Friday, 4 April 2014

मोउमिता भाभी

मोउमिता भाभी

बात उन दिनों की है जब
मेरा दाखिला कॉलेज में
हुआ ही था। भैया अधिकतर
काम के सिलसिले में बाहर
ही रहते थे। उन्होंने अपने
पास मुझे शहर में बुला लिया था। उनके आये
दिन बाहर रहने से मोउमिता भाभी बहुत
परेशान रहने लगी थी। ऐसे में
वो मेरा साथ पाकर खुश
हो गई थी। मोउमिता भाभी को रात को सोते में
बड़बड़ाने की आदत थी।
कभी कभी तो वो रात को उठ
कर चलने भी लगती थी।
भैया भी इसकी वजह से बहुत
परेशान रहते थे। इसी लिये जब वे बाहर रहते थे
तो वो अपनी नौकरानी को
अधिक वेतन दे कर रात को घर
में ही सुलाते थे। पर मेरे
आने से अब उन्हें आराम
हो गया था। तो आइए आपको मैं अब
मोउमिता भाभी के विचित्र करनामे
बताता ही। यह सब कपोल
कल्पित नहीं है, वास्तविक
है। कैसे अब हमारे बीच
खुलापन गया था, और कैसे उनकी यह आदत छूट गई। मैं मोउमिता भाभी के कमरे में एक
कोने में अपना पलंग लगा कर
सोता था, ताकि मैं
उनकी हरकतों पर नजर रख
सकूँ। एक रात को मेरी नींद
अचानक ही खुल गई। मुझे अपने ऊपर एक बोझ सा महसूस
हुआ। मोउमिता भाभी नींद में मेरे
बिस्तर पर गई थी और जैसे
मर्द औरत को चोदता है उस
मुद्रा में वो मेरे ऊपर सवार
थी। उन्होंने मेरे कूल्हों पर पूरा जोर डाल
रखा था। उनकी सांसें मुझे
अपनी गर्दन पर महसूस होने लगी थी। उन्होंने
चोदने की स्टाईल में अपने
कूल्हे मेरे लण्ड पर
मारना आरम्भ कर दिया था।
शायद वो नींद में मुझे
चोदने का प्रयास कर रही थी। मुझे तो मजा आने
लगा था। मैंने उन्हें यह सब
करने दिया। तभी वो लुढ़क कर मेरी बगल
में गिर सी गई और खर्राटे
भरने लगी। शायद वो झड़ गई
थी। मुझसे लिपट कर वो ऐसे
सो गई जैसे कोई बच्चा हो। मैंने धीरे-धीरे लण्ड मसल
कर अपना लावा उगल दिया।
ढेर सारे वीर्य से
मेरा अण्डरवियर
पूरा ही गीला हो गया। मैं
तो मोउमिता भाभी को लिपटाये हुये उसी गीलेपन में सो गया। सुबह जब उठा तो मोउमिता भाभी मेरे
पास नहीं थी। पर मुझसे
वो आंख
भी नहीं मिला पा रही थी। "गुल्लू, वो जाने मैं कैसे
रात को आपके बिस्तर पर
गई? देखो, अपने
भैया को बताना नहीं !" "अरे नहीं मोउमिता भाभी, ऐसी कोई
बात नहीं थी, आप बस नींद
में मेरे पास सो गई थी बस,
और क्या?" 'ओह, फिर ठीक है, प्लीज
बुरा ना मानना, यह
मेरी नींद में चलने की आदत
जाने कैसे हो गई !" मैंने
भी सोचा कि बेचारी मोउमिता भाभी
खुद ही परेशान है उसकी मदद
ही करना चाहिए, सो मैंने
उन्हें दिलासा दिया, और
समझाया कि आप निश्चिन्त रहें, सब ठीक हो जायेगा। पर अगली रात फिर से
वही हरकत हुई। मैं रात
को देर तक कोई
सेक्सी कहानी पढ़ रहा था।
मेरा लण्ड भी तन्नाया हुआ
था। तभी वो उठी। मैं सतर्क हो गया। मोउमिता भाभी सीधे सोते
हुए मेरी तरफ़ आने लगी। मैं अपने लण्ड को दबा कर
नीचे करने कोशिश करने लगा।
पर हाय रे ! वो तो और ही भड़क
उठा। वो सीधे मेरे बिस्तर पर
गई और बिस्तर पर चढ़ गई। मैं
हतप्रभ सा सीधा लेटा हुआ
था। मोउमिता भाभी ने अपनी एक टांग
ऊपर उठाई और मेरी जांघों पर
चढ़ गई। फिर वो ऊपर खिसक कर मेरे
खड़े लण्ड पर बैठ गई और उसे
अपनी चूत के नीचे
दबा लिया। मेरे मुख से एक
सुख भरी आह निकल गई। फिर
वो मेरे ऊपर लेट गई और अपनी चूत को मेरे लण्ड पर
घिसने लगी। तभी शायद
वो झड़ गई, मैंने भी आनन्द
