अनिता की बेटी मोउमिता
अनिता की बेटी मोउमिता
तंग बनियान शॉट्र्स पहने खड़ी थी, उन तंग कपड़ों में उसका जिस्म बमुश्किल ढका था बनियान नाभी
तक ही आया था और शॉट्र्स से सिर्फ उसके चूतड़ ढके थे, गोरी टाँगें साफ़
झलक रही थी, बनियान टाइट होने
से उसमें से उभरे हुए स्तन बेल से दिख रहे थे और उसके कड़क निप्पल भी तरुण , विकी और वीरू को
साफ़ दिख रहे थे। मोउमिता बार-बार बनियान
नीचे खींचती हुई अपनी नाभी को ढकनेकी कोशिश कर रही थी। इससे पहले कि तरुण कुछ बोले इससे पहले वो
“तरुण चाचा”
कहकर उछल कर तरुण की गोद में चढ़ गई उन तंग कपड़ों में मोउमिता का जिस्म तरुण
की गोद में गिरा उसके बेल से स्तन तरुण
के चौड़े सीने पर बुरी तरह टकराये वो हड़बड़ा गया ।
तरुण -
“अरे त तू यहाँ कहाँ से आगयी ।”
मोउमिता उसके गले में बाहें डाल के अपने बेल से स्तन
तरुण के चौड़े सीने पर बुरी तरह रगड़ते
हुए उसके गाल पर चुम्मा लेते हुए बोली-
“माँ ने बताया कि आप उन्हें यहाँ छोड़ने आ रहे हो तो मैं भी
आपसे मिलने चली आयी ।”
तरुण को मोउमिता
के नेकर के नीचे से अपने पेट पर उसकी फ़ूली बुर दबती महसूस हो रही थी ।
तरुण वैसे ही मोउमिता को गोद में उठाये उठाये ड्राइंग रूम में ले
जाते हुए बोला,
“अरे ये क्या मोउमिता
अब तू बड़ी हो गयी है।”
मोउमिता उसके गले में बाहें डाले डाले अपना जिस्म उसके
जिस्म से बुरी तरह रगड़ते हुए बोली-
“मैं कहाँ बड़ी हुई हूँ।”
तरुण उसके जिस्म पर एक सरसरी नजर डाल गम्भीरता से
बोला तेरा जिस्म अब जवान हो गया है कोई तेरी हरकतों का गलत मतलब लगाकर तेरे साथ
बेजा हरकत भी कर सकता है तुझे चोट लग सकती है यहाँ तक कि तेरी जान को भी खतरा हो
सकता है क्योंकि तू अभी नाजुक है ।”
तरुण को अपने भरे पूरे जिस्म को देखते जान कर
मोउमिता मन ही मन मुस्कुराई और बोली,
“चाचा कभी कहते हो बड़ी हो गई हूं कभी कहते हो नाजुक हूँ
मुझे कुछ समझ मे नहीं आ रहा चलो इन बड़े लोगों को छोड़ उस दूसरे कमरे में चलके
मुझे तफ़्सील से समझाओ।”
तरुण वैसे भी उन मर्दखोर औरतों अनिता और रुख्साना कि भूखी आँखों से दूर जाना चाहता
था सो मोउमिता को गोद में उठाये पास के कमरे
में जोकि एक बेडरूम था चला गया
हुआ यों कि उधर तरुण कमरे में पहुंच के मोउमिता को बिस्तर के पास खडा़ कर बोला,
“देख मैं ये कहना चाह रहा था कि तेरी हरकतों से कोई मर्द ये
भी मतलब लगा सकता है कि तू उसका साथ चाहती है और अगर वो बदनियत हो तो तुझे अकेला
पाकर अपनी हवस का शिकार बनाने की कोशिश भी कर सकता है उससे तेरा ये नाजुक बदन अपना
बचाव कैसे कर सकेगा।”
मोउमिता ,-
“मुझे अपना बचाव करना आता है। आप को भरोसा न हो तो आप हमला
करो मैं अपना बचाव करने का नमूना दिखाती हूँ। खेल का खेल और आप की तसल्ली की
