मोटा लाल हाथोरे जैसा. कुँवारी चूत के लिए तो बहुत ख़तरनाक हो सकता था. मोउमिता को दोनो हाथों का इस्तेमाल करना पर रहा था, फिर भी रसिकलाल का लॉडा उसके हाथों में नहीं समा रहा था. इतना मोटा था की दोनो हाथों से उसकी मोटाई नापनी पारी. जुब जुब मोउमिता का हाथ लंड पे मालिश करते हुए नीचे की ओर जाता, लंड का मोटा लाल सुपारा और भी ज़्यादा भयंकर लगने लगता." पिता जी एक बात पूच्छुन? बुरा तो नहीं मानेंगे?"" नहीं बहू ज़रूर पुकच्छो."" जी सासू मया तो आपसे बहुत खुश होंगी?"" वो क्यों?" रसिकलाल अंजान बनता हुआ बोला." इतना लूंबा और मोटा पा के कौन औरत खुश नहीं होगी?"" अरे नहीं बहू ये ही तो हुमारी बड किस्मती है. बस एक ग़लती कार्बैठे, उसका फल अभी तक भुगत रहे हैं."" कैसी ग़लती पिताजी?"" अरे बहू सुहाग रात को जोश जोश में कुकच्छ ज़ीज़दा ज़ोर से धक्के मार दिए और पूरा लंड तुम्हारी सासू मया की चूत में पेल दिय.टुम्हारि सासू मया तो कुँवारी थी. झायल नहीं सकी. बहुत खून ख़राबा हो गया था. बेचारी बेहोश हो गयी थी. बस उसके बाद से मन में इतना दर्र बैठ गया की आज तक छुड़वाने से डरती है. बरी मिन्नत करके 6 महेने में एक बार चोद पाते हैं, उसके बाद भी आधे से ज़्यादा लंड नहीं डालने देती."" ये तो ग़लत बात है. पति की ज़रूरत पूरी कर्मा तो औरत का दराम होता है. कोशिश करती तो कुच्छ दिनों में सासू मया की आदत पर जाती.""क्या करें हुमारी दास्तान भी कुच्छ तुम्हारे जैसी है."" ओह ! फिर तो आप भी हुमारी तरह प्यासे हैं."" हन बहू. सासू मा को तो हुमारा पसंद नहीं आया लेकिन तुम्हें हुमारा लंड पसंद आया या नहीं?"" जी ये तो बहुत प्यारा है. इतना बरा तो औरत को बारे नसीब सेमिलता है. सच, हुमें तो सासू मा से जलन हो रही है. " मोउमिता बारे प्यार से रसिकलाल के लॉड को सहलाते हुए बोली. उसने फिर से अपना मुँह रसिकलाल की टाँगों की ओर और छूटेर रसिकलाल के मुँह की ओर कर रखे थे. लंड और टाँगों की मालिश करने के बहाने वो आगे की ओर झुकी हुई थी और छूटेर रसिकलाल की ओर उचका रखे थे." अरे इसमें जलन की क्या बात है ? आज से ये तुमहारा हुआ." रसिकलाल बहू के छूटरों पे हाथ फेरता हुआ बोला." जी मैं आपका मुतलब समझी नहीं."" देखो बहू, हुंसे तुम्हारी बर्बाद होती ये जवानी देखी नहीं जाती. हुमारे रहते हुमारी प्यारी बहू तारपति रहे ये तो हमारे लिए शर्म की बात है. आख़िर हम भी तो मारद हैं. हुमारे पास भी वो सूब है जो तुम्हारे उस नालायक पति के पास है. अब हुमें ही अपनी बहू की प्यास बुझानी परेगी." रसिकलाल का हाथ पेटिकोट के ऊपर सही बहू के विशाल छूटरों की दरार में से होता हुआ उसकी चूत पेआ गया." हाअ.... ! पिता जी ये आप क्या कह रहे हैं? आपका मुतलब आप हुमेन....ऽप्नि बहू को..?"" हन बहू हम अपनी बहू को चोदेन्गे. तुम्हारी इस जवानी को एक मोटे टगरे लंड की ज़रूरत है. हुमारी टाँगों के बीच में अब भी बहुत दूं है."रसिकलाल का हाथ अब धीरे धीरे बहू की टाँगों के बीच उसकी फूली हुई चूत को पेटिकोट और पेंटी के ऊपर से ही सहला रहता." पिता जी...! प्लीज़..! ऐसा नहीं कहिए. हम आपके ज़ज्बात समझते हैं लेकिन आख़िर हम आपकी बहू हैं. आपके बेटे की पत्नी हैं. आपकी बेटी के समान हैं." मोउमिता रसिकलाल के बारे बारे बॉल्स को सहलाती हुई बोली." ये सूब सही है. तुम हमारी बहू हो, हुमारी बेटी के समान हो.