Saturday, 20 December 2014

जीजू का बड़ा लंड

जीजू का बड़ा लंड



मैं अपनी दीदी के यहाँ कुछ दिनों के लिये गई थी। दीदी की नई-नई शादी हुई थीअभी जीजू में और दीदी में नया-नया जोश भी था। दीदी और जीजू का कमरा ऊपर था। नीचे सिर्फ़ एक बैठक और बैठक थी। मैं बैठक में ही सोती थी।








शाम को हम तीनों ही झील के किनारे घूमने जाया करते थे। मेरे चूतड़ थोड़े से भारी हैं और कुछ पीछे उभरे हुए भी हैंमेरे सफ़ेद टाईट पैन्ट में चूतड़ बड़े ही सेक्सी लगते हैं। मेरे चूतड़ों की दरार में घुसी पैन्ट देख कर किसी का भी लण्ड खड़ा हो सकता थाफिर जीजू तो मेरे साथ ही रहते थे और कभी-कभी मेरे चूतड़ों पर हाथ मार कर अपनी भड़ास भी निकाल लेते थे। उनकी ये हरकत मेरी शरीर को कँपकँपा देती थी। झील के किनारे वहीं एक दुकान के बाहर कुर्सियाँ निकाल कर हम बैठ जाते थे और कोल्ड-ड्रिंक के साथ झील की ठंडी हवा का भी आनन्द लेते थे। दीदी की अनुपस्थिति में जीजू मुझसे छेड़छाड़ भी कर लिया करते थे, और मैं भी जीजू को आँखों में इशारा करके मज़ा लेती थी। मुझे ये पता था कि जीजू मुझ पर भी अपनी नजर रखते हैं। मौका मिला तो शायद चोद भी दें। मैं उन्हें जान-बूझ कर के और छेड़ देती थी।

घर कर हम डिनर करते थेफिर जीजू और दीदी जल्दी ही अपने कमरे में चले जाते थे। लगभग दस बजे मैं अकेली हो जाती थीऔर कम्प्यूटर पर कुछ-कुछ खेलती रहती थी।

ऐसे ही एक रात को मैं अकेली रूम में बोर हो रही थीनींद भी नहीं रही थीतो मैं घर की छत पर चली आई। ठन्डी हवा में कुछ देर घूमती रही, फिर सोने के लिये नीचे आई। जैसे ही दीदी के कमरे के पास से निकली मुझे सिसकरियों की आवाज आई। ऐसी सिसकारियाँ मैं पहचानती थीजाहिर था कि दीदी चुद रही थीमेरी नज़र अचानक ही खिड़की पर पड़ीवो थोड़ी सी खुली थी। जिज्ञासा जागने लगी। दबे कदमों से मैं खिड़की की ओर बढ़ गईमेरा दिल धक से रह गया




दीदी घोड़ी बनी हुई थी और जीजू पीछे से उसकी गाँड चोद रहे थे। मुझे सिरहन सी उठने लगी। जीजू ने अब दीदी के बोबे मसलने चालू कर दिये थेमेरे हाथ स्वत: ही मेरे स्तनों पर गयेमेरे चेहरे पर पसीना आने लगाजीजू को दीदी की चुदाई करते पहली बार देखा तो मेरी चूत भी गीली होने लगी थी। इतने में जीजू झड़ने लगेउसके वीर्य की पिचकारी दीदी के सुन्दर गोल गोल चूतड़ों पर पड़ रही थी

मैं दबे पाँव वहाँ से हट गई और नीचे की सीढ़ियां उतर गई। मेरी साँसें चढ़ी हुई थीं। धड़कनें भी बढ़ी हुई थीं। दिल के धड़कने की आवाज़ कानों तक रही थी।मैं बिस्तर पर आकर लेट गईपर नींद ही नही रही थी। मुझे रह-रह कर चुदाई के सीन याद रहे थे। मैं बेचैन हो उठी और अपनी चूत में ऊँगली घुसा दीऔर ज़ोर-ज़ोर से अन्दर घुमाने लगी। कुछ ही देर में मैं झड़ गई।

दिल कुछ शान्त हुआ। सुबह मैं उठी तो जीजू दरवाजा खटखटा रहे थे। मैं तुरन्त उठी और कहा,” दरवाजा खुला है

जीजू चाय ले कर अन्दर गये। उनके हाथ में दो प्याले थे। वो वहीं कुर्सी खींच कर बैठ गये।

मजा आया क्या?”