तसल्ली ।”
तरुण -
“ठीक है बचो।”
और तरुण मोउमिता
पर झपटा । जैसे ही उसके हाथ बिस्तर के पास खड़ी मोउमिता के कन्धों से टकराये मोउमिता बिस्तर पर गिर पड़ी । तरुण ने सोचा था कि वो बचाव करेगी पर कोई विरोध न
होने के कारण वह भी अपने ही झोंके में झोंका उसके ऊपर गिरा वो बोला,
“अरे तूने अपना बचाव तो किया ही नहीं।”
मोउमिता -
“आपने तो बस धक्का ही तो दिया कुछ उल्टी सीधी हरकत करो तब तो
बचाव करूँ फ़िर हमले के किस मोड़ पर और कब बचाव करना है ये तो मुझे तय करना है न
कि आपको आप बस अपना हमला जारी रखिये फ़िर देखिये।”
तरुण ने मोउमिता
को बचपन से देखा था उसे उसकी की बाते बचपने सी ही लगीं सो उसने
मोउमिता के गुदाज कन्धों को झपटकर दबोचते
हुए जोर से उसके गुलाबी गाल पर चूम लिया। मोउमिता
ने चुपचाप चुम्मा दे दिया। तरुण
फ़िर बोला,
“देखा तू फ़िर अपना बचाव न कर सकी।”
मोउमिता बोली,
“अरे इसमे बचाव क्या करना आप तो हमे बचपन से चूमते आये हैं
इसमे क्या बुरा है।”
इतनी देर मोउमिता के गुदाज बदन से सटे और रगड़ खाते तरुण का भी बदन गरम होने लगा था और उसके खयालात भी
बदलने लगे थे उसने सोचा ठीक ही तो है जबतक कुछ सच में एतराज करने लायक हरकत न हो
तबतक बिचारी क्या बचाव करे।
शायद उसे भी अब इस खेल
में मजा आने लगा था। उसने फ़िर सोचा बचपन से इसके साथ खेलता आया हूँ चाचा कह्ती है, भतीजी ही तो हुई, इसके अपने बचाव
के लिए अगर खेल खेल में सिखाते समय थोड़ा इधर उधर छू छा जाये तो कौन सा पहाड़ टूट
पड़ेगा । इसे भी तो पता चलना चाहिये कि एक जवान मर्द क्या क्या हरकतें कर सकता है
और उसी हिसाब से इसे बचाव का तरीका सीखना चाहिये।
ये सोच तरुण ने कहा,
“ऐसा है तो अब बचो।”
ऐसा कहते हुए तरुण ने अपने होठ उसके मदभरे गुलाबी होठों पर रख
दिये। मोउमिता को चूमते समय उसके बेल से
स्तन तरुण के चौड़े सीने पर पूरी तरह दब
गये थे वो उसके निप्पल अपने सीने पर महसूस कर रहा था ।
मोउमिता की फ़ूली बुर पर उसका लण्ड रगड़ खा कर साँप की
तरह धीरे धीरे फ़ैल रहा था। मोउमिता की
बुर गर्म हो भी उसे महसूस कर रही थी जिस्मों की गरमी में मुह्बोला रिश्ता भी बह गया
और अब मोउमिता और तरुण सिर्फ़ नर मादा बचे थे तरुण की पीठ पर मोउमिता की और मोउमिता
की पीठ पर तरुण की उँगलियाँ धसती
जा रही थी । दोनों ने एक दूसरे को इतनी जोर से भींचा कि तरुण के टी-शर्ट के बटन और मोउमिता की बनियान चरमरा के फ़टने लगी अपने जिस्मों की गर्मी
से पगलाये दोनो ने एक दूसरे की बनियान उतार फ़ेंकी । दोनो सिर्फ़ शॉट्र्स में थे।
तरुण के नेकर की जिप खोल कर मोउमिता उसका टन्नाया हलव्वी लण्ड बाहर निकालकर सहलाने
लगी। साँसों की तेज़ी से मोउमिता का सीना