टभि तो हुमारा फ़र्ज़ है की हम तुम्हें खुश रखें. कोई गैर औरत होती तो हुमें चिंता करने की कोई ज़रूरत नहीं थी. लेकिन अपनी ही बहू के साथ ऐसा अत्याचार हो ये हमें मंज़ूर नहीं." रसिकलाल ने ये कहते हुए बहू की चूत को अपनी मुट्ही में भर के दबा दिया." इसस्सस्स ...... आअ.. छ्होरिय ना पिताजी, आपने तो फिर पाकर ली हमारी. सोचिए बेटी के समान बहू के साथ ऐसा करना पाप नहीं होगा ?" मोउमिता ने अपनी चूत छुराने की कोई कोशिश नहीं की. बल्कि टाँगें इस प्रकार चौरी कर ली की रसिकलाल अच्छी तरह उसकी चूत पाकर सके. रसिकलाल बहू की चूत को और भी ज़ोर से मसलता हुआ बोला," तो क्या ये जानते हुए भी की बेटी के समान बहू की चूत प्यासी है हम चुप बैठे रहें? जुब बहू मायका छ्होर के ससुराल आती है तो सौराल वालों का फ़र्ज़ बनता है की वो अपनी बहू की सूब ज़रूरतों ककयाल रखें."" लेकिन हुँने तो आपको पिता के समान माना है, अब आपके साथ ये सब कैसे कर सकते हैं."" ठीक है बहू, अगर हमारे साथ नहीं कर सकती तो कोई बात नहीं हम गाओं में एक ऐसा टगरा मारद ढूंड लेंगे जिसका लंड हमारी तरह लूंबा हो और जो हुमारी बहू को अक्च्ची तरह चोद के उसके जिसमकी प्यास बुझा सके. बोलो ये मंज़ूर है?"" है राम !... ....ये क्या कह रहे हैं? किसी दूसरे से तो अक्च्छा है की आप ही....." मोउमिता दोनो हाथों से अपना मुँह च्छूपाटी हुई बोली." इसमे शरमाने की क्या बात है ? बोलो क्या कहना चाहती हो बहू?"रसिकलाल ने अब अपना हाथ बहू के पेटिकोट के अंदर डाल दिया था औ रूसकी जंघें सहला रहा था." जी. हुमारा मुतलब था की अगर इतनी ही मजबूरी हो जाए तो घर की इज़्ज़त तो घर में रहनी चाहिए. किसी गैर मारद को हम अपनी जवानी कैसे दे सकते हैं ? हुमारी इज़्ज़त घर वालों के पास हीरहेगी. "" तो तुम हुमें तो गैर नहीं समझती हो?"" नहीं नहीं, पिताजी आप गैर कैसे हो सकते है ?"" सच बहू तुम जितनी खूबसूरत हो उतनी ही समझदार भी हो. घर कीज़्ज़त घर में ही रहनी चाहिए. तुम्हारी सूब ज़रूरतें घर मेंही पूरी की जा सकती हैं. हम इस बात का पूरा ध्यान रखेंगे की तुम्हें किसी गैर मारद के लंड की ज़रूरत ना महसूस हो."रसिकलाल समझ गया था की बहू भी वासना की आग में जुल रही है क्योंकि उसकी कच्ची उसकी चूत के रूस से बिल्कुल भीग चुकी थी. लेकिन अपने ससुर से चुड़वाने में झिझक रही थी. बहू की झिझक दूर करनेके लिए उसे शुरू में थोरी ज़ोर ज़बरदस्ती करनी परेगी. लोहा गरम है, अगर अभी इस सुनहरी मौके का फ़ायदा नहीं उठाया तो फिर बहुको नहीं चोद पाएगा. लेते लेते तो कुच्छ कर पाना मुश्किल था. रामललूत के खरा हो गया." क्या हुआ पिता जी आप कहाँ जेया रहे हैं ?"" कहीं नहीं बहू, अब तुम ठीक से सूब जगह टेल लगा दो."रसिकलाल के खरे होते ही उसकी धोती और लंगोट नीचे गिर गये. अब वो बिल्कुल नंगा बहू के सामने खरा था. उसका तना हुआ 11 इंच का मोटकला लंड बहुत भयंकर लग रहा था. ये नज़ारा देख के मोउमिता कीटो साँस ही गले में अटक गयी. उसने खरे हुए ससुर जी की टाँगों में तैल लगाना शुरू किया. ससुर जी का ताना हुआ लॉडा उसके मुँह से सिर्फ़ कुच्छ इंच ही दूर था. मोउमिता का मन कर रहा था की उस मोटे मूसल को चूम ले." बहू तोरा हुमारी च्चती पे भी मालिश कर दो."ससुर जी की च्चती पे मालिश करने के लिए मोउमिता को भी खरा होना परा. लेकिन ससुर जी का ताना हुआ लंड उसे नज़दीक नहीं आने दे रहता. वो ससुर जी को छेड़ते हुए हँसती हुई बोली," पिता जी, आपका गधे जैसा वो तो हुमें नज़दीक आने ही नहीं दे रहा, आपकी च्चती पे कैसे मालिश करें ?"" तुम कहो तो काट दें इसे बहू ?"" है राम !... ये तो इतना प्यारा है. इसे नहीं काटने देंगे हम."