Thursday, 25 February 2016

करन की बीवी और जुआ

*** करन की  बीवी और जुआ ***

दोस्तों
आशा करता हु की आपकी दिवाली हमेशा की तरह अच्छी गयी होगी, और दिवाली का नाम आते ही कुछ ख़ास लोगो के दिमाग में एक और चीज आती है ... जुआ ... जिसे दिवाली के टाइम खेलना शुभ माना जाता है .
और इसी विषय को लेकर मेरे दिमाग में एक कहानी का प्लाट आया है , जिसे मैं आप सभी के साथ शेयर कर रहा हु, आशा करता हु की ये छोटी सी कहानी आपको पसंद आएगी .

"ओये तरुण  .... कहाँ मर गया साले ...जल्दी बाहर .."

गली में खड़ा हुआ कौशिक अपने दोस्त बाबु उर्फ़ तरुण  के घर के बाहर खड़ा हुआ चिल्ला रहा था ..

बाबु घर की छत्त से बाहर की तरफ झांकते हुए बोला : "अबे क्यों चिल्ला रहा है बे ..तेरी बहन भाग गयी क्या अपने यार के साथ .."

कौशिक  : "साले ...नीचे , फिर बताता हु किसकी बहन भागी है अपने यार के साथ "

बाबु नीचे आया, उसने अभी तक धारियों वाला पायजामा और बनियान पहनी हुई थी, मतलब अभी वो नहाया भी नहीं था ..

बाबु : "अब बोल ...क्या बोल रहा था .."

कौशिक  (अपनी आँखे गोल-2 घुमाते हुए) : "पता है आज मोहल्ले में कौन आया है ??"

बाबु : "कौन ?? कौन आया है ...बोल भेन चोद ... क्यों पहेलियाँ बुन रहा है "
कौशिक  : "अबे ..करन  आया है ...और साथ में भाभी भी है ..."

करन  और उसकी पत्नी का नाम सुनते ही बाबु के तन बदन में आग सी लग जाती है ...

दरअसल करन  उनके ही ग्रुप का बंदा था .. ग्रुप बोले तो बाबु उर्फ़ तरुण  , कौशिक  उर्फ़ कौशिक , करन  उर्फ़ चिकना और जेन उर्फ़ सौरव  , सौरव  इसलिए क्योंकि हमारे ग्रुप में वो ही एक ऐसा बंदा था जो हमेशा मसखरेपन में रहता था, हम सभी की उम्र लगभग पच्चीस के आस पास, मुंबई में एक ही मोहल्ले में पड़े -लिखे और बड़े हुए ...दुनिया का कोई भी ऐसा बुरा काम नहीं था जिसे हमने नहीं किया था ...सिगरेट , शराब , रंडीबाजी , जुआ , सट्टा . ..सब कुछ ..और इसमें सभी एक दुसरे से बढ चड़कर मजे भी लेते थे . करन को गांड मराने  की  लत थी और कौशिक को गांड मरने का शौक सो कौशिक करन की  गांड मारता रहता था करन को भी कौशिक से गांड मराये बिना चैन भी तो नहीं आता था ,शादी के बाद सब जैसे छूट सा गया था...... करन को दूसरा कोई शौक  था तो जुआ खेलने का... ज़ुआ खेलना उसकी कमज़ोरी थी।.

और पिछले महीने ही हमारे दोस्त करन  की शादी हो गयी, हम सभी गए थे उसकी शादी में नासिक , सब कुछ ठीक था ,खूब मजे किये, दारु पार्टी करी ..और शादी के समय जब हमने भाभी को देखा तो हमारी आँखे फटी की फटी रह गयी ... मोउमिता  नाम था उसका, उम्र थी लगभग 22 , रंग गोरा चिट्टा, लम्बी, जैसे कोई फिल्म की हिरोइन हो, हम तो करन  की किस्मत को गालिया दे रहे थे की साले की किस्मत में ऐसी लड़की आखिर कहाँ से गयी, आखिर लड़की ने या उसके घर वालो ने करन  में देखा क्या था, काम धाम तो कुछ करता नहीं था, बाप की किरयाने की दूकान थी, बस यही बोलकर की लड़का भी साथ में बैठता है, उसकी शादी करवा दी घर वालो ने, दरअसल करन  की माँ की तबीयत काफी खराब रहती थी, उसी के मायके वालो ने ये रिश्ता बताया था नासिक में, दो महीने के अन्दर ही सब तय हो गया और शादी भी करवा दी .

हम सभी ने करन  की लेनी कर दी थी, हर समय उसको छेड़ते रहते थे की भाभी का ध्यान रखना अगर कोई प्रॉब्लम हो तो बता देना , आखिर दोस्त किस दिन काम आयेंगे ...उस समय तो करन  कुछ नहीं बोलता था, बल्कि हमारे मजाक के साथ-2 वो भी शुरू हो जाता था की जैसे हमारी दोस्ती चल रही है, वैसे ही चलेगी आजतक हमने हर चीज बाँट कर खायी है (उसका मतलब रंडियों से होता था) वैसे ही इसको भी बाँट कर खायेंगे ...

पर जब हमने  मोउमिता  को देखा तो हमें वो सब बाते याद आने लगी थी, साली क्या माल थी, करन  के तो मजे हो गए यार ...
और हमारे मसखरे सौरव  ने आखिर उनके सामने बोल ही दिया : "करन  भाई , अपना वायेदा याद है ..."

करन  : "वायेदा ...!!!कोन सा ??"