उठबैठ रहा था और उसके बेल से स्तन बड़ी मस्ती से ऊपर नीचे हो रहे थे। तरुण ने उन्हें दोनो हाँथों मे दबोच कर, उन पर जोर से
मुँह मारा । इससे उत्तेजित हो मोउमिता ने
उसका टन्नाया हलव्वी लण्ड जोर से भीच दिया
मोउमिता से अब रहा नहीं जा रहा था, सो उसने
तरुण का टन्नाया हलव्वी लण्ड खीचकर अपनी
बुर अके मुहाने पर लगाया और तड़पते हुए बोली,
"आहहहहहह चाचा, प्लीज़ अब रहा नहीं जाता, प्लीज़ मुझे चोद
डालो नहीं तो मैं अपने ही जिस्म की गर्मी में जल जाऊँगी, हाय तरुण राजा अब मत तड़पाओ।"
अब तरुण ने और रुकना मुनासिब नहीं समझा। मोउमिता की टाँगें फ़ैला और एक हाथ उसकी गुदाज चूतड़ों
पे घुमाते हुए दूसरे से अपना खड़ा, कड़क, मोटा, गर्म लण्ड पकड़ कर मोउमिता
की फ़ूली हुई पावरोटी सी बुर के मुहाने पर रगड़ते हुए बोला, "चल मोउमिता , अब तैयार हो जा
भतीजी ज़िंदगी में पहली बार अपनी बुर चुदवाने के लिये। चुदक्कड़ अनिता भाभी की लण्डखोर बेटी चल अब तेरी बुर फाड़ कर
चूत बना दूँ ।"
मोउमिता ने सिसकारी ली और आँखें बंद कर लीं ।
मोउमिता को पता था कि पहली चुदाई में दर्द
होगा, वो अब किसी भी
दर्द के लिये तैयार थी । अपना सुपाड़ा ठीक से मोउमिता की बुर के मुँहाने पे रख कर तरुण ने ज़ोर से दबाया। बुर का मुँह ज़रा सा खुला और
तरुण के लण्ड का सुपाड़ा आधा अंदर घुस
गया।
मोउमिता ने हलकी सी सिसकारी ली
"इस्स्स्स्स्स्स चाचा।"
उस नंगी, कम्सिन लड़की की
बरदास्त देख कर तरुण को ताज्जुब हुआ वो
मोउमिता की कमर पकड़ कर बोला,
"मोउमिता , तू सचमुच मेरी चुदक्कड़ भाभी की असली लण्डखोर बेटी है, अब तैयार हो जा
तरुण चाचा से से अपनी बुर की सील तुड़वा
कर चुदाई की दुनिया में कदम रखने को।"
मोउमिता की कमर कस कर पकड़ कर तरुण ने लण्ड अंदर धकेला तो बुर फ़ैलाकर लण्ड कर
सुपाड़ा बुर में घुस गया। मोउमिता ने दर्द
से अपने होंठ दाँतों के नीचे दबा लिये और अब ज़रा घबराहट से तरुण को देखने लगी। मोउमिता की बुर को अपने लण्ड का बर्दास्त करने देने के
लिये तरुण कुछ वक्त वैसे ही रहा और फिर
अपनी कमर पीछे कर के, मोउमिता को कस कर पकड़ कर पूरे ज़ोर से लण्ड चूत में
घुसेड़ दिया। इस हमले से तरुण का लण्ड
मोउमिता की कम्सिन, अनचुदी बुर की सील
की धज्जियाँ उड़ाते हुए पूरी रफ़्तार से आधा घुस गया। तरुण के इस हमले से दर्द के कारण मोउमिता , तरुण को अपने ऊपर से धकेलने की कोशिश करने लगी और
अपनी चूत से
तरुण का लण्ड निकालने की नाकाम कोशिश करते हुए ज़ोर
से चिल्ला उठी,
"आहहहहहहहह
मैं मर गयीईईईईईई, उ़़फ्फ़्फ़्फ़़
फ्फ़्फ़्फ़फ़्फ़ नहींईंईंईंईं, निकालो लण्ड मेरी बुर से चाचा, फ़ट
जायेगी।"