मोउमिता ससुरजी के लॉड को बारे प्यार से सहलाती हुई बोली." तो फिर हुमें कुच्छ और सोचना परेगा."" हन पिताजी कुच्छ करिए ना. आपका ये तो बहुत प्रोबें कर रहा है."" ठीक है बहू, हम ही कुच्छ करते हैं." ये कहते हुए रसिकलाल ने बहू के पेटिकोट का नारा खींच दिया. नारा खुलते ही पेटिकोट बहू की टाँगों में गिर गया. दूसरे ही पल रसिकलाल ने बहू की बगलों में हाथ डाल के उसे ओपपार उठा लिया और खींच के अपनी बाहों में जाकर लिया. इससे पहले की मोउमिता की कुच्छ समझ में आता, उसने अपने आप को ससुर जी की च्चती से चिपका पाया. वो सिर्फ़ ब्लाउस और पनटी में थी. उसका पेटिकोट पीच्चे ज़मीन पे परा हुआ था. ससुरजी का विशाल लंड उसकी टाँगों के बीच ऐसे फँसा हुआ था जैसे वो उसकी सवारी कर रही हो." ऊई माआ..... पिता जीई.... ये आपने क्या किया ? छ्होरिय ना हुमें."मोउमिता अपने आप को च्छूराने का नाटक करती हुई बोली." तुम ही ने तो कहा था की हुमारा लंड तुम्हें नज़दीक नहीं आने दराहा है. देखो ना अब प्राब्लम डोर हो गयी."" सच आप तो बारे खराब हैं. अपनी बहू का पेटिकोट कोई ऐसे उतारता है ?"" मजबूरी थी बहू उतारना परा. तुम्हारा पेटिकोट तुम्हें नज़दीक नहीं आने देता. लेकिन अब देखो ना तुम हुमारे कितनी नज़दीक आ गाइहो." रसिकलाल दोनो हाथों से बहू के विशाल छूटरों को दबा रहा था. बेचारी छ्होटी सी कच्ची मोटे मोटे छूटरों की दरार में घुसी जारही थी. रसिकलाल के मोटे लॉड ने बहू की कच्ची के कापरे को सामने से भी उसकी चूत की दोनो फांकों के बीच में घुसैर दिया थ.मोउमिता को रसिकलाल के लंड की गर्माहट बेचैन कर रही थी. इतने दिनों से जिस लंड के सपने ले रही थी वो आज उसकी जांघों के बीच फँसा हुआ उसकी चूत से रगर खा रहा था." आए है ! कितने मजबूर हैं आप जो आपको अपनी बहू का पेटिकोट उतरना परा. लेकिन ऐसे चिपके हुए हम आपकी च्चती की मालिश कैसे कर सकते हैं? छ्होरिय ना हुमें प्लीज़.."" कोई बात नहीं बहू च्चती पे नहीं तो पीठ पे तो मालिश कर सकती हो."मोउमिता ससुर जी के बदन से बैल की तरह लिपटी हुई थी. उसकसीर ससुर जी की च्चती पे टीका हुआ था. उसने दोनो हाथों से पीठ की मालिश शुरू कर दी. रसिकलाल भी बहू की पीठ और चोटरों पे हातफेर रहा था. रसिकलाल के लॉड से रगर खा के मोउमिता की चूत बुरी तरह गीली हो गयी थी और पेंटी भी बिल्कुल उसके रूस में भीग गयी थी. रसिकलाल के लंड का ऊपरी भाग बहू की चूत के रूस में भीगा हुआ था. मोउमिता का सारा बदन वासना की आग में जुल रहा था." बहू तुम हुमारी पीठ की मालिश करो, हम भी तुम्हारी पीठ कीमालिश कर देते हैं." रसिकलाल ने अपने हाथों में टेल ले कर बहूकी पीठ पे मलने शुरू कर दिया. धीरे धीरे उसने बहू के विशालनितुंबों पे से उसकी पेंटी को उनके बीच की दरार में सरका दिया औरदोनो नितुंबों की दबा दबा के मालिश करने लगा. मोउमिता के मुँह सेहल्की हल्की सिसकियाँ निकल रही थी. पीठ पे मालिश करने के बहानेधीरे धीरे रसिकलाल ने बहू के ब्लूसे के हुक खोल के ब्रा का हुक भीखोल दिया. मोउमिता को महसूस तो हो रहा था की शायद ससुर जी उसकेब्लाउस और ब्रा का हुक खोल रहे हैं लेकिन वो अंजान बनी रही. जुबससुर जी ने उसका ब्लाउस और ब्रा को उतारना शुरू किया तो वो हार्बारा केबोली," है राम !... पिता जी... ये क्या कर रहे हैं ? हुमारा ब्लाउस क्योंउतार रहे हैं ?" लेकिन मोउमिता ने रसिकलाल से अलग होने की कोई कोशिशनहीं की." कहो तो बहू तुम्हारे ब्लाउस के ऊपर ही टेल लगा दें ? बिना ब्लाउसउतारे तुम्हारी पीठ की कैसे मालिश होगी ?" और इससे पहले कीमोउमिता कुच्छ बोलती रसिकलाल ने एक हाथ से बहू को अपने चिपका के रखाऔर दूसरे हाथ को ढीले हुए ब्रा के अंडर डाल कर बहू की बरी बरीचूचीोन को मसालने लगा. मोउमिता की चूचीोन पे मारद का हाथ लगेदो महीने हो चुके थे. वो तो अब वासना आग में पागल हुई जेया रहीथी.