जेन : "अरे वही ...मिल बांटकर खाने वाला ....हा हा हा ।।।"

उसकी बात सुनकर करन  बुरी तरह से किलस गया , और हम तीनो दोस्त ठहाका मार-मारकर हंसने लगे ...और वो बेचारी  मोउमिता  बेचारा सा मुंह बनाकर सोच रही थी की आखिर बात क्या है ..

खेर, शादी ख़त्म हुई,मैंने यानी तरुण ने करन  से पुछा : "और बता, क्या प्रोग्राम है आगे का ..हनीमून के लिए कहाँ जा रहा है "

वो बोलने ही लगा था की बीच में कौशिक  जी बोल पड़े : "हाँ यार , बता दे , हम भी अपनी टिकट कटा लेंगे वहां की ...ही ही "

उसने तो वो बात मजाक में ही बोली थी, पर पहले सौरव की और अब कौशिक  की बात सुनकर उसकी झांटे बुरी तरह से सुलग गयी थी, वो चिल्ला पड़ा : "अबे भूत्निके, पहले कभी लड़की नहीं देखि क्या, जो साले कल से अपनी लार टपकाए घूम रहे हो यहाँ, मुझे जहाँ जाना होगा चला जाऊंगा , अभी तुम लोग जाओ वापिस ..समझे ."

हम सभी को उसके इस तरह के बर्ताव की उम्मीद नहीं थी, पर उसका घर था, उसकी शादी थी, इसलिए हम कुछ बोले और अपना सामान उठा कर वापिस मुंबई चल दिए ..

रास्ते भर मैं सभी को समझाता रहा की हमें ऐसा मजाक नहीं करना चाहिए था ...पर वो लोग समझ रहे थे की लंगूर को हूर मिल गयी है, इसलिए उछल रहा है .

पुरे एक महीने बाद आज वो मुंबई आया है, अपना हनीमून मनाकर और सब काम निपटा कर ...
पर जो बर्ताव उसने किया था उसके बाद उसके घर जाना बड़ा ही अजीब लग रहा था ..पर दोस्त था हमारा ...पर दिल के एक कोने में उसकी खूबसूरत बीबी भी घूम रही थी ..उसको भी तो देखना था ...

मैंने जल्दी से जेन को फोन मिलाया और उसे सब बताया, पहले तो उसने भी आना कानी करी पर बाद में वो मान गया ..

शाम को हम तीनो घर पर बैठ कर प्लान बनाने लगे , अगले दिन दिवाली थी, और हर दिवाली को हम सभी दोस्त और दिनों से ज्यादा दारु पीते थे और पूरी-2 रात जुआ भी खेलते थे ...बस यही प्रोग्राम बना की कल करन  के घर पर दिवाली की बधाई देने के बहाने जायेंगे ..

अगले दिन सुबह हम तीनो उसके घर पर पहुँच गए , मिठाई लेकर ..

हमें देखते ही वो भावुक सा हो गया और उसकी आँखों में आंसू गए, और वो दौड़कर हमारे गले से लग गया ...

करन  : "यार ...मुझे माफ़ कर दो ..मैंने तुम सब के साथ इतना बुरा सलूक किया , मैं तो सोच रहा था की तुम्हारे सामने कैसे अपना ये चेहरा लेकर आऊंगा ..."

हम सभी की टेंशन तो उसने अपने आप ख़त्म कर दी थी ...हम सभी तो बेशर्म लोग थे ..और सोच रहे थे की करन  अब हमसे बात भी करना पसंद करेगा या नहीं ...पर हुआ इसका उल्टा ..पर जो भी हुआ, सभी खुश हो गए ..

और वो मसखरा सौरव बोल पड़ा : " चल बुला भाभी जान को और मिलवा हमें दोबारा उनसे .."

बेचारा करन  ख्सियानी बिल्ली की तरह रह गया और उसने बड़े ही प्यार से अपनी पत्नी को आवाज दी : "मोउ  ...जरा बाहर आना .."

हम सभी दम साधे "भाभी" का इन्तजार करने लगे ...थोड़ी देर में ही पायल की झंकार के पीछे-2 वो बाहर आई ..

पीले रंग की साडी पहनी हुई थी उसने, गोरी चिट्टी, भरे हुए स्तन , चेहरा खिला हुआ, और पेट पर उसने एक चैन बाँधी हुई थी , जो बड़ी ही सेक्सी लग रही थी ...हम सभी की नजर उसकी चेन पर चिपक कर रह गयी ..

उसने आकर सभी को नमस्ते किया और हम सभी के लिए कोल्ड ड्रिंक लेकर आई और सभी को "झुककर" कोल्ड ड्रिंक दी ...

और हम सभी ठरकी दोस्त उसके पल्लू के गिरने का वेट करते रहे जो गिरा नहीं ..

मैंने करन  से बात शुरू की : "तो क्या प्लान है आज दिवाली का ..."

करन  : "तू बोल तरुण  ...क्या करना है .."

मैं : "हम तो वही करने वाले है जो हमेशा करते है ...दारु और ताश की बाजियां ...तू बोल .."

करन  : "बिलकुल यार ...ये भी कोई पूछने वाली बात है ...और ये दारु मेरी तरफ से होगी ...मेरी शादी की पार्टी है तुम सभी के लिए ये ...तुम सब रात को यही जाना ..पूरी रात जुआ चलेगा आज .."

उसकी बात सुनकर सभी खुश हो गए ...एक तो मुफ्त की दारु और ऊपर से करन  के घर पर बैठकर उसकी बीबी के जलवो को देखने का मौका भी मिलेगा ..

रात को मिलने का टाईम फिक्स हुआ ...सभी ने कहा की वो रात दस बजे तक पहुँच जायेंगे ..

अब तो बस रात का इन्तजार था ...

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