मैं उछल पड़ीक्या जीजू ने कल रात को देख लिया था

जी क्याकिसमेंमैं समझी नहीं?” मैं घबरा गई

वो बाद मेंआज तुम्हारी दीदी को दो दिन के लिए भोपाल हेड-क्वार्टर जाना हैअब आपको घर सँभालना है…”

हम लड़कियाँ यही तो करती हैं नाफिर और क्या-क्या सँभालना पड़ेगा?” मैंने जीजू पर कटाक्ष किया।

बस यही है और मैं हूँसँभाल लेगी क्या?” जीजू भी दुहरी मार वाला मज़ाक कर रहे थे




जीजूमजाक अच्छा करते हो!” मैंने अपनी चाय पी कर प्याला मेज़ पर रख दिया। मैंने उठने के लिए बिस्तर पर से जैसे ही पाँव उठाए, मेरी स्कर्ट ऊपर उठ गई और मेरी नंगी चूत उन्हें नज़र गई। मैंने जान-बूझ कर जीजू को एक झटका दे दिया। मुझे लगा कि आज ही इसकी ज़रूरत है। जीजू एकटक मुझे देखने लगेमुझे एक नज़र में पता चल गया कि मेरा जादू चल गया। मैंने कहा,”जीजूमुझे ऐसे क्या देख रहे हो…”

कुछ नहीसवेरे-सवेरे अच्छी चीजों के दर्शन करना शुभ होता है!” मैन तुरंत जीजू का इशारा समझ गईऔर मन ही मन मुस्कुरा उठी।

आपने सवेरे-सवेरे किसके दर्शन किये थे?” मैंने अंजान बनते हुए पूछालगा कि थोड़ी कोशिश से काम बन जायेगा। पर मुझे क्या पता था कि कोशिश तो जीजू खुद ही कर रहे थे।

दीदी दफ्तर से आकर दौरे पर जाने की तैयारी करने लगीडिनर जल्दी ही कर लियाफिर जीजू दीदी को छोड़ने स्टेशन चले गये। मैंने अपनी टाईट जीन्स पहन ली और मेक अप कर लिया। जीजू के आते ही मैंने झील के किनारे घूमने की फ़रमाईश कर दी। वो फ़िर से कार में बैठ गयेमैं भी उनके साथ वाली सीट पर बैठ गई। जीजू मेरे साथ बहुत खुश लग रहे थे। कार उन्होंने उसी दुकान पर रोकी, जहाँ हम रोज़ कोल्ड-ड्रिंक लेते थे। आज कोल्ड-ड्रिंक जीजू ने कार में ही मंगा ली।




हाँ तो मैं कह रहा था कि मजा आया था क्या?” मुझे अब तो यकीन हो गया था कि जीजू ने मुझे रात को देख लिया था।




हांमुझे बहुत मज़ा आया था…” मैंने प्रतिक्रिया जानने के लिए तीर मारा

जीजू ने तिरछी निगाहों से देखाऔर हँस पड़े – “अच्छाफिर क्या किया…”

आप बताओ कि अच्छा लगने के बाद क्या करते हैं…” जीजू का हाथ धीरे धीरे सरकता हुआ मेरे हाथों पर गया। मैंने कुछ नही कहालगा कि बात बन रही है।

मैं बताऊँगा तो कहोगी कि अच्छा लगने के बाद आईस-क्रीम खाते हैं…” और हँस पड़े और मेरा हाथ पकड़ लिया। मैं जीजू को तिरछी नजरों से घूरती रही कि ये आगे क्या करेंगे। मैंने भी हाथ दबा कर इज़हार का इशारा किया।