" इसस्स.... आआआआः. . पिता जी.... इसस्स्स्सस्स. .. आईईइ.. आअ.. छ्होरियनेया.. आह... धीरे. .. अब छ्होर दीजिए हुमें.. प्लीज़. . एयाया.. इय्ाआ. .इसस्सस्स धीरे.. आ .. क्या कर रहे हैं."" कुच्छ नहीं बहू, तुम तो हमारी च्चती पे मालिश कर नहीं सकी,हुमने सोचा हम ही अपनी बहू की च्चती पे मालिश कर देते हैं."बातों बातों में रसिकलाल ने बहू का ब्लाउस और ब्रा उसके बदन से अलगकर दिया. अब बहू के बदन पे सिर्फ़ एक छ्होटी सी कच्ची थी. रसिकलाल नेएक हाथ नीचे की ओर ले जा के बहू के चूत पे से उसकी कच्ची को साइडमें कर दिया. अब रसिकलाल का लंड बहू की नंगी चूत से रगर रहाथा." इससस्स... हटिए भी पिताजी. आप तो सच मच बहुत खराब हैं. अपनीजवान बहू को इस तरह कोई नंगी करता है ? अब हुमें कापरे पहननेदीजिए.""बहू इसे कोई नंगी कर्मा थोरे ही कहते हैं. तुम्हें किसी मारद नेनंगी करके चोदा जो नहीं है, इसीलिए नंगी होने का मुतलब नहींसमझती हो. अभी तो तुम कच्ची पहने हुए हो."" है राम ! तो अभी हुमारी कच्ची भी उतारेंगे क्या ?""हन बहू."" नहीं ना पिताजी.... प्लीज़. .. आप ऐसा क्यों कर रहे हैं?"" बहू, एक मारद , औरत की कच्ची क्यों उतारता है ?"" जी वो .. हुमारा मुतलब है... एम्म्म.. ."" शरमाओ नहीं, बताओ तुम्हारा पति तुम्हारी कच्ची क्यों उतारता है?"रसिकलाल बहू की चूचियाँ मसल रहा था और उसका मोटा लूंबा लंड बहूकी चूत की दोनो फांकों के बीच से होता हुआ पीछे की ओर दोनोनितुंबों के बीच में से झाँक रहा था. मोउमिता से अब और सहननहीं हो रहा था. वो चाहती थी की ससुर जी अब जल्दी से जल्दी अपनागधे जैसा लॉडा उसकी चूत में पेल दें. लेकिन एक तो औरत जात थीऊपर से रिश्ता भी कुच्छ ऐसा था." बोलती क्यों नहीं बहू ?"" जी, वो तो हुमें.. हुमारा मुतलब है.. वो तो हुमें चोदने के लिएहमारी कच्ची उतारते हैं." मोउमिता दोनो हाथों से अपना मुँहच्छूपाते हुए बोली. पहली बार उसने ससुर जी के सामने चोदने जैसेशब्द का इस्तेमाल किया.
