मोउमिता के मुँह से अनायास ही निकाल गया और फिर वो पकचछटायी.. " बहुत बरा है बहू?" रसिकलाल मोउमिता की बात पूरी करता हुआ बोला. अब रसिकलाल का हाथ फिसल कर मोउमिता के नितुंबों पे आ गया था. " ज्जजी….." मोउमिता सिर नीचे किए हुए बोली. " ओ ! तो इसका इतना बरा देख के डर गयी ? कुच्छ मर्दों का भी गधे जैसा ही होता है बहू. इसमें डरने की क्या बात है ?. जब औरत बारे से बरा झेल लेती है, फिर ये तो गधी है." मोउमिता का चेहरा शरम से लाल हो गया था. वो बोली, " चलिए पिताजी वापस चलते हैं, हुमें बहुत शरम आ रही है." " क्यों बहू वापस जाने की क्या बात है? तुम तो बहुत शरमाती हो. बस दो मिनिट में इस गधे का काम ख़तम हो जाएगा फिर खेत में चॅलेंज." बातों बातों में रसिकलाल एक दो बार मोउमिता के नितुंबों पे हाथ भी फेर चक्का था. रसिकलाल का लंड मोउमिता के मुलायम नितुंबों पर हाथ फेर के खड़ा होने लगा था. वो मोउमिता की पनटी भी फील कर रहा था। मोउमिता क्या करती ? घूँघट में से गधे को अपना लंड गढ़ी के अंडर पेलते हुए देखती रही. इतना लूंबा लंड गढ़ी के अंडर बाहर जाता देख उसकी चूत पे भी चीटियाँ रेंगने लगी थी. मोउमिता को रसिकलाल का हाथ अपने नितुंबों पर महसूस हो रहा था. इतनी भोली तो थी नहीं. दुनियादारी अक्च्ची तरह से समझती थी. वो अक्च्ची तरह समझ रही थी की ससुर जी मौके का फ़ायदा उठा के सहानुभूति जताने का बहाना करके उसकी पीठ और नितुंबों पे हाथ फेर रहे हैं. इतने में गधा झार गया और उसने अपना तीन फुट लूंबा लंड बाहर निकाल लिया. गढ़े के लंड में से अब भी वीरया गिर रहा था. ससुर जी ने दोनो गधों को रास्ते से हटाया और मोउमिता के छूटरों पे हथेली रख कर उसे आगे की ओर हल्के से धक्का देता हुआ बोला, " चलो बहू अब हम खेत शेलेट हैं." " चलिए पिताजी." " बहू मालूम है तुम्हारी सासू मया भी मुझे गधा बोलती है." " हाअ… ! क्यों ? आप तो इतने अक्च्चे हैं." " बहू तुम तो बहुत भोली हो. वो तो किसी और वजे से मुझे गधा बोलती है." अचानक मोउमिता रसिकलाल का मतलब समझ गयी. शायद ससुर जी का लंड भी गधे के लंड के माफिक लूंबा था तुबी सासू मया ससुर जी को गधा बोलती थी. इतनी सी बात समझ नहीं आई ये सोच कर मोउमिता अपने आप को मन ही मून कोसने लगी. मोउमिता सोच रही थी की ससुर जी उससे कुच्छ ज़्यादा ही खुल कर बातें करने लगे हैं. इस तरह की बातें बहू और ससुर के बीच तो नहीं होती हैं. बात बात में प्यार जताने के लिए उसकी पीठ और नितुंबों पे भी हाथ फेर देते थे.