के मारे लण्ड पर मुठ लगाई
और अपना माल निकाल दिया। मोउमिता भाभी एक बार फिर से मेरे से
बच्चों की भान्ति लिपट कर
गहरी निद्रा में चली गई। मेरा मन खुश
था कि चलो बिना किसी महनत
के मेरे मन
की अभिलाषा पूरी हो रही
थी। मोउमिता भाभी ऊपर चढ़ कर मुझे
आनन्दित करती थी, फिर बस मुझे अपना माल
ही तो त्यागना था।
मोउमिता भाभी रोज ही मुझसे
पूछती थी कि उनके
द्वारा मुझे कोई तकलीफ़
तो नहीं हुई। मैं उन्हें प्यार से
बताता था कि मोउमिता भाभी के साथ
सोना तो गहरे प्यार
की निशानी है और
बताता था कि वो मुझे
कितना प्यार करती हैं। मोउमिता भाभी मेरी बात सुन कर खुश
हो जाया करती थी। मेरे दिल में अब हलचल होने
लगी थी। मोउमिता भाभी तो मेरे लण्ड
के ऊपर अपनी चूत घिस-घिस
कर झड़ जाती थी और मैं ?
बिना कुछ किये बस नीचे
पड़ा तड़पता रहता था। आज मैंने सोच
लिया था कि मजा तो मैं
पूरा ही लूँगा। मैं रात को देर तक
मोउमिता भाभी का इन्तज़ार
करता रहा। पर आज
वो नहीं उठी। मैं उनकी आस
में बस तड़पता ही रह गया।
दिन भर मैं यह सोचता रह गया कि आज क्या हो गया?
आज क्यों नहीं उठी वो ? अगली रात को भी मैं देर तक
जागता रहा। आज मोउमिता भाभी रात
को नींद में उठी। मैं
चौकन्ना हो गया। मैंने
तुरन्त अपना पजामा और
बनियान उतार दिया, बिल्कुल नंगा हो कर
सीधा लेट गया। लण्ड चोदने
के लिये उत्सुकता से भर कर
कड़क हुआ जा रहा था। मोउमिता भाभी जैसे ही मेरे बिस्तर
पर चढ़ी, मैंने जल्दी से
उनका पेटिकोट ऊपर कर दिया।
उनकी नंगी चूत की झलक
सी मिल गई।
मेरी नंगी जांघों पर उनके नंगे नितम्ब मुलायम
सी गुदगुदी करने लगे। फिर उन्होंने अपनी चूत
उठाई, मैंने अपने लण्ड
को हाथ से सीधा पकड़
लिया और मोउमिता भाभी के बैठने
का इन्तज़ार करने लगा। जैसे
ही वो नीचे बैठने लगी, मैंने लण्ड को सीधा कर चूत
के निशाने पर साध लिया।
मोउमिता भाभी ने धीरे से अपनी चूत
को मेरे लण्ड पर रख दिया।
गीली चूत ने लण्ड पाते
ही उसे अपनी गुफ़ा में ले लिया। मैं एक असीम सुख से
भर गया। अब मुझे नहीं, सभी कुछ
मोउमिता भाभी को करना था। मुझे
आज एक अति-सुखदायक
आनन्द
की प्राप्ति हो रही थी।
मोउमिता भाभी के धक्के मेरे लण्ड को मीठी गुदगुदी से भर रहे
थे। मैं भी अब जोश में कर
नीचे से लण्ड को उछाल कर
उनकी योनि में अन्दर-बाहर
करने में मोउमिता भाभी को सहयोग दे
रहा था। इस सब कार्य में मैंने नोट
किया कि मोउमिता भाभी की आँखें
बन्द ही थी। फिर मुझे लगा कि जैसे
वो झड़ गई है। वो मेरी बगल
में ढुलक कर लेट गई और
खर्राटे भरने लगी। मुझ से
अब सहन नहीं हो पा रहा था।
मैंने मोउमिता भाभी को सीधा लेटाया और
मैं उनके ऊपर
मोउमिता भाभी की टांगें
चौड़ी करके बैठ गया। फिर
अपना कड़क लण्ड चूत में
घुसा दिया। पहले तो धीरे धीरे उन्हें चोदता रहा फिर
जैसे मुझ पर कोई शैतान
सवार हो गया। मैंने
मोउमिता भाभी के स्तन भींच लिये।
मैं पूरी तरह से उन पर लेट
गया और उन्हें चोदने लगा। मैंने महसूस
किया कि मोउमिता भाभी के मुख से
भी आनन्द
भरी सिसकारियाँ फ़ूट
रही हैं, उनके होंठ थरथरा रहे
हैं, उनके जिस्म में कसावट भर रही थी। मोउमिता भाभी मेरी कमर
को अपनी तरफ़ खींचने
लगी थी। मैंने उन्हें
देखा तो उनकी बड़ी बड़ी
आँखें ... कहानी जारी रहेगी
मुझे ही बहुत ही आसक्ति से देख रही थी।
"मोउमिता भाभी … !"