ये देख कर तरुण ज़रा रुका और मोउमिता का एक निप्पल होठों मे दबाके चुभलाने लगा ।
तरुण के रुकने से मोउमिता की जान में जान आयी। उसे अपनी बुर से खून बहने
का एहसास हो रहा था । तरुण मोउमिता के बेल से स्तन की घुन्डी चूस रहा था, उसका गदराया गोरा
गुलाबी जिस्म सहला रहा था जब तरुण को
एहसास हुआ कि मोउमिता की साँसें अब सामन्य
हो गयी हैं और वो धीरे धीरे अपनी बुर को भी आगे पीछे करने लगी तो उसने हल्के से
लण्ड दो-तीन बार थोड़ा सा आगे पीछे किया। पहले तो मोउमिता के चेहरे पर हलके दर्द का भाव आया फ़िर वो मजे
से
"आहहहहह, ओहहहहह"
करने लगी । पर जब कुछ और
धक्कों के बाद मोउमिता ने हल्की सी
मुस्कुराहट के साथ तरुण की तरफ़ देखा, तो तरुण समझ गया कि मोउमिता की चूत का दर्द अब खतम हो गया है। अबकी बार
तरुण ने लण्ड, सुपाड़े तक बाहर
निकाला और फ़िर से धीरे धीरे से चूत में ठेल दिया। मोउमिता की चूत ने जैसे तरुण के पूरे लण्ड को लपेट कर अपने अंदर ले लिया।
आठ-दस बार ऐसा करने पर मोउमिता ने सिर उठा
कर तरुण के कान में चूमते हुए फ़ुसफ़ुसाई,
"जोर से करो तरुण चाचा।"
मोउमिता की बात सुन कर खुश हो कर तरुण ने अपनी स्पीड बढ़ा दी अब मोउमिता भी मस्ती से चुदवा रही थी। तरुण के धक्कों से मोउमिता का पूरा जिस्म हिल रहा था।
मोउमिता चुदाई का मज़ा ले रही है... यह देख, तरुण ने उसे तड़पाना चाहा और अपने लण्ड का सुपाड़ा
अंदर छोड़कर कर बाकी लण्ड बाहर निकाल लिया। मोउमिता तरुण
के अगले धक्के के लिये तैयार थी पर तरुण
मुस्कुराता हुआ वैसे ही रुका रहा। तरुण
की शरारत समझ कर मोउमिता ने खुद
अपनी कमर उठायी और तरुण का लण्ड अपनी चूत
में धँसवा हुए झूठे गुस्से से तरुण के
सीने पर मुट्ठी से दो तीन बार मारा।
मोउमिता की इस अदा पर खुश हो तरुण ने दोनों हाँथों से उसके उभरे हुए गोल गुदाज
चूतड़ दबोच कर पूरे ज़ोरों से उसकी चूत में लण्ड धाँसकर, चोदते हुए बोला, "उम्म इतनी
बेसब्री से तो तेरी माँ भी मेरा लण्ड नहीं लेती। तू तो लगता है उससे भी बड़ी
चुदक्कड़ बनेगी ।"
तरुण अब बड़ी तेज़ रफ़तार से मोउमिता को चोद रहा था। मोउमिता भी तरुण
को पूरा सहयोग दे रही थी। तरुण का
लण्ड अपनी चूत में पूरा अंदर लेते हुए तरुण
को बांहों में भर कर वो बोली, " हाँ तरुण
चाचा, ऊऊऊऊऊफ्फ्फ आप तो
मुझे जन्नत दिखा रहे हो, और चोदो, और ज़ोर से चोदो
मुझे चाचा। फाड़ डालो मेरी चूत तरुण चाचा।
"
चुदाई का शबाब अब पूरे
ज़ोरों पर था। दोनों एक दूसरे को पूरा सह्योग देते हुए चुदाई का मज़ा ले रहे थे।
तरुण पूरा का पूरा लण्ड चूत में घुसा कर
मोउमिता को बहुत ज़ोर से
चोदते हुए बोला, "नहीं भतीजी, मैंने तुझे जन्नत
नहीं दिखायी बल्कि जन्नत तो तूने मुझे दिखायी है। मेरे लिये जन्नत कहीं और नहीं...
