोड़ दे मुझे
...तुझे कुत्ते चोदें ... रंडी . "
"हाँ हाँ बोल ... इतना मोटे लंड से क्या
अपनी बहन को चोदेगा .... हरामी ... चल चाट तेरी इस चुद्दकड़ रांड की गांड को ....
"
"हाँ मेरे राजा ...... चाट ले ना मेरी
गांड को .... फिर तू मुझे घोड़े की तरह से चोदना ..."
वो भी गांड को आगे पीछे कर के गांड
रगड़ने लगी. मेरी इच्छा पूरी हो गयी थी. महिमा ने भी पूरी कसर निकाल ली और उस पर
से उतर गयी. महिमा मेरे से लिपट गयी. उसकी चुंचियां मेरी चुन्चियों से टकरा गयी.
दोनों ने एक दूसरे की चुंचियां दबाई और रोहित को खोल दिया.
रोहित ने कहा -"मैम आपको तो मजा आ
गया ना ... अब मेरी बारी है ना .." उसने बिस्तर पर से हाथ बढ़ा कर मेरी कमर
पकड़ ली . उसने मुझे दबोच लिया और बिस्तर पर पटकते हुए बोला -"चल बहन की
लौड़ी .... घोड़ी बन जा ......" उसने मेरी चुंचियां भींच डाली . मुझे घोड़ी
बना कर उसने मेरे चूतडों पर कस कस के मारना शुरू कर दिया.
" रोहित ... मत मार मुझे ... बहन चोद
..... कुत्ते ...अपनी माँ को मारना घर जा कर उसकी गांड की छिताई करना मैं गलियां
देती हुयी घोड़ी बन गयी. उसने मेरे चूतड की दोनों फांकों को चीरते हुए .... अपने
लंड की सुपारी गांड के छेद में टिका दी ....
"ले कुतिया ... अब तेरी गांड की माँ चोद
दूंगा ." कहते हुए उसने मेरी गांड में अपना १८ साल का जवान लंड चीरता हुआ
अन्दर तक घुसा दिया. मैं चीख उठी. उसने फिर गांड फाड़ देने वाला धक्का लगाया। मैं
फिर चीख उठी. उसके धक्के बढ़ते गए. मैं चीखती रह गयी.
"रोहित चोद दे मैम को ..... जल्दी कर ना
... फिर मेरी बारी भी तो है ..."
मेरा दर्द के मारे बुरा हाल था
-"हरामजादे ... बस कर अब ..... मेरी गाण्ड फ़ट गई है ......"
" साली रंडी ... तू क्या समझती है...
तुझे छोड़ दूंगा ...ये देख खून तो निकल रहा है...पर अभी और खून निकालूंगा.....
तुने मेरे ऊपर पेशाब किया है ना..."
रोहित ने अपना लण्ड तुरंत बाहर निकाला
और जोर लगाया ... फ़िए एक झटके से लण्ड को मेरी गाण्ड में पेल दिया।
"कुत्ते ... हरामी...... मर जाऊंगी...
छोड़ दे मुझे .
मेरे विद्यार्थी और मैं उनकी टीचर 04
लण्ड को निकाल ले अब..." पर उसने अनसुनी
कर दी और धक्के बढ़ते गए...." मेरे हाथ में अब कुछ नहीं था. मैंने अब अपने को
रोहित के हवाले कर दिया..... अब दर्द कम हो गया था ... पर झटके बेरहमी से मार रहा
था. अब उसने अपना लण्ड बाहर निकाला और चूत के द्वार पर रख दिया. रोहित ने धक्का
मारते हुए लण्ड सीधा चूत में घुसा दिया. उसका लण्ड मेरी गाण्ड के खून से लथपथ था.
बिस्तर पर खून गिरा था।
चूत में लौड़े के घुसते ही फ़िर मेरी आह निकल
पड़ी। उसके लण्ड ने सीधे जड़ में चोट की थी। मैं दर्द से तड़प उठी. दूसरा धक्का तो
और भयंकर था। तेज़ दर्द से मैं लगभग रोते हुए बोली,"रोहित प्लीज़ ..अब छोड़ दे ... मैं मर जाऊंगी ......."