ठोरि ही देर में दोनो खेत में पहुँच गये. रसिकलाल ने मोउमिता को सारा खेत दिखाया और खेत में काम करने वाली औरतों से भी मिलवाया. मोउमिता तक गयी थी इसलिए रसिकलाल ने उसे एक आम के पैर के नीचे बैठा दिया. " बहू तुम यहाँ आराम करो मैं किसी औरत को तुम्हारे पास भेजता हूँ. मुझे थोरा पंप हाउस में काम है." " ठीक है पिताजी मैं यहाँ बैठ जाती हूँ." रसिकलाल पंप हाउस में चला गया. पंप हाउस में रसिकलाल ने बीनोकुलर्स (दूरबीन) रखी हुई थी. इस बीनोकुलर से वो खेत की रखवाली तो करता ही था पर साथ साथ खेत में काम करने वाली औरतों को भी देखता था. कभी कोई औरत पेशाब करने जाती या लापरवाही से बैठती तो रसिकलाल उसकी चूत के दर्शन करने से कभी नहीं चूकता. आज उसका इरादा बहू की चूत देखने का था. रसिकलाल दूरबीन से उस पैर के नीचे देखने लगा जहाँ बहू बैठी थी. बहू बहुत ही खूबसूरत लग रही थी. लेकिन उसकी चूत के दर्शन होने का कोई चान्स नहीं लग रहा था. रसिकलाल मून ही मून माना रहा था की बहू पेशाब करने जाए और पंप हाउस की ओर मुँह करके बैठे ताकि उसकी चूत के दर्शन हो सकें। लेकिन ऐसा कुच्छ नहीं हुआ. रसिकलाल काफ़ी देर तक मोउमिता को दूरबीन से देखता रहा. आख़िर वो अपनी कोशिशों में कामयाब हो गया. बहू ने बैठे बैठे टाँगें मोर ली. जुब औरतों के आस पास कोई नहीं होता है तो थोरी लापरवाह हो जाती हैं. जिस तरह से बहू बैठी हुई थी रसिकलाल को लहँगे के नीचे से उसकी गोरी गोरी टाँगें और टाँगों के बीच में सूब कुच्छ नज़र आने लगा। रसिकलाल के दिल की धड़कन बरह गयी. बहू की मांसल जांघों के बीच बहू की चूत पे कसी हुई सफेद रंग की ककच्ची नज़र आ रही थी. रसिकलाल ने दूरबीन को ठीक बहू की चूत पे फोकस किया. ऊफ़ क्या फूली हुई चूत थी. छूट पे कसी हुई ककच्ची का उभार बता रहा था की बहू की चूत बहुत फूली हुई थी. ककच्ची के दोनो ओर से काली काली झाँटेन नज़र आ रही थी. यहाँ तक की बहू की चूत का कटाव भी साफ नज़र आ रहा था क्योंकि ककच्ची चूत की दोनो फांकों के बीच में फाँसी हुई थी. रसिकलाल का लॉडा खरा होने लगा. अचानक बहू ने ऐसा काम किया की रसिकलाल का लंड बुरी तरह से फंफनाने लगा. बहू ने अपना लहंगा उठा लिया और अपनी टाँगों के बीच में देखने लगी. शायद कोई छींटा ल़हेंगे में घुस गया था. ऊफ़ क्या कातिलाना टाँगें थी. मोटी मोटी गोरी गोरी जांघों के बीच छ्होटी सी ककच्ची बहू की चूत बरी मुश्किल से धक रही थी. बहू ने ल़हेंगे के अंडर ठीक से देखा और ल़हेंगे को झारा. फिर अपनी चूत को ककच्ची के ऊपर से सहलाया और खुज़ाया. रसिकलाल को लगा की कहीं छींटा बहू की ककच्ची के अंडर तो नहीं घुस गया. बहुत किस्मत वाला छींटा होगा. बहू की इस फूली हुई चूत को छींटे की नहीं एक मोटे लूंबे लॉड की ज़रूरत थी. ऐसी बातें सोच सोच कर और ककच्ची के अंडर कसी हुई बहू की चूत को देख देख कर रसिकलाल मूठ मारने लगा और झार गया. थोरी देर में वो पंप हाउस से बाहर निकला और मोउमिता के पास गया. मोउमिता उसके आने की आहत सुन कर अपना लहंगा ठीक करके बैठ गयी थी. दोनो ने पैर के नीचे बैठ कर खाना खाया और फिर घर चले गये. एक दिन मोउमिता की कमर में दर्द हो रहा था. सासू मया ने मालिश करने वाली को बुलाया. मालिश करने वाली का नाम कमला था और वो भी खेतों में ही काम करती थी. काफ़ी मोटी टगरी और काली कलूटी थी. बिल्कुल