" लेकिन उस नालयक ने तुम्हें कभी नंगी करके नहीं चोदा ना?"" नहीं पिताजी. लेकिन ये सूब आप क्यों पूच रहे हैं.?"" इसलिए बहू की अब हम तुम्हारी कच्ची उतारके और तुम्हें पूरी तरहनंगी करके चोदेन्गे. अब तुम्हें पता चलेगा की जुब मारद औरत कोनंगी करके चोदता है तो औरत को कितना मज़ा आता है."" है राम ! पिता जी.. हमें चोद के आपको पाप लगेगा."" इस लाजबाब जवानी को चोदने से अगर पाप लगता है तो लगे. अरेबहू अपने जिस्म की आवाज़ सुनो. अपनी चूत की आवाज़ सुनो. बताओ अगरतुम्हारी चूत को इस लंड की ज़रूरत नहीं है तो उसने हुमारे लंडको गीला क्यों कर दिया है.?"" आप अपने गधे जैसे उसको हुमारे वहाँ रगरेंगे तो हुमारी गीलीनहीं होगी क्या ?"" अब इतना गीला कर ही दिया है तो उसे अपनी प्यारी खूबसूरत सीचूत का रूस भी पी लेने दो."लोहा गरम था. रसिकलाल ने अब देर कर्मा ठीक नहीं समझा. बस एक बारकिसी तरह बहू की चूत में लंड फँसा ले, फिर सूब ठीक होजाएगा. उसने एक झटके में बहू की चूत के रूस में सनी हुई पेंटीपाकर के नीचे खिसका दी . अब मोउमिता बिल्कुल नंगी थी.रसिकलाल ने बहू को अपनी बाहों में जाकर लिया और अपने होंठ बहू केरसीले होंठों पे रख दिए. मोउमिता भी ससुर जी से लिपटी हुई थी.उसकी चूत बुरी तरह गीली थी. चूत के रूस में सनी पेंटी उसकेपैरों में पारी हुई थी. मोउमिता ने पैरों पे उचक के रसिकलाल के तनेहुए लंड को अपनी टाँगों के बीच में इस तरह अड्जस्ट किया की वो उसकीचूत पे ठीक से रगर सके. रसिकलाल बहू की चूत की गर्मी औरमोउमिता ससुर जी के विशाल लंड की गर्मी अपनी चूत पे महसूस कररही थी. काफ़ी देर बहू के होंठों का रस पॅयन करने के बाद रसिकलाल मोउमिता से अलग हो गया और थोरी दूर से उसकी मस्त जवानी कोनिहारने लगा. क्या बाला की खूबसूरत थी बहू. गोरी गोरी मांसलचूचियाँ. पतली कमर और उसके नईएचए फैलते हुए विशाल चूटर.तराशि हुई मांसल जांघों के बीच में घने काले बाल !रसिकलाल ने आज तक किसी औरत की चूत पे इतने घने और लंबे बाल नहीं देखेथे. ऐसी जवानी देख के रसिकलाल मदहोश हो गया." ऊफ़.. पिता जी अपनी बहू को नंगी करते आपको ज़रा भी शरम नहींआई. अब ऐसे घूर घूर के क्या देख रहे हैं ?" मोउमिता शर्मा करएक हाथ से अपनी चूत और एक हाथ से अपनी चूचीोन को ढकने कीनाकामयाब कोशिश करती हुई बोली." सच बहू आज तक हुमने इतनी मस्त जवानी नहीं देखी. इस बेचारेलंड को निराश ना करो, थोरा सा तो अपनी चूत का रूस पीला दो. चलोअगर तुम हुमें नहीं देना चाहती हो तो कोई बात नहीं, हम सिर्फ़ लंडका सुपरा तुम्हारी चूत में डाल के निकाल लेंगे . बेचारा थोरा सापानी पी लेगा. अब तो ठीक है ना?"" ठीक है पिताजी. हुमें चोदेन्गे तो नहीं ना ?" मोउमिता जान केचोदने जैसे शब्द का इस्तेमाल कर रही थी. उसके मुँह से ये सुन केरसिकलाल और भी पागल हुआ जा रहा था."नहीं चोदेन्गे बहू. तुम्हारी इज़ाज़त के बिना तुम्हें कैसे चोद सकतेहैं."
ये कहते हुए रसिकलाल ने नंगी मोउमिता को अपनी बलिष्ठ बाहों में उठालिया और बिस्तेर पे पटक दिया. अब वो पागलों की तरह बहू के पूरेबदन को चूमने लगा. फिर उसने बहू की मोटी जांघें फैला दी. बहूके जांघों के बीच का नज़ारा देख के उसका कलेजा मुँह को आ गया.घनी लंबी झांतों के बीच में से बहू की चूत के खुले हुए होंठझाँक रहे थे मानों बरसों से प्यासे हों. नंगी मोउमिता अपने ससुरके सामने टाँगें फैलाए परी हुई थी. शरम के मारे उसने दोनोहाथों से अपना मुँह ढक लिया." ऐसे क्या देख रहे हैं पिताजी..?"" हमें भी तो इस जन्नत का नज़ारा देखने दो बहू. बहू तुमने तोटाँगों के बीच में पूरा जंगल उगा रखा है. कभी सॉफ नहींकिया? इतनी खूबसूरत चूत को यों घने बालों के पीच्चे क्योंच्छूपा रखा है?"" इसलिए की कहीं आपकी नज़र ना लग जाए."" आए हाई ! बहू तुम्हारी इसी अदा ने तो हमें मार डाला है."अब रसिकलाल से ना रहा गया. उसने बहू की मादक चूत को आगे झुक केचूम लिया.