तभी एक और तेज़ धक्का लगा ...... मुझे लगा मैं
बेहोश हो जाऊंगी,"रोहित ... बस..अब
नहीं.....रोहित.....नहीं..."
उसने अब नरमी दिखाई, वो आराम से धक्के लगाने लगा, मुझे भी अब धीरे धीरे मज़ा आने लगा।
रोहित चरम सीमा पर पहुंचने लगा था। मैं चुपचाप लेटी थी। मज़ा बदलता जा रहा था।
अचानक मुझे लगा कि मैं झड़ने वाली हूं। मुझे ज्यादा मज़ा आने लगा, मैंने भी गालियां देनी शुरू कर दी, " लगा हरामी... चोद दे मुझे ...... लगा
रे .... दे लण्ड चूत में... हाय उई ईइ सी सीऽऽऽ ...मादरचोद दे धक्के ....मर गयी
.."
और मेरा रस निकलने लगा ...उसके धक्कों से मेरा
पूरा शरीर हिल रहा था . मैं निढाल हो गयी।
पर अभी उसके धक्के चालू थे ... मेरी चूत में अब
जलन बढ़ने लगी ...... गांड भयंकर दर्द कर थी। चूत का भी बुरा हाल था। चूत के अन्दर
तो जैसे आग लग रही थी। "रोहित अब छोड़ दे मुझे ..प्लीज़ छोड़ दे मुझे
..." पर शायद मेरी आवाज मुंह से नही निकल पा रही थी।
रोहित ने मुझे छोड़ दिया और महिमा को पकड़
लिया।
"प्लीज़ रोहित ...धीरे करना ..... "
रोहित ने महिमा को चूमा ... और उसे मेरे पास
बिस्तर पर लेटा दिया। बिस्तर गीला हो चुका था। महिमा को अपनी चूत में लण्ड घुसता
महसूस हुआ। उसके मुंह से आह निकल गई। मैं निढाल सी लेटी थी। रोहित को देखा .....
उसके चोदने की ताकत कमाल की थी। महिमा खूब उछल उछलकर चुदवा रही थी। मैंने अपनी
आंखें बंद कर ली।
फ़िर धीरे से उठी ... मैंने देखा- बिस्तर खून
से लाल था। मेरी चूत और गाण्ड से खून की कुछ बूंदें टपकी थी। मुझे ठीक से चलने में
परेशानी हो रही थी। मैं बाथरूम में गयी। अच्छी तरह से नहा धो कर वापिस आई तो रोहित
और महिमा दोनों गीले बिस्तर पर चित्त लेटे थे। वो झड़ कर निपट चुके थे। रोहित के
लण्ड की चमड़ी ऊपर से कुछ कट सी गई थी।
महिमा और रोहित एक साथ उठे और बाथ्रूम में
इकट्ठे घुस गए। जब नहा कर बाहर आए तो रोहित की नज़र बिस्तर पर पड़ी तो वो घबरा गया,"मैम, ये क्या हो गया .....इतना खून !.."
"रोहित तूने आज मेरी जान ही निकाल दी...." रोहित तुरन्त रुई और
पट्टी लाया। उसने मेरी टांगें उंची की और रुई पानी से मेरी चूत और गाण्ड को अच्ची
तरह से पौंछा। मैंने उसे कहा," वहां
से दवाई उठा कर मेरे अन्दर दोनों जगह लगा दे !"
रोहित उंगली पर दवाई लेकर मेरी चूत के अन्दर और
गाण्ड के छेद में लगाने लगा। लेकिन ये क्या .... मेरी चूचियां फ़िर से खड़ी होने
लगी...... मुझे चूत में मीठी सी जलन होने लगी .... मैंने अपने आप को रोका .......
उसके लण्ड पर भी मैंने दवाई लगा दी।
"मैम ... आई एम सोरी... सोरी मैम ..."
