मेरा नाम मोउमिता है
मेरा नाम मोउमिता है. मैं ३४ साल की शादीशुदा औरत हूँ. मेरे पति
बिज़नस के सिलसिले में अक्सर बाहर रहते हैं.
कुछ दिन पहले की बात है
मेरे पति दो दिन के लिए घर से बाहर गए हुए थे और मैं घर में अकेली टीवी पर ब्लू
फ़िल्म देख रही थी. ब्लू फ़िल्म देख देख कर मेरी चूत में से पानी आने लगा था. मेरा
मन कर रहा था कि कोई मज़ेदार लंड मिल जाए तो जी भर के चुदाई करवाऊं.
वो कहते हैं ना कि सच्चे
दिल से मांगो तो सब कुछ मिलता है. घर की कॉल बेल बजी तो मुझे लगा कि भगवान् ने
मेरी सुन ली. मैंने दरवाजा खोला तो देखा कि मेरे पति के ख़ास दोस्तों वर्मा और
गुप्ता बाहर खड़े थे.
अचानक उनको देख कर मैं
चौंक गई. मैंने उनसे कहा कि 'ये'
तो बाहर गए हैं दो
दिन बाद आयेंगे. यह बात सुन कर वो दोनों भी उदास हो गए और बाहर से ही वापस जाने
लगे. मैंने सोचा कि अगर इन लोगों को अन्दर नहीं बुलाऊंगी तो ये लोग बुरा मान
जायेंगे. मैंने उनसे कहा कि आप लोग अन्दर आ जाईये. ये सुन कर मेरे पति के खास
दोस्त वर्मा ने कहा कि नहीं भाभी हम लोग चलते हैं. हम लोग तो ये सोच कर आए थे कि
पाटिल घर में होगा तो बैठ कर दो दो पैग लगायेंगे.
मैं आप लोगों को बता दूँ
कि पाटिल मेरे पति का नाम है और ये सारे दोस्त हमारे घर में अक्सर दारू पार्टी
करते हैं. क्योंकि इन लोगों के घरों मैं दारू पीना मना है.
मेने एक अच्छे मेजबान का
फ़र्ज़ निभाते हुए कहा कि कोई बात नहीं आप लोग अन्दर बैठ कर पैग लगा लीजिये मुझे
कोई परेशानी नहीं है. मेरी बात सुन कर दोनों खुश होते हुए बोले "क्या सचमुच
हम लोग अन्दर बैठ कर पी सकते हैं."
मैंने कहा "क्यों
नहीं आप का ही घर है आप लोग अन्दर आ जाईए, मैं आप लोगों के लिए पानी और सोडा का इंतजाम कर देती
हूँ."
ये सुन कर गुप्ता ने कहा
कि एक शर्त है "आपको भी हमारा साथ देना होगा !"
मैं पहले भी कई बार अपने
पति के सामने इन लोगों के साथ दारू पी चुकी थी इसलिए इन लोगों को पता था कि मैं भी
दारू पीती हूँ. मैंने तुंरत हाँ भर दी और वो दोनों अन्दर आ गए. अन्दर आते ही उनकी
निगाह टीवी पर चल रही ब्लू फ़िल्म पर गई जिसे मैं बंद करना भूल गई थी. मैंने जल्दी
से शरमा कर टीवी बंद कर दिया. लेकिन वो दोनों ये सब देख कर मुस्करा रहे थे. मैं
किचेन मैं पानी और सोडा लेने चली गई.
किचिन में जाकर मैंने
सोचा कि मैं तो एक लंड के इंतज़ार मैं थी और भगवान् ने मुझे दो दो लंड गिफ्ट में
भेज दिए. क्यों ना इस मौके का फायदा उठाया जाए और ये सोच कर मैंने सोडा और पानी की
बोतल फ्रीज़ में से निकली और तीन गिलास साथ में ले कर वापस कमरे में आ गई. वर्मा
ने अपनी जेब से व्हिस्की कि बोतल निकाल कर मुझे दी और मैं तीन पैग बनाने लगी. वो
लोग साथ मैं खाने के लिए स्नेक्स भी लाये थे. हम लोग बातें करते हुए पैग लगा रहे
थे. कुछ ही देर में हम सभी पर थोड़ा थोड़ा सुरूर छाने लगा.
उन दोनों ने आंखों ही
आंखों में इशारा किया और फ़िर गुप्ता ने मुझसे पूछा "भाभी आप टीवी पर ब्लू
फ़िल्म देख रहीं थीं तो फिर आपने टीवी बंद क्यों कर दिया. टीवी चलाओ ना हम लोग भी
फ़िल्म देखना चाहते हैं. "
अब तक मुझ पर भी शराब नशा
चढ़ने लगा था. मैंने सोचा कि यही मौका है चुदाई का माहौल बनाने का. ये सोच कर मैं
उठी और टीवी चालू करने लगी. टीवी चालू करते हुए मेरी साड़ी का पल्लू नीचे गिर गया
जिसे मैंने जानबूझ कर ठीक नहीं किया. मेरे कसे हुए ब्लाउज में से बड़े बड़े बूब्स
आधे बाहर निकल आए थे. मैने तिरछी नज़र से देखा कि वो दोनों मेरे बूब्स पर निगाह
गड़ाये हुए मुस्करा रहे हैं. मैने टीवी पर ब्लू फ़िल्म चालू कर दी और उसी सोफे पर
जा कर बैठ गई जिस पर वो दोनों बैठे हुए थे. अब मैं उन दोनों के बीच में बैठी थी.