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धीरे धीरे वो उसकी चूत चाटने लगा. मोउमिता के मुँहसे अब सिसकारियाँ निकल रही थी.ईस्स्स.ऽआआ. .आआआः.. .ईईीीइसस्सस्स. .उउउन्न्ञणणंह. रसिकलाल की जीभ बहू कीचूत के अंडर बाहर हो रही थी. ऊऊपफ़ ...आआआः.. ..पिताजी. ..आअ..आईईईई. बहू की चूत बुरी तरह रूस छ्होर रही थी. उसकी लुंबीलंबी झांटें भी भीग गयी थी. बहू वासना की आग में उत्तेजित होके, चूटर उचका उचका के अपनी चूत ससुर जी के मुँह पर रगर रहीथी. रसिकलाल का पूरा मुँह बहू की चूत के रूस में सन गया. चूतके बाल रसिकलाल के मुँह में जा रहे थे. अब बहू को चोदने का टाइम आगया था. रसिकलाल ने बहू के टाँगें मोर के उसकी च्चती से लगा दी.बहू की चूत उभर आई थी और मुँह फारे लंड का इंतज़ार कर रहीथी. रसिकलाल ने अपने फौलादी लंड का सुपरा बहू की खुली हुई चूत केमुँह पे टीका दिया और धीरे धीरे दोनो फांकों के बीच में रगार्नेलगा. मोउमिता से अब और सहन नहीं हो रहा था.
" इसस्स्स्स्स्स्स्सस्स. ... पिताजी क्यों तुंग कर रहे हैं ? आपका वो तो हमारीउसका रूस पीना चाहता है ना. अब डाल भी दीजिए अंडर ". मोउमिताका दिल ज़ोर ज़ोर से धड़कने लगा था. जिस लंड के वो रात दिन सपनेलेती थी अब उसका मोटा सुपरा मोउमिता की चूत के दरवाज़े पे दस्तक देरहा था." बहू तुम्हारी चूत तो बिल्कुल डबल रोटी की तरह फूली हुई है."" आपको अच्छी लगी ?"" बहुत."" तो फिर ले लीजिए न..आब डालिए ना प्लीज़..." मोउमिता अपने चूटरउचका के लंड अपनी चूत में लेने की कोशिश करते हुए बोली..रसिकलाल ने लंड के सुपारे को बहू की चूत की दोनो फांकों के बीच केकटाव में थोरा और रगरा और फिर हल्का सा धक्का लगा दिया. चूतइतनी गीली थी की लंड का मोटा सुपरा गुपप से अंडर घुस गया." आऐईयईई.... ..अयाया पिता जी ..आआ..ऽआप्क तो बहुत ..आआ मोटा है.मैं मर्र जाउन्गि."" कुकच्छ नही होगा बहू." रसिकलाल ने बहू की चूचियाँ मसालते हुए इसबार एक करारा सा धक्का लगा के एक चौथाई लंड अंडर कर दिया."ऊओइ..ंआआ. .आआआः.. ..आाआऐययईईईई ईईईईईईईईईईईईई. ......... आअहह. .पिताजीआप तो आ... हुमें चोद रहे हैं. इससस्स...."" अच्छा नहीं लग रहा तो निकाल लें बहू."" बहुत अच्छा लग रहा है.ऽआआ.. ..ऊवू.. ..आपने तो कहा था की आपचोदेन्गे नहीं."" कहाँ चोद रहें हैं बहू ? इसे सिर्फ़ तुम्हारी चूत का रूस पीलादें. बिना चूत में जाए ये रूस कैसे पिएगा ?"रसिकलाल ने लंड को सुपारे तक बाहर खींचा और फिर एक ज़बरदस्तधक्का लगा दिया. इस बार करीब 8 इंच लंड बहू की चूत में समागया. मोउमिता का दर्द के मारे बुरा हाल था." आआआआआआआआआ. ......... ..प्लेआआासए. ...आआआ. अह.ऽह.ऽह. .आह आअपकातो बहुत लंबा है पिताजी. आईयाअ.... हम नहीं झेल पाएँगे.आआ.....ऽअह. ...अभी और कितना बाकी है ? आहह."" बस बहू अब तो बहुत थोरा सा ही बाहर है."" जी हमारी तो फॅट जाएगी."" नहीं फटेगी बहू. तुम तो ऐसे कर रही हो जैसे ज़िंदगी में पहलीबार लंड तुम्हारी चूत में गया हो."" जी मरद का तो काई बार गया है.ऽआआआ. ..... लेकिन गधे का तो आजपहली बार जा रहा है.....ऽआआआअह. ..."