"आह, … श्" मोउमिता भाभी ने मेरे मुख पर अपनी अंगुली रख दी और चुप रहने का इशारा किया। उनकी कमर नीचे से तेजी से उछल रही थी, लण्ड को पूरा पूरा निगल रही थी।
मोउमिता भाभी का तमतमाया चेहरा जैसे कोई काम की देवी की तरह लग रहा था। हम दोनों की गति तेज हो गई थी।
और अन्त समय गया थाकमरे में तेज चीखें उभरने लगी थी, मोउमिता भाभी तेज आवाज में सीत्कारें भर रही थी। मैं भी सुख में भरा जोर जोर से आहें भर रहा था।
और अह्ह्ह्ह्ह्हमेरे जिस्म ने जवाब दे दिया। साथ मोउमिता भाभी ने भी मुझे जोर से कस लिया। मेरा वीर्य मोउमिता भाभी की चूत में ही निकल पड़ा। हम दोनों एक दूसरे से चिपट कर लेट गये। तेज सांसों को नियंत्रण में करने में लगे थे।
हमारी नींद जाने कब लग गई, यह तो सवेरा होने पर ही पता चला।
सवेरे मोउमिता भाभी बड़ी चपलता से सारे काम निपटा रही थी। उनके चेहरे पर आज गजब की चमक थी। वो मुझे बार बार मुस्करा कर देख रही थी। वो आज बहुत खुश थी। अपनी खुशी उन्होंने मुझे मेरा मन पसन्द भोजन बना कर जताई। सब कुछ निपटा कर दोपहर में मोउमिता भाभी ने मुझे मेरे बिस्तर पर ही फिर से दबा लिया, मेरे गुप्त अंगों से खेलने लगी, बार बार मुझे प्यार करती रही।
"गुल्लू, तू तो बहुत अच्छा है, अब तो बस यहीं रह जा !"
"मोउमिता भाभी, भैया को मालूम हो गया तो?"
"तू भी मत बताना और मैं भी नहीं बताऊँगी ! बस, फिर कैसे पता चलेगा?"
"मोउमिता भाभी, रात को आपको चलने की आदत है?"
"नहीं तो, पर हाँ कई बार मैं अपने आप को अपने बिस्तर पर नहीं पाती हूँ, पर कल तो मैं जान कर के तेरे पास आई थी !"
"अरे ! क्यूँ मोउमिता भाभी?"
"क्योंकि, परसों मेरी नींद तेरे बिस्तर पर ही खुल गई थी, जब मैं जाने कैसे तेरे ऊपर चढ़ गई थी।"
"ओह ! तो फिर?"
"फिर क्या, मुझे पता चला कि तू तो मस्त हो रहा है, बस मैंने सोच लिया कि तू तो गया अब !" मोउमिता भाभी हंस पड़ी।
"धत्त, मोउमिता भाभी, मेरे लण्ड को चूत से रगड़ोगी तो मस्ती आयेगी ही ना?"
"तो आज मस्त से चुद लीऔर क्या? अब तू कुछ और भी करेगा मेरे साथ या नहीं?"