भैंस दिखती थी. जुब उसने मोउमिता की मालिश की तो मोउमिता को पता लगा की कमला के हाथ में तो जादू था. इतनी अक्च्छीी तरह से मालिश हुई की मोउमिता का दर्द एकद्ूम डोर हो गया. सासू मया ने बताया की कमला गाओं में सबसे अक्च्ची मालिश करती है. हालाकी कमला भैंस की तरह मोटी थी और दिखने में अक्च्ची नहीं थी लेकिन स्वाभाव की बहुत अक्च्ची और हँसमुख थी. मोउमिता से उसकी बहुत जल्दी दोस्ती हो गयी. कमला ने मोउमिता से कहा " बहू रानी आपको जब भी मालिश करवानी हो आप खेत में भी आ सकती हो. मैं वहीं काम करती हूँ। वहाँ एक झोंपड़ी है मैं आपकी मालिश कर दिया करूँगी." " ठीक है कमला मैं परसों अवँगी. तुम सारे बदन की मालिश कर देना." कमला ही रसिकलाल के लिए खेतों में काम करने वाली औरतों को पता के लाया करती थी. मोउमिता अपने वादे के मुताबिक खेत में पहुँच गयी. कमला उसे एक घास फूस की छ्होटी सी झोंपड़ी में ले गयि.झोम्पदि में दो कमरे थे. एक कमरे में एक चारपाई पारी हुई थी. कमला ने मोउमिता से कहा, " बहू रानी इस चारपाई पे लाइट जाओ. आज मैं आपकी अच्छी तरह मालिश कर दूँगी. मेरे जैसा मालिश करने वाला इस गाओं में कोई नहीं है." " अरे कमला अपनी तारीफ़ ही करती रहेगी या मालिश करके भी दिखाएगी." " बहू रानी आप लेतो तो." मोउमिता चारपाई पर लाइट गयी. कमला ने सरसों का टेल निकाला और मोउमिता से कहा, " बहू रानी, ये कापरे पहनी रहोगी तो मालिश कैसे होगी?" " हा ! कापरे कैसे उतार दूं ? कोई आ गया तो?" " आप कहो तो कप्रों के ऊपर ही तैल लगा दूं." „ हूट पागल. दरवाज़ा तो बूँद कर ले." " अरे बहू रानी आप डरो मूत यहाँ कोई नहीं आता है." „ नहीं, नहीं टू पहले दरवाज़ा बूँद कर." कमला ने दरवाज़ा बूँद कर दिया. „ चलिए बहू रानी अब कापरे तो उतार दीजिए, नहीं तो मालिश कैसे होगी?" मोउमिता उठ कर खरी हो गयी और शरमाते हुए अपना ब्लाउस उतार दिय.मोउमिता की मोटी मोटी चूचियाँ अब ब्रा में क़ैद थी. कमला मोउमिता के लहँगे का नारा खींचती हुई बोली, " इसे भी तो उतार दीजिए." इससे पहले की मोउमिता संभालती उसका लहंगा उसके पैरों में परा हुआ था. अब मोउमिता सिर्फ़ ब्रा और पनटी में थी. मोउमिता के इस्कदर खूबसूरत और मांसल जिस्म को देख कर कमला भी चकित रह गयी. क्या ज़बरदस्त जवानी थी. " ये क्या किया तूने कमला?" मोउमिता एक हाथ से अपनी चूचियाँ और एक हाथ से अपनी चूत को ढकने की कोशिश करते हुए बोली. " अरे बहू रानी आप तो ऐसे शर्मा रही हो जैसे किसी मारद के सामने कापरे उतारे हों. जिस चीज़ को ढकने की कोशिश वो तो पहले से ही आपकी ब्रा और ककच्ची में ढाकी हुई है. शरमाओ नहीं बहू रानीमेरे पास भी वही है जो आपके पास है. चलो अब लाइट जाओ." मोउमिता पायट के बाल चारपाई पे लाइट गयी. कमला ने उसकी मालिश शुरू कर दी. बहुत ही अक्च्ची तरह से मालिश करती थी. मोउमिता को धीरे धीरे एक नशा सा आने लगा. उसे बहुत मज़ा आ रहा था. कमला ने