" बस बहू थोरा सा और झेल लो. उसके बाद तो हम निकाल ही लेंगे."यह कह कर रसिकलाल ने बहू की चूत के रूस में साना हुआ लंड पूराबाहर खींच लिया और उसकी मोटी मोटी चूचियाँ पाकर के एक बहुत हीज़ोर का धक्का लगा दिया. इस बार रसिकलाल का 11 इंच का मूसल बहू कीचूत को बरी बेरहमी से चीरता हुआ पूरा जर तक अंडर समा गया.रसिकलाल के सांड़ जैसे बारे बारे बॉल्स बहू के ऊपर की ओर उठे हुएविशाल छूटरों से चिपक गये और गांद के च्छेद में गुड गुडी करनेलगे." आाआईयईईईईई. ...आअहह. .आअहह.. .... पिताजीईईईई. .....इसस्स्स्स्स्स्सस्स स.....ंअर गयी मैं.. ऊऊओ, सुचमुच फॅटजाएगी हमारी. प्लीज़ हुमें छ्होर दीजिए. आपका तो किसी गधि के लिएही ठीक है."" मेरी जान,अब इतना क्यों चिल्ला रही हो? तुम्हारी चूत ने तो हमारापूरा लंड खा लिया है."" जी इतनी बेरहमी से आपने अंडर जो पेल दिया. ईीइसस्स्स्स्सस्स. ....."रसिकलाल ने हल्के हल्के धक्के लगाने शुरू कर दिए. मोउमिता बिल्कुलमस्त हो गयी थी." आआअहह.... इसस्सस्स... ऊओहााआ. ..पिताजी. .अया आअप तो हुमें सुचमुचही चोदने लग गये."" कहो तो ना चोदे बहू."" सच आप बहुत ही खराब हैं. औरत को फुसला के चोदना तो कोईआपसे सीखे. अपना गधे जैसा वो पूरा हमार अंडर पेल दिया , औरअब कह रहे हैं, कहो तो ना चोदे. इसे चोदना नहीं तो और क्या कहतेहैं ?"" तुम्हें अच्छा नहीं लग रहा बहू ?" रसिकलाल आधा लंड बाहर निकालके फिर जर तक पेलता हुआ बोला." आआआईइ...इस्स्स्स. .जी बहुत अच्छा लग रहा है. काश आप हुमारेससुर ना होते ! तो हम आज जी भर के आपसे चुद्वाते.."" देखो बहू तुम्हें मज़ा आ रहा है और हुमने भी ऐसी जवान औरखूबसूरत औरत को कभी नहीं चोदा. सिर्फ़ आज चोद लेने दो."" सच आप बहुत चालाक हैं. अभी थोरी देर पहले आपने हुमें बेटीकहा था, ऑरा अब अपनी बेटी को ही चोद रहे हैं ? बोलिए अब भी हमआपकी बेटी हैं ? "" हां बेटी , तुम अब भी हमारी बेटी हो और हमेशा हमारी बेटीरहोगी." रसिकलाल एक ज़ोर का धक्का मारता हुआ बोला.
" आआआ...्. .अच्छा जी ! अपनी बेटी को चोदते हुए आपको ज़रा भी शरमनही आ रही ? लेकिन पिताजी आपका बहुत मोटा है. हुमारी उसको चौरीकर देगा. चौरी हो गयी तो इन्हें पता लग जाएगा. हम कहीं के नहींरहेंगे."" किसको चौरी कर देगा बहू?"" हटिए भी आपको पता तो है.ःउमारि जिस चीज़ में ये मूसल घुसाहुआ है उसी को तो चौरी करेगा ना." मोउमिता रसिकलाल के लॉड को अपनीचूत से दबाती हुई बोली." कितनी नादान हो बहू , इतनी जल्दी थोरे ही चौरी हो जाती है. अगरहम तुम्हें दो टीन साल चोदे तो शायद चौरी हो जाए."" फिर ठीक है, अब तो आपने चोदना शुरू कर ही दिया है तो आज चोदलीजिए. लेकिन आज के बाद फिर कभी नहीं चोदने देंगे. ये पाप है.इन्होने पूचछा चौरी कैसे हो गयी तो कह देंगे खेत में जाते वक़्तएक गधे ने हुमें ज़बरदस्ती चोद दिया. वैसे ये बात झूट तो हैनहीं. इस वक़्त हुमें एक गधा ही तो चोद रहा है. "" सच बहू तुम बातें बहुत मीठी मीठी करती हो.. आज तो जी भरके चोद लेने दो. ऐसी चूत चोद के तो हम धान्या हो जाएँगे. लेकिनबहू तुम्हें चुदाई सीखना भी हमारा धर्म है. बोलो सीखोगी ना?"" जी, आप सिखाइए, हम ज़रूर सीखेंगे."" देखो बहू चुदवाते वक़्त औरत को कोई शरम नहीं करनी चाहिए.बस खुल के रंडी की तरह चुद्वाओ."