मैंने मोउमिता भाभी को प्यार से चूमते हुए उनके एक स्तनाग्र को अपने मुख में भर लिया और चूसने लगा। बस मोउमिता भाभी ने तो जैसे हाय तौबा मचा कर मस्ती ही ला दी। फिर नीचे सरकता हुआ मोउमिता भाभी की चूत को पूरा ही चूस डाला, दाना भी हौले हौले जीभ से खूब कुचला। इसी बीच वो झड़ भी गई। अब मोउमिता भाभी ने मेरे मुख का चूम कर स्वाद लिया और मेरे तने हुये लण्ड को अपने मुख श्री में प्रवेश कर के उसे चूसने लगी।
नरम नरम सा मुख, गीला गीला सा कोमल स्पर्श, फिर पुच पुच की आवाजें माहौल को गर्म करने लगी थी।
मुझे अचानक जाने क्या सूझा, मैंने झट से क्रीम उठाई और मोउमिता भाभी को उल्टी करके उनकी गाण्ड में भर दी।
वो सिसकरी भरने लगी, उनकी गाण्ड का छेद लप लप करता हुआ ढीला पड़ने लगा।
मैंने झट से अपने को व्यवस्थित किया और अपने सख्त लण्ड को मोउमिता भाभी की गाण्ड के छेद से लगा दिया।
मैंने सधा हुआ जोर लगाया।
पहले तो मुश्किल आई पर मोउमिता भाभी ने मेरा साथ दिया और लण्ड उस तंग छेद में प्रवेश कर गया। इतना कसा हुआ, लगा मेरा सुपाड़ा पिचक कर टूट जायेगा। पर एक तेज मजा आया, मैंने कोशिश की और थोड़ा और अन्दर सरका दिया।
आह्ह्ह, एक बार अन्दर गया तो फ़ंसता हुआ अन्दर उतरता ही गया।
तेज मीठा सा, मस्ती भरा रंग चढ़ने लगा। गाण्ड में इतना मजा आता है, इतनी मस्ती आती है, यह तो आज ही पता चला।
मोउमिता भाभी के गाण्ड का छेद काला और चमकीला घिसा हुआ सा था। यानि मोउमिता भाभी गाण्ड मराने की शौकीन भी थी। मोउमिता भाभी पीछे मुड़ मुड़ कर मुझे आह भरती हुई देख रही थी। मेरी मस्ती के अहसास से वो भी
मस्त होने लगी।
कसे छिद्र का कमाल था कि मस्ती तेज होने लगी।
मोउमिता भाभी चूत भी रस से भर गई। प्रेम की बूंदे उसमें से रिसने लगी।
मोउमिता भाभी ने अपनी चूत की तरफ़ इशारा किया तो मुझे उसकी बात माननी ही पड़ी। उन्होंने धीरे से अपने चूतड़ ऊपर उठा लिये और गाण्ड को ऊपर कर लिया। उनकी गुलाबी चूत सामने से खिली हुई नजर आने लगी थी।
मैंने अपना लण्ड उसकी चूत में डाल दिया। प्यासी चूत को लण्ड मिल गया। मोउमिता भाभी चिहुंक उठी।
लण्ड सर सर करता हुआ, पूरा ही अन्दर बैठ गया। मोउमिता भाभी किलकारियाँ मार कर अपने आनन्द का परिचय दे रही थी। कसी हुई गाण्ड से निकला हुआ लण्ड उसकी मुलायम चूत में बड़ी सरलता से -जा रहा था।
मोउमिता भाभी ने खुशी की एक चीख मारी और झड़ने लगी।
मैंने भी अपना कड़कता लण्ड बाहर निकाल लिया।
मोउमिता भाभी ने कहा,"बड़ा दम वाला लण्ड है रेअभी तक देखो कैसे इठला रहा है?"
उसने प्यार से अपने मुठ में उसे भरा और दबा कर जो मुठ मारी कि बस हाय रे
मैं तो ये गयासामने पहरेदार था, यानि मोउमिता भाभी का मुख ! उन्होंने अपना मुख खोल लिया था। मेरे सुपारे को मुख में लिया और दण्ड को फिर जो रगड़ा कि मेरा वीर्य सर्रर्ररर से छूट गया।
जोश में मेरा लण्ड उनके गले तक जा फ़ंसा था।
उसके पास कोई मौका नहीं था। निकला हुआ वीर्य बिना किसी दुविधा के सीधे गले में उतरता चला गया। फिर बचा खुचा वीर्य उसने गाय का थन दुहने की तरह खींच-खींच कर मेरा सारा माल निकाल लिया और पी गई।
मेरे और मोउमिता भाभी के मध्य एक मधुर अलौकिक सम्बंध स्थापित हो चुका था। भैया भी बहुत खुश थे कि मोउमिता भाभी मेरे साथ बहुत खुश रहती थी। अब वे बेहिचक अपनी व्यापारिक यात्राओं पर खुशी खुशी जाया करते थे इस बात से बेखबर कि मोउमिता भाभी की घर में जबरदस्त चुद रही है।
मोउमिता भाभी भी उन्हें बेहिचक बाहर जाने को कह देती थी। घर में चुदाई का आलम यह था कि मोउमिता भाभी और मैं, भैया की अनुपस्थिति में साथ-साथ ही सोते थे। रात को क्या, दिन को भी चुदाई में लीन रहते थे।

अब मोउमिता भाभी सन्तुष्ट रहती थी, उनके नींद में चलने की आदत भी नहीं रही थी। रात को चुदने बाद वो मस्ती से गहरी निद्रा में लीन हो जाती थी।

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