मैंने उसे गले लगा लिया। उसकी चुदाई से मैं
गहराई तक सन्तुष्ट हो गयी। महिमा भी मुझ से लिपट गई,"रोहित ... तू तो ही-मैन है रे ...... मज़ा आ गया.."मैंने उसे
चूमते हुए कहा,"
.....कल जब पढ़ने आओ
तो फ़िर से ऐसे ही चोदना ..." वो हैरान होकर मुझे देखने लगा....... मैंने उसे
धीरे से आंख मारी।
महिमा हंस पड़ी और पूछने लगी," मैम ! मैं भी कल पढ़ने आऊं?
मेरे विद्यार्थी और मैं उनकी टीचर 03
दोनों मेरे मुंह की तरफ देखने लगे.
"हां ..हां ... करो .... करो किस एक
दूसरे को ! ..."
"मैम ! नहीं मैम आपके सामने? आपके सामने नहीं …" रोहित बोला।
"मेरे सामने ! क्या हुआ मेरे सामने? "
"महिमा तुम उठो और रोहित को किस करो गाल
पर ! "
"नहीं मैम मुझे नहीं आता किस करना
!"
"नहीं आता तो सीख ले ! ले देख किस कैसे
करते हैं" यह कह कर मैं रोहित के पास गई और पहले उसके गाल पे फ़िर उसके सिर
के पीछे हाथ रख कर उसके होंठों पर जोरदार किस किया।
रोहित घबरा गया और महिमा मुझे ताकती रह
गई।
"चल रोहित तू ही शुरू कर ! पकड़ ले और
चूस चूस के लाल कर दे इसके गालों और होंठों को" मैंने रोहित को महिमा का हाथ
पकड़ाते हुए आदेश दिया।
रोहित ने डरते हुए महिमा को अपनी ओर
खींचा और उसके कंधे पर हाथ रख कर उसका चेहरा ताकने लगा जैसे उससे पर्मिशन मांग रहा
हो। मैंने उठ कर दोनो के सिर पकड़ कर उनके होंठों को आपस में मिला दिया। अब रोहित
ने अपने होंठ खोले और महिमा के होंठो को किस करने लगा। अब मैं वहां से उठ कर बाहर
आ गई और दो चार मिनट इधर उधर बेचैनी से टहलने के बाद फ़िर अन्दर झांक कर देखा तो
रोहित महिमा को चूम रहा था और उसकी चूचियां सहला रहा था।
मैं तुंरत अन्दर आ गयी.
महिमा एक दम से घबरा गयी.
"महिमा क्या हो गया .... अरे करो ..ये
तो लड़की और लड़के के लिए जरूरी है ..."
"मैम सॉरी .... सॉरी ......"
"सच कह रही हूँ ... अपना काम चालू रखो ...
कहो तो मैं मदद कर दूँ .."
महिमा शर्म से झुकी जा रही थी .. रोहित
ने उसका मुंह ऊपर उठाया और उसके होंट फिर चूमने लगा . महिमा ने अपनी आँखे बंद कर
ली . रोहित ने उसे धीरे से मेरे बिस्तर पर लेटा दिया ... ...और अपने कपड़े उतारने
लगा . फिर महिमा के कपड़े उतारने लगा . महिमा ने मुझे मुझ से परमिशन मांगने की
नजरों से देखा .... मैंने ख़ुद ही उसका टॉप उतार दिया और कहा -" मस्ती करो
......शरम नहीं ....."
रोहित ने उसकी जेंस भी उतार दी . एक
नंगी जवान १८ साल की लड़की ..... रोहित का लंड फूल कर कड़ा हो गया . वो बिस्तर पर
उस से लिपट गया.
"अरे ये क्या कर रहे हो .... इसकी
इजाज़त नहीं है .."
"प्लीज़ मैम ....." दोनों ने मेरी
और देखा.