" हुमें क्या पता रंडियन कैसे चुद्वाति हैं."" बहू रंडियां चुड़वाते वक़्त कोई शरम नहीं करती और ना ही अपनीज़ुबान पे काबू रखती हैं. रंडी सिर्फ़ एक औरत की तरह चुड़वातीहै, मरद से पूरा मज़ा लेती है और मरद को पूरा मज़ा देती है.बोलो बहू चोदे तुम्हें रंडी की तरह?"" आआअ...ज़ी, चोदिये हुमें बिल्कुल रंडी बना के चोदिये. ईईीीइसस्सस्स.. .आज ये चूत आपकी है." मोउमिता ने अब शरमाने का नाटक बंद करदिया और बेशर्मी के साथ चोदने की बातें करने लगी." शाबाश बहू ! ये हुई ना बात, आज हम तुम्हारी चूत की प्यासबुझा के ही दम लेंगे. तब तक चोदेन्गे जब तक तुम्हारा दिल नहींभर जाता."" जी हम कब माना कर रहे हैं. चोदिये ना." मोउमिता चूतेरउचकाती हुई बोलीअब रसिकलाल बहू के नंगे बदन को और मांसल जांघों को सहलानेलगा. धीरे धीरे मोउमिता का दर्द दूर होता जा रहा था और उसकीचूत ने फिर से पानी छ्होरना शुरू कर दिया था. रसिकलाल बहू केरसीले होंठों को चूसने लगा और धीरे धीरे अपना लंड बहू कीचूत के अंडर बाहर करने लगा. मोउमिता को अब बहुत मज़ा आ रहाथा. गधे जैसे लंड से चुड़वाने में औरत को कैसा आनंद मिलता हैआज उसे पता चला. रसिकलाल के मोटे लॉड ने मोउमिता की चूत बुरीतरह चौरी कर रखी थी." दर्द हो रहा हो तो बाहर निलाल लें बहू?"" नहीं नहीं पिता जी हमारी चिंता ना कीजिए बस हुमें इतना चोदियेकी आपके लंड की बरसों की प्यास शांत हो जाए. आपके लंड की प्यासशांत हो जाए तो हुमें बहुत खुशी होगी." मोउमिता चूटर उचका केरसिकलाल का लॉडा गुपप से अपनी चूत में लेती हुई बोली. रसिकलाल ने बहूकी टाँगों को और शॉरा किया और हल्के हल्के धक्के लगाने लगा. वोनहीं चाहता था की उसका मूसल बहू की नाज़ुक चूत को फार दे. एकबार बहू की चूत को उसके लूंबे मोटे लॉर को झेलने की आदत परजाए फिर तो वो खूब जम के छोड़ेगा. मोउमिता ने ससुरजी की कमर मेंटाँगें लपेट ली और अपने पैर की एडिओं से उनके चूटर को धक्कादेने लगी. रसिकलाल समझ गया की बहू की चूत अब चुदाई के लिए पूरीतरह तयार है. अब उसने बहू की चूचियाँ पकर के लंड को सुपारे तकबाहर निकाल के जर तक अंडर पेलना शुरू कर दिया. बहू की चूतइतनी ज़्यादा गीली थी की पूरे कमरे में बहू की चूत से फ़च..फ़च... फच...फच. ...फ़च. .फ़च... फ़च.... फ़च.... .और मुँह सेआआआ....ईस्स्स्स. .....आऐईयइ..आआहह.. .आआआआअ. ..ऊओिईईईई. ..आहह.. अह.ऽह.ऽह ..आह का मादकसंगीत निकल रहा था." बहू ये फच..फच. . की आवाज़ें कहाँ से आ रही हैं?" रसिकलाल बहूको चिढ़ाता हुआ बोला." इस्स...ऽआअ. .पिताजी ये तो अपने मूसल से पूच्हिए."" उस बेचारे को क्या पता बहू?"" उसे नहीं तो किसे पता होगा पिताजी. इसससी.. ज़ालिम कितनी बेरहमी सेहमारी चूत को मार रहा है."" तुम्हारी चूत भी तो बहुत ज़ालिम है बहू. कितने दिनों से हमारीनींद हराम कर रखी थी. ऐसी चूत को चोदने में रहम कैसा?सच इसे तो आज हम फाड़ डालेंगे. " रसिकलाल ज़ोर ज़ोर से धक्के मारताहुआ बोला.
" है ! पिताजी, हुमने कब कहा रहम कीजिए. औरत की चूत के साथज़िंदगी में सिर्फ़ एक ही बार रहम किया जाता है और वो भी अगरचूत कुँवारी हो. उसके बाद अगर रहम किया तो फिर चूत दूसरा लंडढूनडने लगती है. औरत की चूत तो बेरहमी से ही चोदी जाती है.अगर हमारी चूत ने आपको इतना तंग किया है तो फाड़ डालिए नाइसे. कौन रोक रहा है ?"
कहानी जारी रहेगी
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