पहले उसकी पीठ की मालिश की. कभी साइड से हाथ डाल कर ब्रा के अंडर से उसकी चूचीोन को भी हल्के से मसल देती और मोउमिता की सिसकी निकाल जाती. फिर कमला ने मोउमिता की ब्रा का हुक पीच्चे से खोल दिया. " ये क्या कर रही है कमला?" मोउमिता ने बनावटी गुस्से में कहा. " कुच्छ नहीं बहू रानी, पीठ पे मालिश ठीक से नहीं हो पा रही थी इसलिए खोल दिया." मोउमिता को मालिश करवाने में बहुत मज़ा आ रहा था. अब कमला ने मोउमिता की टाँगों की मालिश भी शुरू कर दी। मालिश करते करते जांघों तक पहुँच गयि.मोउमिता की टाँगें अपने आप ही खुल गयी. कमला को अब मोउमिता की मांसल जांघों के बीच में कच्ची के अंडर कसी हुई चूत नज़र आ रही थी. इतनी फूली हुई चूत तो आज तक उसने नहीं देखी थी. ककच्ची के दोनो ओर से लूंबे लूंबे काले बॉल झाँक रहे थे. कमला ने मोउमिता की चूत के बिल्कुल नज़दीक मालिश करनी शुरू कर दी. अब तो मोउमिता उत्तेजित होती जा रही थी. एक बार तो कमला ने शरारत करते हुए ककच्ची से बाहर निकले हुए बालों को खींच दिया. "ऊओिइ….क्या कर रही है कमला?" " कुकच्छ नहीं बहू रानी, आपके बॉल हैं ही इतने लूंबे. मालिश करते पे खींच गये." " टू बहुत खराब है कमला !" " वैसे बहू रानी टाँगों के बीच के बॉल औरत की खूबसूरती पे चार चाँद लगा देते हैं. मारद लोग तो इनके पीच्चे पागल हो जाते हैं." " अक्च्छा! टू तो ऐसे बोल रही है जैसे बहुत सारे मर्दों को जानती है." " बहुत सारे मर्दों को तो नहीं पर कुकच्छ असली मर्दों को ज़रूर जानती हूँ." " क्यों मारद नकली भी होते हैं क्या? असली मारद का क्या मतलूब?" " असली मारद वो होता है बहू रानी जिसके अंडर औरत को तृप्त करने की शक्ति होती है.ऊन्मेन से एक मारद तो आपके ससुर जी ही हैं." ये सुन कर तो मानो मोउमिता को शॉक सा लगा. " तुझे मालूम है टू क्या कह रही है? पागल तो नहीं हो गयी है." कमला मोउमिता की चूत के एकद्ूम पास मालिश करती हुई बोली, " बहू रानी, मैं ग़लत क्यों बोलूँगी? सुचमुच आपके ससुर जी सकच्चे मारद हैं. बिल्कुल गधे के जैसा है उनका." " क्या मुटलुब? क्या गधे के जैसा है?" " हा… बहू रानी अब ये भी बताना परेगा? अरे ! आपके ससुर जी का लंड बिल्कुल गधे के लंड के माफिक लूंबा है." कमला मालिश करते हुए पनटी के साइड से उंगलियाँ अंडर डाल कर मोउमिता की चूत की एक फाँक को मसालते हुए बोली. मोउमिता की चूत तो अब गीली होने लगी थी. " आआआआः…..… ये क्या कर रही है ? ऐसे गंदे शब्द बोलते तुझे शरम नहीं आती ?" " इसमें गंदा क्या है बहू रानी ? मारद की टाँगों के बीच में जो लटकता है उसे लंड नहीं तो और क्या कहते हैं ?" " अक्च्छा, अक्च्छा ! लेकिन तुझे कैसे मालूम की उनका इतना बरा है ?" " क्या कितना बरा है बहू ?" कमला मोउमिता को च्चेरते हुए बोली. " ऊओफ्फ! लंड और क्या ?" " हन अब हुई ना बात. ये तो राज़ की बात है. आपको कैसे बता सकती हूँ?" " तुझे मेरी कसम बता ना." " ठीक है