"नहीं ... बिल्कुल नहीं ....तुम दोनों
अकेले कैसे मज़ा ले लोगे,
मैं कहां जाऊंगी ?" कह कर मैं भी अपने कपड़े उतारने लगी।
रोहित ने मुझे कपड़े उतारते देखा तो
बोला -"मैम तो पहले आप ......"
मैंने महिमा के कान में अपनी बात बताई.
वो हंसने लगी -हाँ मैम ..फ़िर तो आज इसकी खैर नहीं .....
"हाँ रोहित ..पर मेरी शर्त याद है ना
.....मेरी गांड चाट कर मुझे मस्त कर दो "
"हां मैं भी देखूं मैम की गाण्ड कैसे
चाटता है तू, फ़िर मैं भी करवाऊंगी वैसे ही
..."
"नहीं ... नहीं .. मैं नहीं करूंगा
.....मैं नहीं चाट सकता गाण्ड …"
मुझे गुस्सा आ गया. मैंने उसके बाल
पकड़ लिए ... और उसके गाल पर एक चांटा जड़ दिया.
वो आश्चर्य से मुझे देखने लगा. मैंने
फिर उसे कहा .."हरामजादे ..... बोल चाटेगा के नहीं ..." उसकी चूतडों पर
लात मारते हुए बोली .....पहले मेरी चूत चाट फ़िर गाण्ड…"
"मैम ये ऐसे नहीं मानेगा ..... ये लो
... इसे बाँध दो ....." महिमा बोली।
हम दोनों ने उसे बिस्तर पर लेटा कर
बाँध दिया. महिमा ने उसके लंड को पकड़ कर मसलना चालू कर दिया. मैं रोहित पर चढ़
गयी. चूत को उसके मुंह से सटा कर बोली -"अब चूसो इसे ..... " मैंने अपनी
चूत उसके मुंह पर धीरे धीरे रगड़ने लगी.
"नहीं मैम ... नहीं ......मुझे छोड़ दो
मैम .."
" रोहित ..चुप चाप मेरी बात मानो
...." मैंने अपनी गीली चूत उसके होटों पर घिसनी चालू कर दी ..
वो इधर उधर होने लगा ... उसके मुंह पर
मेरी चूत की चिकनाई फ़ैल गयी थी.
" चल न ... चाट ले रे चूत को ... ज्यादा
हरामीपना मत दिखा ....'
"मैम क्या कर रही हो ..."
" चल चूस इसे मादर चोद ... स्कूल में तो
मेरी चुंचियां खूब देखता था .... अब चूस इसे ...कुत्ते .."
उसने हार मान ली और चुप चाप चूसने लगा
. मैंने कहा -"शाबाश बेटा !.. आ आह ! ..और.. अब देख बहनचोद ..इसके बाद मेरी
गांड का नम्बर है ..." और महिमा ! चल साली तू रोहित का लंड चूस …"
महिमा उसका लंड को अपने मुंह लेकर
चूसने लगी.
मैंने अपने चूतड़ों की फ़ांकों को खोल
कर उसके मुंह पर रख दिया . उसने हिम्मत करके अपनी जीभ निकाल कर मेरी गांड के छेद
में डाल दी ... मैं खुशी से झूम उठी . तरकीब काम आ गयी थी. मैं अपनी गांड उसके
मुंह पर पटकने लगी. "ले चाट इसे ... बहन के लोड़े ...... मैंने उसका लंड पकड़
कर मुठ मारने लगी. उसे भी मजा आने लगा.
महिमा कहने लगी -"मैम ये लण्ड तो
मेरे लिए छोड़ दो ना .....प्लीज़.."
"मैम ... मजा आ गया ... अब मैं भी मूतने
की कोशिश करती हूँ ...."