हम दोनों मुस्कुरा पड़े। आँखों आँखों में हम दोनों सब समझ गये थेपर एक झिझक अभी बाकी थी। हम घर वापस गये।

जीजू अपने कमरे में जा चुके थेमैं निराश हो गईसब मज़ाक में ही रह गया। मैं अनमने मन से बिस्तर पर लेट गई। रोज की तरह आज भी मैंने बिना पैन्टी के एक छोटी सी स्कर्ट पहन रखी थीमैंने करवट ली और पता नही कब नींद गईरात को अचानक मेरी नींद खुल गईजीजू हौले से मेरे बोबे सहला रहे थेमैं रोमांचित हो उठीमन ने कहाहाय! काम अपने आप ही बन गयामैं चुपचाप अनजान बन कर लेटी रहीजीजू ने मेरी स्कर्ट ऊंची कर दी और नीचे से नंगी कर दिया। पंखे की हवा मेरे चूतड़ों पर लग रही थी। जीजू के हाथ मेरे चिकने चूतड़ों पर फ़िसलने लगेजीजू धीरे से मेरी पीठ से चिपक कर लेट गयेउनका लण्ड खड़ा थाउसका स्पर्श मेरी चूतड़ों की दरार पर लग रहा थाउसके सुपाड़े का चिकनापन मुझे बड़ा प्यारा लग रहा था। उसने मेरे बोबे जोर से पकड़ लिए और लण्ड मेरी गाँड पर दबा दिया। मैंने लण्ड को गाँड ढीली कर के रास्ता दे दियाऔर सुपाड़ा एक झटके में छेद के अन्दर था।

जीजूहाय रेमार दी नामेरी पिछाड़ी को…” मेरे मुख से सिसकारी निकल पड़ी। उसका लण्ड गाँड़ की गहराईयों में मेरी सिसकारियों के साथ उतरता ही जा रहा था।

रीताजो बात तुझमें हैतेरी दीदी में नहीं है…” जीजू ने आह भरते हुए कहा।

लण्ड एक बार बाहर निकल कर फिर से अन्दर घुसा जा रहा था। हल्का सा दर्द हो रहा था। पर पहले भी मैं गाँड चुदवा चुकी थी। अब जीजू ने अपनी ऊँगली मेरी चूत में घुसा दी थीऔर दाने के साथ मेरी चूत को भी मसल रहे थेमैं आनन्द से सराबोर हो गई। मेरी मन की इच्छा पूरी हो रही थीजीजू पर दिल थाऔर मुझे अब जीजू ही चोद रहे थे।

मत बोलो जीजू बस चोदे जाओहाय कितना चिकना सुपाड़ा हैचोद दो आपकी साली की गाँड को…” मैं बेशर्मी पर उतर आई थी

उसका मोटा लण्ड तेजी से मेरी गाँड में उतराता जा रहा थाअब जीजू ने बिना लण्ड बाहर निकाले मुझे उल्टी लेटा कर मेरी भारी चूतड़ों पर सवार हो गये। और हाथों के बल पर शरीर को ऊँचा उठा लिया और अपना लण्ड मेरी गाँड पर तेजी से मारने लगेउनका ये फ्री-स्टाईल चोदना मुझे बहुत भाया।

राजूमेरी चूत का भी तो ख्याल करोया बस मेरी गाँड ही मारोगे…” मैंने जीजू को घर के नाम से बुलाया।

रीतामेरी तो शुरू से ही तुम्हारी गाँड पर नजर थीइतनी प्यारी गाँडउभरी हुई और इतनी गहरीहाय मेरी जान…”

जीजू ने लण्ड बाहर निकाल लिया और चूत को अपना निशाना बनाया

जानचूत तैयार है नालोये गयाहाय इतनी चिकनी और गीली…” और उसका लण्ड पीछे से ही मेरी चूत में घुस पड़ाएक तेज मीठी सी टीस चूत में उठीचूत की दीवारों पर रगड़ से मेरे मुख से आनन्द की सीत्कार निकल गई।