टीवी पर चल रही फ़िल्म मैं भी एक औरत को दो आदमी चोद रहे थे. ये सीन देख कर हम
तीनो ही गरम हो गए. मैने जान बूझ कर अपना पल्लू नीचे सरका दिया और सोफे पर आधी लेट
गई. मेरे बगल में बैठे वर्मा ने पहल की और धीरे से मेरे बूब्स के ऊपर हाथ फिराने
लगा. मैने कोई विरोध नहीं किया और आँखे बंद कर लीं. थोडी ही देर में उन दोनों ने
मिल कर मेरे ब्लाउज के हुक खोल दिए और मेरे बड़े बड़े फलों का रस चूसने लगे. अब हम
लोग खुल चुके थे इसलिए मैने भी हाथ बढ़ा कर पैंट के ऊपर से ही उनके लंड को टटोलना
शुरू कर दिया था. वर्मा मेरे होटों को अपने मुंह में ले कर चूसने लगा और गुप्ता
मेरी एक चूची को मुंह में भर कर पीने लगा.
अभी हमारा खेल चालू हुआ
ही था कि अचानक घर कि कॉल बेल फ़िर से बज गई. हम तीनो चौंक गए. मैने कहा कि अब कौन
हो सकता है.
तभी गुप्ता ने कहा "
अरे यार में समझ गया, शर्मा और ठाकर
होंगे हमने उन लोगों को भी बुलाया था."
मैंने जल्दी से टीवी बंद
कर दिया और अपने कपडे ठीक करने लगी तो वर्मा ने मेरे हाथ पकड़ कर मुझे रोक लिया और
कहा " रहने दो भाभी ये लोग भी अपने ही दोस्त हैं इनसे क्या शरमाना"
जब तक मैं कुछ कहती तब तक
गुप्ता ने दरवाजा खोल दिया था और मेरे सामने तीन नए लोग खड़े थे. जिनका नाम शर्मा, ठाकर और नारंग
था.
अब घर में पॉँच मर्द थे
और मैं अकेली औरत. शराब का दौर चल रहा था सब लोग नशे में थे. मेरे मन में लड्डू
फूट रहे थे. मेरी बरसों की इच्छा आज पूरी होने जा रही थी. मेरी इच्छा थी की मैं एक
साथ पॉँच मर्दों के साथ चुदाई का खेल खेलूं और आज ये सपना सच होने वाला था. किसी
ने मेरे बदन से ब्लाऊज़ उतर दिया था. वर्मा और गुप्ता मेरी एक एक चूची को मुंह में
लेकर चूस रहे थे. ठाकर जो बाद में आया था उसने अपना लंड निकाल कर मेरे मुंह में
डाल दिया और नारंग और शर्मा मेरे नीचे के कपडे हटाने की कोशिश कर रहे थे. मैंने उन
सब को रोक कर कहा कि चलो अन्दर बेड रूम मैं चलते हैं. ये सुन कर उन पांचों ने मुझे
गोदी में उठा लिया और ले जा कर बेड पर डाल दिया. अब मेरे बदन पर कोई कपडा नहीं था.
ठाकर जिसका लंड काला और
ज्यादा ही लंबा था उसने मेरे मुंह में अपना पूरा लंड डाल दिया. मैं उसके लंड को
लेमनचूस की तरह चूसने लगी.
नारंग और वर्मा ने मेरे
बोबे मसलने और चूसने चालू कर दिए.
वर्मा ने मेरी दायीं तरफ़
आ कर मेरे हाथ में अपना मोटा लंड पकड़ा दिया. जिसे मैंने आगे पीछे करना चालू कर
दिया.
गुप्ता पलंग के नीचे बैठ
कर मेरी चूत को चाटने लगा. मुझे जन्नत का मज़ा मिल रहा था.
मेरे चारों तरफ़ अलग अलग
तरह के लंड थे. मैं किसी भी लंड को हाथ में लेकर खेलने लगती. मेरे मुंह में भी अलग
अलग साइज़ के लंड डाले जा रहे थे और मैं सभी लंड बड़े प्यार से चाट और चूस रही थी.
तभी उनमे में से किसी ने मेरी चूत में अपनी जीभ डाल दी. खुशी के मारे मेरे मुंह से
चीख निकल गई.
मैं जोर से चिल्लाई
"वैरी गुड..... ऐसे ही चूसो मादरचोदों चाटो मेरी चूत को....". मैं पूरे
नशे में थी और उछाल उछाल कर चूत चुसवा रही थी.