बता दूँगी लेकिन आप फिर कहोगी कैसी गंदी बात कर रही हो." " नहीं कहूँगी. अब जल्दी बता ना." मोउमिता की चूत पे चीतियाँ रेंगने लगी थी. " अक्च्छा बताती हूँ. आप ज़रा अपनी ककच्ची तो नीचे करो, आपके नितुंबों की मालिश कैसे करूँगी?" ये कहते हुए कमला ने मोउमिता की पनटी नीचे सरका दी. मोउमिता के कुकच्छ कहने से पहले ही उसकी पनटी अब उसके घुटनों तक सरक गयी थी और कमला ने ढेर सारा टेल मोउमिता के छूटरों पे डाल दिया था. मोउमिता के विशाल नितुंबों को काफ़ी टेल की ज़रूरत थी. टेल गोल गोल छूटरों पे से बह कर उनके बीच की दरार में से होता हुआ मोउमिता की चूत तक आ गया. छूट के बॉल टेल में भीग गये. " ऊओफ़ ये क्या कर रही है ? मेरी ककच्ची ऊपर कर." " ऊपेर करूँगी तो आपकी ककच्ची टेल से खराब हो जाएगी, इसको निकाल ही दो." यह कहते हुए कमला ने एक झटके में मोउमिता की पनटी उसके पैरों से निकाल दी. " कमला तूने तो मुझे बिल्कुल ही नंगी कर दिया. कोई आ गया तो क्या होगा?" " यहाँ कोई नहीं आएगा बहू रानी. जुब आप एक मारद के सामने नंगी हो सकती हो तो एक औरत के सामने नंगी होने में कैसी शरम?" " हा… कमला मैं किस मारद के सामने नंगी हुई?" " क्यों आपके पति ने आपको कभी नंगी नहीं किया?" " ओह ! वो तो दूसरी बात है. पति को तो अपनी बीवी को नंगी करने का हक़ है." " मैं भी तो आपको सिर्फ़ मालिश करने के लिए नंगी कर रही हूँ. अब देखना मैं आपकी मालिशश कितनी अक्च्ची तरह से करती हूँ. पूरी ज़िंदगी की थकान डोर हो जाएगी." अब कमला दोनो हाथों से मोउमिता के विशाल छूटरों पर मालिश करने लगी. बीच बीच में दोनो छूटरों को फैला कर उनके बीच की दरार को भी उंगली से रगर देती. ऐसा करते हुए उसकी उंगली मोउमिता की गेंड के च्छेद पे भी काई बार रगर जाती. जुब भी ऐसा होता मोउमिता के मुँह से ' आह.. ओह.ऽआ' की आवाज़ें निकाल जाति.मोउमिता ने टाँगें और चौरी कर दी थी ताकि कमला ठीक से टाँगों के बीच में मालिश कर सके. " कमला बता ना टू ससुर जी के बारे में क्या कह रही थी.?" " बहू रानी मैं कह रही थी की आपके ससुर जी का लंड भी गधे के जैसा है. क्या फौलादी लंड है. इतना लूंबा है की दोनो हाथों में भी नहीं आता." " ये सूब तुझे कैसे पता?" " मैने आपके ससुर जी की भी मालिश की है. और ख़ास कर उनके लंड की. सच बहू रानी इतना मोटा और लूंबा लंड मैने कभी नहीं देखा. विश्वास नहीं होता तो खेत में काम करने वाली औरतों से पूच लो." " क्या मतलूब है तेरा? खेत में काम करने वाली औरतों को कैसे पता?" ' आप तो बहुत भोली हो बहू रानी. जवानी में आपके ससुर जी ने खेत में काम करने वाली सभी औरतों को चोडा है. जो औरत उन्हें पसंद आ जाती थी उसे पता के बाबू जी के पास ले जाना मेरा काम था. दो तीन औरतें तो इतना बरा लंड सहन ही नहीं कर सकी और बेहोश हो गयी थी. उनमें से एक तो बाबू जी की साली भी थी." " साली को भी…. ?" मोउमिता चौंक के बोली. " हन बहू रानी बाबू जी ने साली को भी चोडा. 