महिमा रोहित के ऊपर चढ़ कर मुझसे लिपट
गयी. और अपनी धार छोड़ दी .... उसकी गरम गरम धार मेरे शरीर पर भी आ रही थी . मैंने
अपनी गांड थोडी और ऊँची कर दी . जगह हो गयी थे . अब महिमा के पेशाब की धार रोहित
के मुंह पर पड़ रही थी . मैंने भी तुरंत हाथ में उसका पेशाब भर लिया ...और मुंह
में डाल कर पी गयी ... खारा खारा सा स्वाद लगा .... पर उत्तेजना में उसमे भी स्वाद
आया।
" भोसड़ी की ! तूने ये क्या किया .....
तेरी तो मैं माँ चोद दूंगा "
"मेरे प्यारे रोहित .. मेरी मां बाद में
चोदना पहले .. मेरी गांड चाट ले ..... "महिमा ने अपनी गांड के छेद को उसके
मुंह पर रख दिया . और रोहित का लंड को मुठ मारने लगी.
"मजा आया हरामी .... गांड चाट कर
.." मैंने उसका मुंह सीधा करके महिमा की गांड में घुसा दिया . उसे चाटना ही
पड़ा.
"चुद्दकड़ रांड .... अब तो छोड़ दे मुझे
...तुझे कुत्ते चोदें ... रंडी . "
"हाँ हाँ बोल ... इतना मोटे लंड से क्या
अपनी बहन को चोदेगा .... हरामी ... चल चाट तेरी इस चुद्दकड़ रांड की गांड को ....
"
"हाँ मेरे राजा ...... चाट ले ना मेरी
गांड को .... फिर तू मुझे घोड़े की तरह से चोदना ..."
वो भी गांड को आगे पीछे कर के गांड
रगड़ने लगी. मेरी इच्छा पूरी हो गयी थी. महिमा ने भी पूरी कसर निकाल ली और उस पर
से उतर गयी. महिमा मेरे से लिपट गयी. उसकी चुंचियां मेरी चुन्चियों से टकरा गयी.
दोनों ने एक दूसरे की चुंचियां दबाई और रोहित को खोल दिया.
रोहित ने कहा -"मैम आपको तो मजा आ
गया ना ... अब मेरी बारी है ना .." उसने बिस्तर पर से हाथ बढ़ा कर मेरी कमर
पकड़ ली . उसने मुझे दबोच लिया और बिस्तर पर पटकते हुए बोला -"चल बहन की
लौड़ी .... घोड़ी बन जा ......" उसने मेरी चुंचियां भींच डाली . मुझे घोड़ी
बना कर उसने मेरे चूतडों पर कस कस के मारना शुरू कर दिया.
" रोहित ... मत मार मुझे ... बहन चोद
..... कुत्ते ...अपनी माँ को मारना घर जा कर उसकी गांड की छिताई करना मैं गलियां
देती हुयी घोड़ी बन गयी. उसने मेरे चूतड की दोनों फांकों को चीरते हुए .... अपने
लंड की सुपारी गांड के छेद में टिका दी ....
"ले कुतिया ... अब तेरी गांड की माँ चोद
दूंगा ." कहते हुए उसने मेरी गांड में अपना १८ साल का जवान लंड चीरता हुआ
अन्दर तक घुसा दिया. मैं चीख उठी. उसने फिर गांड फाड़ देने वाला धक्का लगाया। मैं
फिर चीख उठी. उसके धक्के बढ़ते गए. मैं चीखती रह गयी.
"रोहित चोद दे मैम को ..... जल्दी कर ना
... फिर मेरी बारी भी तो है ..."
मेरा दर्द के मारे बुरा हाल था
-"हरामजादे ... बस कर अब ..... मेरी गाण्ड फ़ट गई है ......"
" साली रंडी ... तू क्या समझती है...
तुझे छोड़ दूंगा ...ये देख खून तो निकल रहा है...पर अभी और खून निकालूंगा.....
तुने मेरे ऊपर पेशाब किया है ना..."
रोहित ने अपना लण्ड तुरंत बाहर निकाला
और जोर लगाया ... फ़िए एक झटके से लण्ड को मेरी गाण्ड में पेल दिया।
"कुत्ते ... हरामी...... मर जाऊंगी...
छोड़ दे मुझे .
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