ठाकर ने मेरे मुंह में
लंड डालकर मुंह की ही चुदाई शुरू कर दी. दो लोग मेरे हाथ में लंड पकड़ा कर मुठ
मरवा रहे थे. एक जन अभी खाली था इसलिए मैंने कहा,"मेरे यारोंरोंरोंरोंरोंरों..... अभी तो एक छेद
बाकी है उसमे भी तो कुछ डालो"
मेरी बात सुनते ही वर्मा
ने सब को रोक कर कहा कि रुको पहले आसन लगा लेते हैं. सब ने अपनी अपनी पोसिशन ले
ली.
नीचे वर्मा सीधा लेट गया
और मुझसे कहा "आओ भाभीजान मेरे ऊपर आओ मैं तुम्हारी गांड में अपना लंड डाल कर
मज़ा देता हूँ."
मैं तुंरत अपनी गांड चौड़ी
करके उसके लंड पर बैठ गई. वर्मा का लंड मेरे पति के लंड से ज्यादा मोटा नहीं था
इसलिए आराम से मेरी गांड में चला गया.
दोस्तों मैं आपको बता दूँ
कि मेरे पति भी काफी माहिर चुद्दकड़ हैं और मुझे बहुत मज़ेदार ढंग से चोदते हैं
लेकिन मेरी प्यास उतनी ही बढ़ जाती है जितना मैं चुदवाती हूँ. यही कारण है कि आज
मैं अपने पति के पाँच दोस्तों से एक साथ चुदवाने को तैयार हूँ.
हाँ तो दोस्तों वर्मा का
लंड मैंने अपनी गांड में डाल लिया और सीधी होकर अपनी चूत ऊपर की तरफ करते हुए बोली
" चलो कौन मेरी चूत का बाजा बजाना चाहता है वो आगे आ जाए."
नारंग जिसका लंड थोडी देर
मैंने मुंह में डाल कर चूसा था वो मेरे ऊपर आ गया और निशाना लगाते हुए बोला
"मेरी जान सबसे पहले मेरा स्वाद चखो."
गुप्ता भी मेरे सर कि
तरफ़ आते हुए बोला "मेरी प्यारी भाभी मुझे अपने मुंह में डालने दो
प्लीज़."
अब शर्मा और ठाकर बच गए
थे. मैंने उनसे कहा कि आओ मेरे यारो, अभी तो मेरे दोनों हाथ खाली हैं.
इस तरह पोसिशन लेने के
बाद घमासान चुदाई चालू हो गई. मेरी गांड और चूत में एक साथ लंड अन्दर बाहर हो रहे
थे. मुझे जम कर मज़ा आ रहा था. मैं बीच बीच में अपने मुंह से लंड निकाल कर
सिस्कारियां लेने लगी "आआआ.... और जोर सेसेसेसे..... चोद....ओऊऊऊऊऊ.....फाड़
डालोऊऊऊओ... मेरी चूत.... बहनचोदों एक भी छेद मत छोड़ना... सब जगह डाल दोऊऊऊओ....
फाड़ डाल मेरी गांड.... वर्मा....के बच्चे..... और जोर से नारंग...अन्दर तक डाल
अपना हथियार...यार...आर आर अअअ आ आ आ....मज़ा आ गया."
काफी देर तक पोसिशन बदल
बदल कर ये चुदाई का कार्यक्रम चलता रहा. कभी किसी ने मेरे मुंह में लंड डाला कभी
किसी ने. अलग अलग लंडों का स्वाद मेरे मुंह में आता रहा. करीब एक घंटे तक चले इस
खेल में मैं पॉँच बार झड़ चुकी थी. अब मेरी चुदाई की आग शांत होने लगी थी.
मैंने उन सबसे कहा
"मेरे यारों...एक बात ध्यान रखना कोई भी अपना पानी इधर उधर नहीं
डालेगा....सबको मेरे मुंह में ही अपना पानी डालना है... मैं बहुत प्यासी
हूँ....मेरी प्यास तुम्हारे पानी से ही बुझेगी. कम से कम पचास ग्राम पानी पिलाना
मुझे."
वो सब लोग भी अब अपनी
मंजिल पर पहुँच चुके थे.
गुप्ता ने कहा "चल
भोसड़ी की अब नीचे लेट जा और पानी पी... आज नहला देंगे तुझे मेरी जान."
मैं पलंग पर सीधी लेट गई
और उन पांचों ने मेरे मुंह के चारों तरफ़ घेरा डाल लिया. मैंने एक एक करके सबके
लंड को मुंह में ले कर पानी निगलना चालू कर दिया. मेरा पूरा मुंह और गला लिसलिसे
वीर्य से भर गया. सबका मिलाजुला स्वाद मुझे कॉकटेल का मज़ा दे रहा था और मैं स्वाद
ले ले कर उन सबका पानी पीती चली गई और सबके लंडों को चाट चाट कर साफ़ कर दिया. मेरी
बरसों की तम्न्ना आज पूरी हो गई थी.
दोस्तों मेरी चुदाई के और
भी मज़ेदार किस्से मैं आप को बताऊंगी पहले आप मुझे जरूर बताएं कि ये किस्सा आप को
कैसा लगा.
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