17 साल की लड़की थी. कॉलेज में पर्हती थी. जुब बाबू जी ने पहली बार चोडा तो कुँवारी थी. ऊफ़ ! कितना खून निकला था बेचारी की कुँवारी चूत में से. इतना लूंबा लॉडा सहन नहीं कर सकी और बेहोश हो गयी थी. अक्च्छा हुआ बेहोश हो गयी नहीं तो इतना खून देख कर दर्र जाती. बाबू जी भी दर्र गये थे. फिर मैने ही उसकी चूत की सफाई की . बेचारी एक हफ्ते तक टाँगें चौरी कर के चलती रही और फिर शहर चली गयी." कमला भी मज़े ले कर कहानी सुना रही थी. अब उसने मोउमिता के छूटरों के बीच में से हाथ डाल कर चूत के चारों ओर के बालों में टेल मलना शुरू कर दिया था. एक बार तो चूत को मुट्ठी में ले कर मसल दिया. " ऊओिईईईईई……आआहह,…..ईीइससस्स क्या कर रही है कमला? आयेज बता ना क्या हुआ? साली नाराज़ हो गयी?" " अरे नहीं. एक बार जिस औरत को मारद के लूंबे मोटे लॉड का स्वाद मिल जाता है वो फिर उसके बिना नहीं रह सकती. साली भी कुकच्छ दिन के बाद वापस आ गयी. इस बार तोसिर्फ़ छुड़वाने ही आई थी. उसके बाद तो आपके ससुर जी ने साली जी को रोज़ इसी पंप हाउस में खूब जूम के चोडा. मैं रोज़ आपके ससुर जी के लॉड की मालिश करके उसे चुदाई के लिए टायर करती थी. चुदाई के बाद साली जी की सूजी हुई चूत की भी मालिश करके उसे अगले दिन की चुदाई के लिए टायर करती थी. साली की शादी होने तक बाबू जी ने उसे खूब चोडा. शादी के बाद भी साली जी छुड़वाने के लिए आई थी. शायद उनका पति उन्हें तृप्त नहीं कर पता था. लेकिन जब से वो दुबई चली गयी बाबू जी को कोई अक्च्ची लड़की नहीं मिली." " लेकिन सासू मया के साथ ससुर जी ने ऐसा धोका क्यों किया?" " बहू रानी जब औरत अपने पति की प्यास नहीं बुझा पाती है तो उसे मजबूर हो कर दूसरी औरतों की ओर देखना परता है. आपकी सासू मया धार्मिक स्वाभाव की है. उसे चुदाई में कोई दिलचस्पी नहीं है। बेचारे बाबू जी क्या करते?" " धार्मिक स्वाभाव का ये मतलूब थोरे ही होता है की अपने पति की ज़रूरत का ध्यान ना रखा जाए." " वोही तो मैं भी कह रही हूँ बहू रानी. मारद लोग तो उसी औरत के गुलाम हो जाते हैं जो बिस्तेर में बिल्कुल रंडी बुन जाए." कमला अब मोउमिता की चूत और उसके चारों ओर के घने बालों की मालिश कर रही थी. मोउमिता की चूत बुरी तरह गीली हो गयी थी. थोरी देर इस तरह मालिश करने के बाद बोली, " चलो बहू रानी अब सीधी हो के पीठ पे लाइट जाओ." मोउमिता सीधी हो कर पीठ पे लाइट गयी। उसके बदन पे एक भी काप्रा नहीं था. बिल्कुल नंगी थी, लेकिन अब वो इतनी उत्तेजित हो चुकी थी की उसे किसी बात की परवाह नहीं थी. जैसे ही मोउमिता पीठ पे लैयती कमला तो उसके बदन को देखती ही रह गयी. क्या गड्राया हुआ बदन था. बरी बरी चूचियाँ छ्चाटी के दोनो ओर झूल रही थी. मोउमिता की झाँटेन देख कर तो कमला चोंक गयी. नाभि से तोरा नीचे से ही घने काले काले बॉल शुरू हो जाते थे. कमला ने आज तक कभी इतनी घनी और लुंबी झाँटेन नहीं देखी थी।