हाय रेजीजू मर गईमज़ा गयाऔर करोजीजू का लण्ड गाँड मारने से बहुत ही कड़ा हो रहा थाजीजू के चूतड़ खूब उछल-उछल कर मेरी चूत चोद रहे थे। मेरी चूचियाँ भी बहुत कठोर हो गईं थीं।

मैंने जीजू से कहा,”जीजूमेरी चूचियाँ जोर से मसलो नाखींच डालो!” जीजू तो चूचियाँ पहले से ही पकड़े हुए थेपर हौले-हौले से दबा रहे थेमेरे कहते ही उन्हें तो मज़ा गयाजीजू ने मेरी दोनो चूचियाँ मसल के, रगड़ के चोदना शुरू कर दिया। मेरी दोनों चूतड़ों की गोलाईयाँ उसके पेडू से टकरा रहीं थींलण्ड चूत में गहराई तक जा रहा थाघोड़े की तरह उसके चूतड़ धक्के मार-मार कर मुझे चोद रहे थे।

मेरे पूरे बदन में मीठी-मीठी लहरें उठ रहीं थींमैं अपनी आँखों को बन्द करके चुदाई का भरपूर आनन्द ले रही थी। मेरी उत्तेजना बढ़ती जा रही थीजीजू के भी चोदने से लग रहा था कि मंज़िल अब दूर नहीं है। उसकी तेजी और आहें तेज होती जा रही थीउसने मेरी चूचक जोर से खींचने चालू कर दिये थेमैं भी अब चरमसीमा पर पहुँच रही थी। मेरी चूत ने जवाब देना शुरू कर दिया थामेरे शरीर में रह-रह कर झड़ने जैसी मिठास आने लगी थी। अब मैं अपने आप को रोक ना सकी और अपनी चूत और ऊपर दीबस उसके दो भरपूर लण्ड के झटके पड़े कि चूत बोल उठी कि बस बसहो गया।

जीजूऽऽऽऽऽ बसबसमेरा माल निकलामै गईआऽऽऽऽऽऽईऽऽऽऽऽअऽअऽऽऽआ…” मैंने ज़ोर लगा कर अपनी चूचियाँ उससे छुड़ा लीऔर बिस्तर पर अपना सर रख लियाऔर झड़ने का मज़ा लेने लगीउसका लण्ड भी आखिरी झटके लगा रहा था। फिर…… आह्उसका कसाव मेरे शरीर पर बढ़ता गया और उन्होंने अपना लण्ड बाहर खींच लिया। झड़ने के बाद मुझे चोट लगने लगी थीथोड़ी राहत मिलीअचानक मेरे चूतड़ और मेरी पीठ उसके लण्ड की फ़ुहारों से भीग उठीजीजू झड़ने लगे थेरह-रह कर कभी पीठ पर वीर्य की पिचकारी पड़ रही थी और अब मेरे चूतड़ों पर पड़ रही थी। जीजू लण्ड को मसल-मसल कर अपना पूरा वीर्य निकाल रहे थे।

जब पूरा वीर्य निकल गया तो जीजू ने पास पड़ा तौलिया उठाया और मेरी पीठ को पौंछने लगे…”

रीतातुमने तो आज मुझे मस्त कर दियाजीजू ने मेरे चेहरे को किस करते हुए कहामैं चुदने की खुशी में कुछ नहीं बोलीपर धन्यवाद के रूप में उन्हें फिर से बिस्तर पर खींच लियामुझे अभी और चुदना था

इतनी जल्दी कैसे छोड़ देतीदो तीन दौर तो पूरा करतीसो जीजू के ऊपर चढ़ गईजीजू को लगा कि पूरी रात मज़े करेंगेजीजू अपना प्यार का इकरार करने लगे

मेरी रानीतुम प्यारी होमैं तो तुम पर मर मिटा हूँजी भर कर चुदवा लोअब तो मैं तुम्हारा ही हूँ…” और दुगुने जोश से उन्होंने मुझे अपनी बाँहों में कस लिया

मैं आज तो रात-भर स्वर्ग की सैर करने वाली थी….

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