तेरी बुर में है, अल्लाह का शुक्र
है
जिसने मुझे तेरी चूत
चोदने का मौका दिया और जिस वजह से मुझे जन्नत का नज़ारा हुआ।"
मोउमिता ने तरुण
के होंठ चूमते हुए कहा,
"ओहहह चाचा, कितना मज़ा आ रहा है मुझे आपसे चुदवा कर।" जवाब में
तरुण ने मोउमिता को दबा कर ज़ोर ज़ोर से चोदते हुए और साथ-साथ
उसकी चूचियाँ भी चूसते हुए बोला,
" हाँ भतीजी मुझे भी। "
मोउमिता के चूतड़ो को दोनो हाथों से कस कर दबोचते हुए, बदल बदल स्तनों
पर मुँह मारते, निप्पल चूसते हुए
तरुण बेरहमी से चोदने लगा। जैसे ही दोनों
झड़ने के करीब पहुँचे, तरुण ने अपना लण्ड मोउमिता की चूत में दबाकर रगड़ते हुए झड़ने लगा।
मोउमिता भी अपनी चूत तरुण के लण्ड पे किसी खेलीखाई चुदक्कड़ की तरह दबाकर
रगड़ते हुए झड़ रही थी। मोउमिता की कम्सिन
चूत, तरुण के गर्म पानी से भरने लगी। दोनों ने एक दूसरे
को कस कर पकड़ रखा था।
की चूत से निकाला और अपने
बनियान से मोउमिता की चूत साफ़ करके अपना
लण्ड साफ़ किया। मोउमिता दर्द से खड़ी भी
नहीं हो पा रही थी तो तरुण उसे खड़ा करके
बाथरूम में ले गया और गर्म पानी से उसकी चूत सेंकी।
दोनों वापस आ कर बैठे तो
तरुण बोला –
"देखा मैं न कहता था कि तेरी हरकतें तुझे कहीं
का न रखेंगी देख क्या से क्या हो गया। तू बचाव भी न कर पाई।”
मोउमिता ने तरुण
का लण्ड पकड़ सहलाते हुए जवाब दिया
“चाचा, मैने मुकम्मल तौर पर बचाव कर लिया आज मैंने जान बूझकर आराम
से इतमिनान से अपने जाने समझे मर्द यानि अपने तरुण चाचा से बुर फ़ड़वा के चूत बनवा ली ताकि अब इस
चुदी चूत में अगर कोई जबर्दस्ती करे भी तो इसका कुछ न बिगड़ेगा क्यों कि रास्ता
साफ़ है फ़िर जिस चूत पर तरुण विकी और
वीरू के लण्ड की चुदाई की मोहर लगी हो किसकी हिम्मत है कि उस चूत की तरफ़ कोई आँख
उठा के भी देखे, इसीलिए आज मैं
विकी और वीरू चाचा से भी चुदवाऊँगी।
अब तो आप लोग जब कहोगे
मैं आपके अड्डे/क्लब पर भी आऊँगी । मुझे भी आप जैसे माहिर मर्दों से चुदवाने में
मज़ा आयेगा।”
तरुण , “ इसका मतलब अब तू
आज ही विकी और वीरू से भी चुदवायेगी।”
मोउमिता , “और नही तो क्या
अब आप समझे चाचा।”
तरुण , “ या मेरे मालिक !
ठीक है चल चलें उनके पास।”
बाहर निकलते ही उन्होंने
देखा के अनिता कि दूसरी बेटी तानिया अभी अभी बाहर के दरवाजे से अन्दर दाखिल हो रही
है।
No comments:
Post a Comment