+ छूट तो पूरी तरह से ढाकी हुई थी. " है राम ! बहू रानी ये क्या जंगल उगा रखा है? आप क्यों अपनी चूत ढकने की कोशिश कर रही थी? इन घने बालों में से तो कुकच्छ भी नज़र नहीं आता है." ये कहते हुए कमला ने ढेर सारा तैल मोउमिता की झांतों पे डाल दिया और दोनो हाथों से झांतों की मालिश करने लगी. " एयाया…..आआअहह… ऊऊीीईई… ईीइसस्स्स्सस्स. " " बहू रानी आप अपनी झांतों में कभी तैल नहीं लगाती?" " हूट पागल, वहाँ भी कोई तैल लगाता है…आआईयइ ?"-- " है राम ! कमला तू मेरे साथ क्या क्या कर रही है?" कमला ने पास परी कैंची उठा ली और मोउमिता की टाँगें चौरी करके उसकी चूत के बॉल काटने लगी. अब मोउमिता की चूत की दोनो फाँकें, चूत का कटाव और उसके बीच का गुलाबी च्छेद सॉफ नज़र आने लगा. कमला उसकी फूली हुई चूत देख कर डंग रह गयी. उसने और ढेर सारा तैल मोउमिता की चूत पे डाल दिया और उसकी मालिश करने लगी. " ऊओिईई….आआअहह… .ईईीीइसस्सस्स… ..कमलाआअ… क्यों तंग कर रही है ?" " सच बहू रानी आपकी चूत पे तो मेरा ही दिल आ गया है. सोचिए आपके पति का क्या हाल होगा? एक बात पूच्छुन ? बुरा तो नहीं मानोगी?" " पूच्छ कमला तेरी बात का का बुरा मैं कभी नहीं मान सकती. इसस्स…आआअहह" " आपके पति तो आपको रोज़ कम से कम तीन चार बार चोद्ते होंगे ?" " क्यों तू ये कैसे कह सकती है?" "आप का बदन है ही इतना गड्राया हुआ की कोई भी मरद रोज़ चोदे बिना नहीं रह सकता." ' मैं तुझे क्यों बताओन ? पहले तू बता की तूने ससुर जी के लंड की मालिश कैसे शुरू कर दी. और अगर लंड की मालिश करती है तो तुझे उन्होने चोद भी ज़रूर होगा" " अरे बहू रानी बाबू जी की मालिश तो एक इत्तेफ़ाक़ है. मैने आपको बताया था ना की मैं बाबूजी के लिए लड़कियाँ पटा के लाती थी. अक़्स्र बाबू जी एक दिन में तीन टीन लड़कीों को चोद्ते थे. ज़रा सोचो, हर लड़की को सिर्फ़ दो बार भी चोदेन तुब भी उन्हें च्छेः बार चुदाई करनी परटी थी. इतनी चुदाई के बाद आदमी तक तो जाता ही है. बाबू जी जानते थे की मैं बहुत अक्च्ची मालिश करती हूँ इसलिए मुझे मालिश के लिए बोल देते थे. एक दिन बाबू जी बोले ' कमला बुरा ना मानो तो वहाँ भी मालिश कर दो. उस लड़की की बहुत टाइट थी, लंड में दर्द हो रहा है.'. मेरे तो मन की मुराद पूरी हो गयी. मैं चूड़ने के बाद काई औरतों की हालत देख चुकी थी और उनसे बाबू जी के लंड के बारे में सुन चुकी थी. जुब मैने मालिश करने के लिए उनकी धोती खोली तो बेहोश होते होते बची. सिक्युडा हुआ लंड भी इतना मोटा और भयंकर लग रहा था. जुब मैने मालिश शुरू की तो लंड धीरे धीरे खड़ा होने लगा. पूरा टन जाने के बाद तो मुझे दोनो हाथों से मालिश करनी पर रही थी. बाप रे ! मोटा काला, कितना विशाल लंड था. मेरी मालिश से बाबू जी बहुत खुश हुए और उसके बाद से किसी को भी छोड़ने से पहले मैं उनके लंड की मालिश करके उसे चुदाई के लिए तयर करने लगी. काश भगवान ने मुझे अक्च्छा बदन दिया होता और मैं भी बाबू जी को रिझा पाती. दिल तो बहुत करता था की वो गधे जैसा लंड मेरी चूत में भी जाए पर औरत जात हूँ ना, बाबू जी ने कभी मुझे चोद्ने की इक्च्छा नहीं जताई और मैं उनसे कैसे कहती की मुझे चोदो." " बात तो तेरी ठीक है. एक रंडी भी ये नहीं कहती की मुझे चोदो. लेकिन ये बता तूने ससुर जी को चोदते हुए तो ज़रूर देखा होगा.?" " हां बहू रानी देखा तो है. इसी कमरे के बगल में जो कमरा है वहाँ से इस कमरे में झाँक सकते हैं. जिस चारपाई पे आप लेटी हो उसी चारपाई पे बाबू जी ने अपनी साली को ना जाने कितनी बार चोद है." " सच कमला ! कुकच्छ बता ना कैसा लुगता था ?" अब तो मोउमिता की चूत बुरी तरह से गीली हो चुकी थी.ससुर जी के गधे जैसे मोटे काले लंड की कल्पना से ही मोउमिता के बदन में आग लग गयी थी. कमला इस बात को अक्च्ची तरह जानती थी. आख़िर वो भी मंजी हुई खिलाड़ी थी. मोउमिता की चूत को मसालते हुए बोली, " है बहू रानी क्या बताओन. बेचारी 17 साल की कमसिन लड़की थी जब बाबूजी के मूसल ने उसकी कुँवारी चूत को रोंदा था. बिल्कुल नाज़ुक सी चूत थी उसकी जैसे किसी बच्ची की हो. लेकिन चार साल चूड़ने के बाद क्या फूल गयी थी और चौरी हो गयी थी. अब तो जुब भी चुद्वाने के लिए टाँगें चौरी करती थी, उसकी चूत का खुला हुआ च्छेद नज़र आने लगता था मानो चूत मुँह फाडे लंड को खाने का इंतज़ार कर रही हो. बहुत ही मज़े ले कर चुड़वाती थी. पहली बार तो मुझे विश्वास ही नहीं हुआ की बाबू जी का इतना लूंबा लंड उसकी चूत में जेया भी पाएगा. सच बहू रानी साली की चूत में पूरा लंड जाते मैने इन आखों से देखा है. जुब पूरा लंड घुस जाता था तो बाबू जी के सांड के माफिक बारे बारे टटटे साली के छूटरों से चिपक जाते थे. " टटटे क्या होते हैं?" " अरे मरद के लंड के नीचे जो लटकते हैं ? वहीं तो वीरया बनता है." " ओ ! समझी." " क्या फ़च.. फ़च ..फ़च. की आवाज़ें आती थी. हेर धक्के के साथ बाबूजी के झूलते हुए टटटे मानो साली के छूटरों पर मार लगाते थे. जुब बाबूजी झाडे तो ढेर सारा वीरया साली की चूत में से बह कर बाहर चारपाई पे गिरने लगा. ऊफ़ क्या जानलेवा नज़ारा था." " है ! कमला कितनी बार तूने साली की चुदाई देखी?" " सिर्फ़ दो बार. उसके बाद बाबूजी को पता चल गया. फिर उन्होने साली को पमफ्स में चॉड्ना शुरू कर दिया." आज की मालिश ने और कमला की बातों ने मोउमिता के बदन में एक अजीब सी आग लगा डी थी. मोउमिता की चुदाई हुए अब एक महीने से भी ज़्यादा हो चक्का था. कॉंड… कुच्छ दिनों बाद मोउमिता के पति का फोन आया. ससुर जी ने मोउमिता को बताया की राकेश का फोन है. मोउमिता ने अपने कमरे में जा कर फोन का रिसीवर उठा लिया. उधर रसिकलाल ने भी अपने कमरे का रिसीवर नीचे नहीं रखा और बहू और बेटे की बातें सुनने लगा.
कहानी जारी रहेगी
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